असमः अख़बारों का मुख्यमंत्री के परिवार के कथित ज़मीन घोटाले के ज़िक्र वाला लेख छापने से इनकार

द वायर और द क्रॉसकरेंट ने एक रिपोर्ट में बताया था कि असम में ज़रूरतमंदों के लिए चिह्नित ज़मीन किस तरह मुख्यमंत्री के परिवार से जुड़ी कंपनी के पास पहुंची थी. इस मुद्दे का ज़िक्र करते हुए साहित्य अकादमी से सम्मानित लेखक हीरेन गोहेन ने एक लेख लिखा था, जिसे राज्य के तीन अख़बारों ने प्रकाशित करने से मना कर दिया.

/
हिरेन गोहेन (फोटोः यूट्यूब)

द वायर और द क्रॉसकरेंट ने एक रिपोर्ट में बताया था कि असम में ज़रूरतमंदों के लिए चिह्नित ज़मीन किस तरह मुख्यमंत्री के परिवार से जुड़ी कंपनी के पास पहुंची थी. इस मुद्दे का ज़िक्र करते हुए साहित्य अकादमी से सम्मानित लेखक हीरेन गोहेन ने एक लेख लिखा था, जिसे राज्य के तीन अख़बारों ने प्रकाशित करने से मना कर दिया.

हीरेन गोहेन (फोटो साभार: यूट्यूब)

नई दिल्लीः हाल ही में असम के सोशल मीडिया पर यह खबर थी कि भाजपा शासित सरकार के दबाव में राज्य के मीडिया संस्थानों ने जमीन सौदे को लेकर द वायर  और द क्रॉसकरेंट द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित खोजी रिपोर्ट को लेकर खबरें प्रकाशित करने से दूरी बरती थी.

इस विशेष रिपोर्ट में बताया गया था कि किस तरह असम में जरूरतमंदों के लिए चिह्नित ज़मीन मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के परिवार से जुड़ी कंपनी के पास पहुंची थी.

अब सामने आया है कि राज्य के तीन समाचार पत्रों ने असम के साहित्यकार और बुद्धिजीवी हीरेन गोहेन के एक लेख को प्रकाशित करने से मना कर दिया है. ऐसा बताया गया है कि लेख में उक्त रिपोर्ट का उल्लेख किया गया है.

असमी साहित्यकार और साहित्य अकादमी से सम्मानित गोहेन का कहना है कि ऐसा लगता है कि प्रमुख समाचार पत्रों के डेस्क पर सेंसर के रूप में सरकारी एजेंट काम कर रहे हैं.

इससे पहले विधानसभा के स्पीकर बिश्वजीत दैमारी ने बीते 20 दिसंबर को इस मामले पर चर्चा करने के लिए विपक्षी सदस्यों को प्रस्ताव पेश करने की अनुमति नहीं दी, जिसके बाद विधानसभा की कार्यवाही बाधित हो गई.

गोहेन ने अपने इस लेख में सरकार द्वारा विपक्षी सदस्यों को इस मामले पर चर्चा करने की अनुमति न देने के फैसले की आलोचना की है.

गोहेन ने लेख में लोकतांत्रिक संस्थानों के कामकाज में बदलाव और सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों द्वारा हंगामा करके विपक्षी सदस्यों को रोकने के बढ़ते रुझान का उल्लेख किया है.

गोहेन ने रियल एस्टेट कंपनी आरबीएस रियल्टर्स प्रा. लि. (अब वशिष्ठ रियल्टर्स प्रा. लि.) द्वारा जमीन हड़पने के आरोपों की जांच की मांग कते हुए कई सवाल भी उठाए हैं.

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि द वायर  और द क्रॉसकरेंट की खोजी रिपोर्ट राज्य सरकार के भू-राजस्व रिकॉर्ड पर आधारित है, जो सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं.

