एडिटर्स गिल्ड मणिपुर और मणिपुर हिल्स जर्नलिस्ट्स यूनियन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सरकारी विज्ञापनों के बिलों का भुगतान नहीं करने पर विरोधस्वरूप 16 दिसंबर को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर कोई न्यूज़ बुलेटिन या बहस का कार्यक्रम नहीं होगा, जबकि 17 दिसंबर को प्रिंट मीडिया कोई प्रकाशन नहीं करेगा.
इम्फालः एडिटर्स गिल्ड मणिपुर (ईजीएम) और मणिपुर हिल्स जर्नलिस्ट्स यूनियन (एमएचजेयू) की बुधवार को हुई संयुक्त बठक में फैसला लिया गया कि सरकारी विज्ञापनों के बिलों का भुगतान करने में राज्य सरकार के असफल रहने पर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक सहित राज्य के सभी मीडिया संस्थान गुरुवार से कामबंदी करेंगे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संयुक्त बयान में कहा गया, ‘बैठक की प्रस्तावना के अनुरूप 16 दिसंबर को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर कोई न्यूज बुलेटिन या बहस का कार्यक्रम नहीं होगा, जबकि 17 दिसंबर को प्रिंट मीडिया कोई प्रकाशन नहीं करेगा.’
बयान में चेताया गया कि अगर सरकार या सत्तारूढ़ पार्टियों द्वारा उचित कार्रवाई नहीं की गई तो धीरे-धीरे मणिपुर के मीडिया संस्थान मंत्रियों से संबंधित खबरों को कवर करना बंद कर देंगे.
एडिटर्स गिल्ड मणिपुर और मणिपुर हिल्स जर्नलिस्ट्स यूनियन ने सरकार से आग्रह किया कि मणिपुर मीडिया को बचाने के लिए तुरंत इस मामले पर कार्रवाई करें.
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— Northeast Live (@NELiveTV) December 16, 2021
एडिटर्स गिल्ड मणिपुर के मुताबिक, उन्होंने राज्य सरकार को कई अवसरों पर मीडिया संस्थानों के समक्ष दिक्कतों विशेष रूप से बीते दो सालों में आ रहीं समस्याओं का हवाला देते हुए लंबित बिलों का भुगतान करने को कहा है.
इससे पहले दोनों संगठनों ने इन लंबित बिलों के भुगतान के लिए सरकार को 15 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया था.
एडिटर्स गिल्ड मणिपुर के सचिव रूपंद्र युमनाम ने कहा, ‘किसी अन्य सेक्टर की तरह मीडिया संस्थान भी कोविड-19 से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. इस डर के बावजूद मीडिया ने महामारी के दौरान भी वायरस से निपटने को लेकर जनता तक महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाकर अपना काम किया.’
उन्होंने कहा कि हालांकि उन्हें लगता है कि सरकार बीते दो साल में मीडिया संगठनों के समक्ष आईं मुश्किलों के प्रति उदासीन रहकर मीडिया के योगदान को पहचानने में असफल रही.
उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 की वजह से हो रहीं मौतों के बीच हम लगातार अपने कर्तव्यों का पालन करते रहे.’
रिपोर्ट के मुताबिक, यह पता चला है कि बीते दो सालों में अधिकतर मीडिया संस्थानों को प्रकाशित विज्ञापनों के लिए उनकी बकाया राशि का सरकार की ओर से भुगतान नहीं की गई है.