हरिद्वार में कई अखाड़ों ने मिलकर 28 दिसंबर को 21 धार्मिक नेताओं की एक कोर समिति का गठन किया है. धार्मिक नेताओं ने बताया कि उन्होंने भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ में बदलने के अपने अभियान को तेज़ करने का भी फ़ैसला किया है. अब आगे इस तरह की तीन और धर्म संसद अलीगढ़, कुरुक्षेत्र और शिमला में होंगी.
नई दिल्लीः हरिद्वार में 17-19 दिसंबर के बीच हुई धर्म संसद में मुस्लिमों के नरसंहार के बाद लगभग 20 हिंदुत्व नेताओं ने 25-26 दिसंबर को ठीक इसी तरह के दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन छत्तीसगढ़ के रायुपर में किया, जिसमें सनातनी हिंदुओं से हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए तैयारियां करने को कहा गया.
यहां धर्म संसद में मौजूद कुछ धार्मिक नेताओं ने कहा कि अगर वे भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं तो हथियार उठा लें.
महाराष्ट्र के संत कालीचरण ने महात्मा गांधी को देशद्रोही करार देते हुए उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की प्रशंसा की. सोशल मीडिया पर वायरल इन वीडियो में कालीचरण को गांधी पर देश को बर्बाद करने का आरोप लगाते देखा जा सकता है.
26 दिसंबर की शाम को कालीचरण पर सार्वजनिक स्थान पर दो समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए एफआईआर दर्ज की गई.
यह एफआईआर कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे की शिकायत पर दर्ज की गई, जो इस कार्यक्रम में मौजूद थे. इसके बाद कालीचरण को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया.
रायपुर धर्म संसद का आयोजन एनजीओ नीलकंठ सेवा समिति और दूधधारी मठ ने किया था. इसमें कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे और भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल और विष्णु देव साई ने भी हिस्सा लिया.
एनजीओ नीलकंठ सेवा समिति के नीलकंठ त्रिपाठी ने कहा कि कार्यक्रम की आयोजन समिति में कांग्रेस और भाजपा के शीर्ष नेताओं ने हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम का प्रमुख बिंदु हिंदू राष्ट्र की स्थापना रहा.
त्रिपाठी ने कहा, ‘जिस तरह से संसद में सभी के पास अपने विचारों को रखने का अधिकार है, ठीक उसी तरह इस कार्यक्रम में भी सभी ने अपने विचार रखे लेकिन महात्मा गांधी के बारे में जो कहा गया, मैं उससे सहमत नहीं हूं.’
ईसाई समुदाय निशाने पर
इस कार्यक्रम के बारे में द वायर से बात करते हुए राज्य के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने हिंदुत्व पर खतरे का राग ही सुनाया और ईसाइयों द्वारा आदिवासी समुदायों के जबरन धर्मांतरण के बेतुके दावे किए.
इस धर्म संसद में शामिल अग्रवाल ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदायों को स्वास्थ्य और शिक्षा के नाम पर लालच देकर उनका ईसाई धर्म में परिवर्तन कराया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि ओडिशा और झारखंड में ईसाई मिशनरी इन आदिवासियों की खराब रहने योग्य स्थिति का लाभ उठा रही हैं.
अग्रवाल ने कहा कि वह हिंसा का समर्थन नहीं करते और उन्हें क्रिसमस से किसी तरह की समस्या नहीं है.
उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि क्रिसमस इस तरह से मनाना चाहिए कि इससे किसी को परेशानी नहीं हो और इन्हें अपने धार्मिक स्थानों पर ही मनाना चाहिए.
अग्रवाल ने धर्म संसद को न्यायोचित ठहराते हुए कहा, ‘सनातन धर्म पर हमला किया जा रहा है, कोई भी हिंदू देवताओं को अपशब्द कह सकता है और बचकर निकल सकता है. यह उस हमले की प्रतिक्रिया है.’
