पावर ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन के क़रीब 20,000 कर्मचारियों ने जम्मू और कश्मीर डिवीज़नों को पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ विलय के फ़ैसले के विरोध में यह प्रदर्शन शुरू किया है. कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि साल 2019 में बिजली विकास विभाग के विभाजन के बाद से कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं किया गया है.
नई दिल्ली: पावर ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन के करीब 20,000 कर्मचारी (लाइनमैन से लेकर इंजीनियरों तक) जम्मू और कश्मीर डिवीजनों को पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ विलय करने के फैसले के विरोध में बीते शनिवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले को लेकर विभिन्न हितधारकों के बीच दो दौर की बातचीत हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकाला जा सका. इसके बाद कर्मचारियों ने हड़ताल शुरू कर दिया है.
प्रदर्शनकारी, जिन्होंने कहा है कि वे आवश्यक सेवाओं के लिए बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करते रहेंगे, केंद्र सरकार की इकाई (पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ) के साथ विलय का विरोध कर रहे हैं. विलय की घोषणा जम्मू कश्मीर प्रशासन ने बीते चार दिसंबर को की थी.
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि साल 2019 में जब तत्कालीन राज्य को लद्दाख और जम्मू कश्मीर, दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था, जम्मू कश्मीर बिजली विकास विभाग को कश्मीर और जम्मू दोनों डिवीजनों के लिए पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीटीसीएल) और पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीडीसीएल) में विभाजित किया गया था.
इस मामले से वाकिफ लोगों ने कहा कि पीटीसीएल अपने डिवीजनों में 33 केवी से ऊपर की ट्रांसमिशन लाइनों का रखरखाव करता है, पीडीसीएल 33 केवी और ग्रिड स्टेशनों तक की ट्रांसमिशन लाइनों की देखभाल करता है.
विरोध प्रदर्शन कर रहे एक इंजीनियर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘हमने पहले ही सरकार को ऐसी स्थिति (अनिश्चित हड़ताल) की चेतावनी दी थी.’
कर्मचारी नेताओं ने यह भी कहा कि साल 2019 में बिजली विकास विभाग के विभाजन के बाद से कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं किया गया है.
बिजली कर्मचारी संघ के वरिष्ठ नेता जसबीर सिंह ने ग्रेटर कश्मीर से कहा, ‘हमारे विभाग को एक निगम में बदल दिया गया था. हमें समय पर वेतन, पदोन्नति और दैनिक वेतन भोगियों को नियमित करने का आश्वासन दिया गया था. हालांकि, ऐसा नहीं हुआ. हमें अंधेरे में रखा गया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘वे हमारे ग्रिड स्टेशनों का निजीकरण करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने इसे विभाग से निगम में बदल दिया. फिर उन्होंने हमसे किए वादों को पूरा नहीं किया. अब, क्या हमारे लिए यह विश्वास करना संभव है कि वे ग्रिड स्टेशनों को नहीं बेचेंगे? कर्मचारी अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.’
वहीं, जेकेईजीए के महासचिव और बिजली कर्मचारी एवं अभियंता समन्वय समिति (पीईईसीसी) के संयोजक सचिन टिक्कू ने कहा, ‘पावर ग्रिड हमारी संपत्ति हैं और उन्हें बेचा नहीं जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘हमें डेप्यूटेशन पर निगम भेजा गया था, लेकिन यहां हमें नियमित आधार पर समय पर वेतन नहीं मिलता है. हमने अधिकारियों को समय दिया है, लेकिन वे हमारी मांगों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं और हमें अनिश्चितकालीन हड़ताल करने के लिए मजबूर कर रहे हैं.’
यूनियन नेताओं ने कहा कि पीईईसीसी के बैनर तले कर्मचारी प्रतिनिधियों के साथ हर खंड के तौर-तरीकों पर चर्चा किए बिना जल्दबाजी में संयुक्त उद्यम कंपनी ‘जेएंडके ग्रिड कंपनी’ का गठन पीडीडी (बिजली विकास विभाग) में कर्मचारियों को स्वीकार्य नहीं होगा.
पीईईसीसी बिजली विकास विभाग (पीडीडी) के दायरे में आने वाले सभी संगठनों का एक समूह है और पीडीडी की कर्मचारियों की समस्यों को लेकर आवाज उठाता है.