किसान अधिकार कार्यकर्ता सोनेश्वर नारा ने ‘दैनिक असम’ द्वारा गोहेन का लेख प्रकाशित करने से इनकार करने पर 25 दिसंबर को फेसबुक पोस्ट में टिप्पणी की थी.

उन्होंने सूचना एवं प्रचार मंत्री पीयूष हजारिका पर राज्य की मीडिया पर दबाव डालने का आरोप लगाया. हजारिका, मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा के करीबी माने जाते हैं. सोनेश्वर ने गोहेन के इस लेख को सोशल मीडिया पर शेयर भी किया है.

एक स्थानीय पत्रकार मानश प्रतिम भूयां ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, ‘असम से बहुत ही परेशान करने वाला घटनाक्रम सामने आया है. असम ट्रिब्यून ग्रुप के स्वामित्व वाले दैनिक अखबार दैनिक असम ने डॉ. हीरेन गोहेन को बताया कि जमीन घोटाले पर द वायर की एक रिपोर्ट का उल्लेख करने पर अब उनके कॉलम को अखबार में स्थान नहीं दिया जाएगा.’

गोहेन से संपर्क करने पर उन्होंने भूयां के दावों की पुष्टि करते हुए द वायर  को बताया, ‘मैंने लेख में यह मांग की थी कि इस जमीन घोटाले की उच्चस्तरीय जांच कराई जानी चाहिए. यह विश्वास करने का कारण है कि लोकप्रिय अखबारों के डेस्क पर सेंसर के तौर पर सरकारी एजेंट काम कर रहे हैं.’

उल्लेखनीय है कि साल 2019 में नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में टिप्पणी करने को लेकर हीरेन गोहेन के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था.

गोहेन ने कहा, ‘असम में प्रेस बड़े कारोबारियों द्वारा नहीं बल्कि उद्यमियों और मध्यम आय की कुछ पुरानी कंपनियों द्वारा चलाई जाती है. जब बड़ी कंपनियों के स्वामित्व वाले बड़े प्रेस इस तरह के दबाव में झुक जाते हैं तो मध्यम आय वाले इस तरह के क्षेत्रीय अखबारों के स्वतंत्रता के साथ काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती लेकिन सच यह है कि केंद्र द्वारा समर्थित राज्य सरकार ने जनता की राय को अपने नियंत्रण में रखने के लिए इस तरह के गुंडागर्दी वाले तरीकों का सहारा लिया है. सोशल मीडिया यकीनन अब तक इन दबावों से सुरक्षित है.’

उन्होंने कहा, ‘इस संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा दी गई बेहद तीखी प्रतिक्रिया का भी उल्लेख किया जा सकता. उन्होंने (हिमंता) कहा था कि ‘प्रताड़ित करने के लिए मेरी पत्नी को क्यों चुना गया? क्या उनके पास मुझसे मुकाबला करने की हिम्मत नहीं है.’ हिमंता की यह प्रतिक्रिया स्थानीय टेलीविजन चैनलों पर लगातार गूंजती रही थी.’

मालूम हो कि द वायर  और द क्रॉसकरेंट ने अपनी विशेष रिपोर्ट में बताया था कि किस तरह असम में जरूरतमंदों के लिए चिह्नित ज़मीन मुख्यमंत्री के परिवार से जुड़ी कंपनी के पास पहुंची थी.

रिपोर्ट में आधिकारिक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए बताया गया था कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की पत्नी रिनिकी भूयां शर्मा द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित एक रियल एस्टेट कंपनी- जिसमें उनके बेटे नंदिल बिस्वा शर्मा के वित्त वर्ष, 2020 तक काफी शेयर थे- ने 18 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है, जबकि इन जमीनों को भूमिहीनों, और संस्थाओं के लिए चिह्नित किया गया था.

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कांग्रेस ने शर्मा को तत्काल पद से हटाने के साथ ही ‘जमीन हड़पने’ के आरोपों की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में एक विशेष जांच दल से जांच कराने की भी मांग की थी.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25