उन्होंने ईसाइयों पर कार्रवाई के आह्वान का बचाव करते हुए कहा, ‘हिंदू धर्म खतरे में है, धर्मांतरण हो रहा है. यही कारण है कि इस तरह की आवाजें उठ रही हैं.’
ईसाइयों पर हिंसा की बढ़ रही घटनाओं पर टिप्पणी करते हुए छत्तीसगढ़ क्रिश्चियन फोरम के अध्यक्ष अरुण पन्नालाल ने द वायर को बताया कि 2018 के बाद से ईसाइयों पर हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं.
उन्होंने कहा, ‘यह आश्चर्यजनक नहीं है. पिछले साल दक्षिण बस्तर के सुकमा में 40 ईसाइयों पर हमला किया गया. ये हमले बढ़ रहे हैं, यहां तक कि मरने के बाद किसी को दफनाने के हमारे अधिकारों से भी समझौता किया जा रहा है.’
पन्नालाल ने कहा, ‘वे ईसाइयों के बीच नफरत फैला रहे हैं जैसा उन्होंने मुसलमानों के साथ किया. यहां तक कि रायपुर के कार्यक्रम में भी उन्होंने ईसाइयों के सफाए के लिए चर्चा की.’
छत्तीसगढ़ में ईसाइयों के खिलाफ हेट क्राइम की घटनाएं बढ़ी हैं. स्थानीय लोगों को लगता है कि कांग्रेस और भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए राज्य में अल्पसंख्यक विरोधी भावनाओं का लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं.
कार्यक्रम में मौजूद एक अन्य वक्ता साध्वी विभानंद गिरि ने कहा, ‘संसद को लव जिहाद को खत्म करने की दिशा में काम करना चाहिए.’
गिरि ने कहा, ‘मुस्लिम हिंदू महिलाओं को अगवा करते हैं और फिर उनसे छेड़छाड़ करते हैं. अगर कोई हिंदू लड़की किसी मुस्लिम युवक से मिलती है तो हर युवा हिंदू को उसे जरूर बचाना चाहिए.’
दरअसल ‘लव जिहाद’ दक्षिणपंथी समूहों द्वारा गढ़ी गई एक शब्दावली ही है.
छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन सलाम रिजवी ने इस बयान का विरोध करते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ जैसे मामलों को सांप्रदायिक रंग नहीं देना चाहिए.
रायपुर संसद में ईसाई विरोधी प्रचार की कई हिंदू पुजारियों ने सराहना भी की लेकिन इस बीच महात्मा गांधी का अपमान किए जाने पर एक प्रमुख महंत ने वॉकआउट भी कर दिया.
Organiser of the Dharm Sansad, Mahant Ram Sundar Das Ji took a strong stand against Kalicharan's speech and even scolded the audience for clapping when Kalicharan called Mahatma Gandhi "harami". He distanced himself from the Dharm Sansad. pic.twitter.com/912wP2cN96
— Kaushik Raj (@kaushikrj6) December 26, 2021
गांधी को लेकर कालीचरण द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा के विरोध में पूर्व कांग्रेसी विधायक और छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के चेयरमैन महंत राम सुंदरदास स्टेज से उतरकर चले गए.
दास ने बाद में कहा कि वह इस आयोजन से खुद को अलग कर रहे हैं.
कार्यक्रम के बाद दास से मिले पन्नालाल ने कहा, ‘महंत राम सुंदर दास ने छत्तीसगढ़ में ईसाई समुदाय का समर्थन करने का आश्वासन दिया है. जब ईसाइयों को निशाना बनाया जाए, ऐसे में हमें और लोगों की जरूरत है जो इसका विरोध करें.’
पन्नालाल ने यह भी कहा कि भाजपा द्वारा छत्तीसगढ़ में लगातार एक नैरेटिव बनाया जा रहा है कि सभी आदिवासी हिंदू हैं.
