आईआईटी, आईआईएम समेत उच्च शिक्षण संस्थानों में 2014-21 के बीच 122 छात्रों ने आत्महत्या की: केंद्र

लोकसभा में दिए गए इस आंकड़े में अनुसूचित जाति वर्ग के 24, अनुसूचित जनजाति वर्ग के तीन, अन्य पिछड़ा वर्ग के 41 छात्र तथा अल्पसंख्यक वर्ग के तीन छात्र शामिल हैं.

/
Research has shown that LGBTQ people face a higher risk of having mental health issues such as depression, anxiety, substance abuse, suicide and self-harm than heterosexuals. ― Picture by Gift Habeshaw/Unsplash via Reuters
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

लोकसभा में दिए गए इस आंकड़े में अनुसूचित जाति वर्ग के 24, अनुसूचित जनजाति वर्ग के तीन, अन्य पिछड़ा वर्ग के 41 छात्र तथा अल्पसंख्यक वर्ग के तीन छात्र शामिल हैं.

Research has shown that LGBTQ people face a higher risk of having mental health issues such as depression, anxiety, substance abuse, suicide and self-harm than heterosexuals. ― Picture by Gift Habeshaw/Unsplash via Reuters
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बीते सोमवार को लोकसभा को बताया कि आईआईटी, आईआईएम, केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईईएससी एवं अन्य उच्चतर शिक्षण संस्थानों में वर्ष 2014 से 2021 के दौरान 122 छात्रों ने आत्महत्या की.

लोकसभा में एकेपी चिनराज के प्रश्न के लिखित उत्तर में शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यह जानकारी दी.

प्रधान ने बताया कि वर्ष 2014 से 2021 के दौरान इन उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों में 122 छात्रों ने आत्महत्या की, जिनमें से अनुसूचित जाति वर्ग से 24 छात्र, अनुसूचित जनजाति वर्ग से 3 छात्र, अन्य पिछड़ा वर्ग से 41 छात्र तथा अल्पसंख्यक वर्ग से तीन छात्र शामिल हैं.

इस अवधि में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में 34 छात्रों, भारतीय प्रबंध संस्थान (आईईएम) में पांच छात्रों, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईईएससी) एवं भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान में नौ छात्र, केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 37 छात्र तथा भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान में चार छात्र, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में 30 छात्रों द्वारा आत्महत्या की घटनाएं सामने आई हैं.

वर्ष 2014 से 2021 के दौरान उच्चतर शिक्षण संस्थानों में आत्महत्या करने वाले छात्रों का विवरण. (साभार: लोकसभा)

प्रधान ने बताया कि छात्रों का उत्पीड़न एवं भेदभाव संबंधी घटनाओं को रोकने के लिए भारत सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा कई पहल की गई है.

उन्होंने कहा कि छात्रों के हितों की रक्षा के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (छात्रों की शिकायत का निवारण) विनियम, 2019 बनाया है.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने शैक्षणिक तनाव को कम करने हेतु छात्रों के लिए उनके अनुकूल पठन पाठन, क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीक शिक्षा की शुरूआत जैसे कई कदम उठाए हैं.

उन्होंने कहा कि मनोदर्पण नाम से भारत सरकार की पहल के अंतर्गत कोविड महामारी के दौरान छात्रों, शिक्षकों एवं परिवारों के मानसिक और भावनात्मक कल्याण हेतु मनोवैज्ञानिक सहयोग प्रदान करने के लिए विस्तृत श्रृंखला शुरू की गई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)