पुल सुसाइड नोट मामला: चीफ जस्टिस ने पुल की पत्नी को भेजा जवाब

पुल का सुसाइड लेटर सामने आने के बाद उनकी पत्नी ने चीफ जस्टिस को पत्र भेजकर जांच कराने की अपील की थी

पुल का सुसाइड लेटर सामने आने के बाद उनकी पत्नी ने चीफ जस्टिस को पत्र भेजकर जांच कराने की अपील की थी

pull death

चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने मंगलवार देर शाम अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कालिखो पुल की पहली पत्नी दांगविम्साई पुल द्वारा उन्हें भेजे गए पत्र का जवाब देते हुए आदेश पारित किया है. कालिखो पुल ने पिछले साल अगस्त में आत्महत्या की थी. हाल ही में पुल का सुसाइड लेटर  सामने आने के बाद उनकी पहली पत्नी ने चीफ जस्टिस को इस पत्र में लगाए गए आरोपों के आधार पर एफआईआर दर्ज करने और सीबीआई जांच कराने की अपील करते हुए एक पत्र भेजा था.

60 पन्नों के इस सुसाइड लेटर में कालिखो पुल ने प्रदेश के कई नेताओं सहित वरिष्ठ जजों और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए. जिन जजों पर पुल ने आरोप लगाए हैं उनमें कुछ सेवानिवृत्त जज भी हैं.

पुल ने सुसाइड नोट में एक जज पर आरोप लगाते हुए यह कहा गया है कि उस जज के रिश्तेदार ने किसी व्यक्ति के जरिये राष्ट्रपति शासन मामले में फैसला पुल के पक्ष में देने के लिए  86 करोड़ रुपये की रकम की मांग की थी.

पुल की पत्नी दांगविम्साई पुल ने पिछले हफ़्ते दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस करके सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र भेजा था जिसमें उन्होंने मांग की थी की इन आरोपों के आधार पर एफआईआर दर्ज की जाए, साथ ही स्वतंत्र रूप से मामले की जांच करवाई जाए. द वायर से बात करते हुए उन्होंने बताया कि मामले की जांच के लिए वे प्रधानमंत्री से मिलने का भी प्रयास कर रही हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार चीफ जस्टिस द्वारा दांगविम्साई को भेजे गए जवाब में क्या लिखा है इस विषय में कोई जानकारी नहीं है. अरुणाचल प्रदेश के डीजीपी एस नित्यानंद ने इस अख़बार से बात करते हुए कहा, ‘हम कालिखो पुल की आत्महत्या मामले पर जल्दी ही अपनी जांच रिपोर्ट देने वाले हैं. पर हमने अब तक उस 60 पन्नों के नोट की जांच नहीं की है, जो उनके शव के पास मिला था. वो हमारी जांच का हिस्सा था ही नहीं. हम यह भी नहीं जानते कि यह कोई सामान्य नोट है या सुसाइड नोट. पुल की डायरी पंचनामे का हिस्सा थी, जिसे सील करके मजिस्ट्रेट को सौंप दिया गया था. अगर कोर्ट को सही लगा तब शायद वह हमारी रिपोर्ट पढ़कर निर्णय लें कि हमें उस नोट की जांच करनी चाहिए या नहीं.’