उन्होंने कहा, ‘वे लगातार झूठा दावा कर रहे हैं कि सभी आदिवासी हिंदू हैं जबकि सभी भील और गोंड हिंदू हैं. यह स्पष्ट तौर पर दुष्प्रचार है.
ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन के पूर्व अध्यक्ष जॉन दयाल इस तरह के नरसंहार के आह्वान से चिंतित हैं.’
वे कहते हैं कि सबसे चिंताजनक यह है कि दुष्प्रचार करने वाले बिना किसी खामियाजे की चिंता किए बगैर इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करने में सक्षम हैं. प्रशासन, पुलिस और आपराधिक न्यायिक प्रणाली इस तरह के लोगों को दंड से बचाने में शामिल है.
हरिद्वार में हुई धर्म संसद के बाद कई प्रमुख लोगों ने इस नरसंहार का आह्वान करने वाले हिंदुत्व नेताओं की गिरफ्तारी की मांग की. कुछेक नेताओं पर मामले दर्ज हुए लेकिन कई प्रमुख वक्ताओं का बाल भी बांका नहीं हुआ.
जब द वायर ने रायपुर में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार यादव से इस कार्यक्रम के बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि जिस दिन पुलिस को शिकायत मिली, उसी दिन कालीचरण के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
उन्होंने कहा, ‘एफआईआर में उन पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ इस तरह के आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगाया गया है.’
उन्होंने कहा, ‘पुलिस को अन्य किसी नेता द्वारा दिए गए किसी बयान के संदर्भ में कोई और शिकायत नहीं मिली है. फिलहाल सिर्फ कालीचरण के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज की गई है.’
अखाड़ों ने किया मुस्लिमों के खिलाफ कोर समिति का गठन
हरिद्वार में हुई हालिया धर्म संसद के दौरान नफरती भाषण देने के आरोप में तीन हिंदुत्व नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज होने से बेफ्रिक मंगलवार को कई अखाड़ों के स्वामियों ने मुलाकात की और 21 नेताओं की एक कोर समिति का गठन किया.
इस दौरान इस्लाम के दौरान अपनी लड़ाई को जारी रखने का संकल्प लिया गया और इसके साथ ही कुरान और शहर के कई मौलाना और इमामों के खिलाफ हरिद्वार कोतवाली पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज कराई.
निरंजनी अखाड़ा के दर्शन भारती ने द इंडिया केबल को बताया, ‘कुरान काफिरों की हत्या के लिए उकसाती है. इस किताब में कई भड़काऊ खंड हैं. इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए.’
इस दौरान धार्मिक नेताओं ने भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने के लिए अपने अभियान को तेज करने का भी फैसला किया और साथ में इससे पहले हरिद्वार में हुई धर्म संसद में दिए गए भड़काऊ भाषणों का भी बचाव किया.
स्वामी आनंद स्वरूप ने बताया, ‘हम अलीगढ़, कुरुक्षेत्र और शिमला में तीन और धर्म संसद करेंगे. हमने संकल्प लिया है कि यह हमारी अभिव्यक्ति की आजादी के बारे में हैं और हम बोलना जारी रखेंगे.’
इस कोर समिति में यति नरसिंहानंद सरस्वती, स्वामी प्रबोधानंद, हिंदू महासभा की महासचिव अन्नपूर्णा भारती उर्फ पूजा शकुन पांडेय , पंडित अधीर कौशिक, सिंधु महाराज और स्वामी दर्शन भारती हैं.
ये सभी उस कार्यक्रम में मौजूद थे, जब मुस्लिमों के नरसंहार का आह्वान किया गया.
हालांकि, इन सभी ने महात्मा गांधी के खिलाफ दिए गए आपत्तिजनक बयान पर सर्वसम्मति से चुप्पी साध ली.
भारती ने बिना कोई कारण बताए इस पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा, ‘हमने फैसला किया है कि हम गांधी पर की गई टिप्पणी पर कोई जवाब नहीं देंगे.’
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