पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मामले में दोषी पाए गए एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता की शेष सज़ा को निलंबित कर दिया और ज़मानत दे दी. रिश्वत लेकर सबूतों को नष्ट करने के आरोप में दत्ता को पांच साल की सज़ा मिली थी. इससे पहले 16 दिसंबर को एक अन्य दोषी हेड कॉन्स्टेबल की सज़ा पर रोक लगा दी गई थी.
नई दिल्ली: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार और हत्या के मामले में एक दोषी पुलिस सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता की शेष सजा को निलंबित कर दिया और जमानत दे दी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीते 21 दिसंबर को जस्टिस तेजिंदर सिंह ढींडसा और जस्टिस विनोद एस. भारद्वाज की खंडपीठ ने दत्ता की शेष सजा को निलंबित करने का आदेश दिया और जमानत बॉन्ड प्रस्तुत करने पर उन्हें जमानत दे दी.
साल 2019 में पठानकोट की सत्र अदालत ने हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज और विशेष पुलिस अधिकारी सुरेंद्र वर्मा के साथ दत्ता को दोषी ठहराया था और बलात्कार के मामले में एक सेवानिवृत्त राजस्व अधिकारी सांजी राम, जो इस मामले के मुख्य आरोपी हैं, से कथित तौर पर चार लाख रुपये रिश्वत लेने के बाद सबूत नष्ट करने के लिए प्रत्येक को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई थी.
उनकी सजा के बाद तीनों को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बर्खास्त कर दिया था.
इससे पहले 16 दिसंबर को हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज की सजा पर रोक लगा दी गई थी. दत्ता और तिलक राज दोनों ही निचली अदालत द्वारा उन्हें दी गई आधे से अधिक सजा पहले ही भुगत चुके हैं.
अदालत ने मामले में सह-आरोपी दीपक खजूरिया और परवेश कुमार के साथ सांझी राम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने साल 2018 के कठुआ बलात्कार मामले के दोषी को जमानत दिए जाने पर नाराजगी जताते हुए बीते शनिवार को कहा कि इससे ऐसा प्रतीत होता है कि न्याय व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है.
Perturbed that the policeman convicted for destroying evidence in Kathua rape case was granted bail & his jail term suspended. When a child raped & bludgeoned to death is deprived of justice, it becomes obvious that the wheels of justice have completely collapsed. https://t.co/hlCPyDaeBu
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) December 25, 2021
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, ‘कठुआ रेप मामले में सबूत नष्ट करने वाले दोषी पुलिसकर्मी को जमानत दे दी गई और उसकी जेल की अवधि निलंबित कर दी गई, जो बेहद परेशान करने वाली बात है. जब एक बच्ची के साथ बलात्कार और उसकी हत्या करने के मामले में न्याय नहीं होता है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि न्याय व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है.’
गौरतलब है कि कठुआ जिले में जनवरी 2018 में आठ साल की एक बच्ची के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी. पंजाब के पठानकोट की एक अदालत ने 10 जून 2019 को इस मामले में फैसला सुनाया था. उच्चतम न्यायालय के आदेश पर यह मामला पंजाब में स्थानांतरित किया गया था.
अदालत ने इस मामले में मुख्य आरोपी सांजीराम समेत छह लोगों को दोषी ठहराया था. सांजीराम, बर्खास्त किए गए विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया और परवेश कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जबकि तीन अन्य बर्खास्त पुलिसकर्मियों-आनंद दत्ता, तिलकराज और सुरेंद्र वर्मा को सबूत नष्ट करने के मामले में पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी.