बुली बाई ऐप का उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा को बढ़ावा देना है: पत्रकार संघ

दिल्ली पत्रकार संघ और इंडियन वीमेंस प्रेस कॉर्प्स ने ऐप के ज़रिये मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाए जाने पर रोष जताते हुए कहा कि अगर पुलिस ने कुख्यात 'सुल्ली डील' के दोषियों की पहचान कर ली होती, तो यह घटना दोहराई नहीं जाती.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

दिल्ली पत्रकार संघ और इंडियन वीमेंस प्रेस कॉर्प्स ने ऐप के ज़रिये मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाए जाने पर रोष जताते हुए कहा कि अगर पुलिस ने कुख्यात ‘सुल्ली डील’ के दोषियों की पहचान कर ली होती, तो यह घटना दोहराई नहीं जाती.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली/मुंबई: दिल्ली पत्रकार संघ और उसकी लैंगिक परिषद ने एक मोबाइल ऐप के जरिये मुस्लिम महिलाओं सहित कई पत्रकारों को निशाना बनाने को लेकर मंगलवार को रोष जताया.

‘बुली बाई’ नामक ऐप पर ‘नीलामी’ के लिए बिना इजाजत सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की छेड़छाड़ की गई तस्वीरें और विवरण डाले गए थे. एक साल से भी कम समय में ऐसा दूसरी बार हुआ है. पिछले साल जुलाई में ‘सुल्ली डील्स’ नामक ऐप पर इसी प्रकार की सामग्री डाली गई थी, और उस समय भी ऐसा ही विवाद उत्पन्न हुआ था.

पत्रकार संघ ने ऐप के जरिये मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाए जाने पर हैरानी और गुस्सा जताते हुए कहा, ‘यह दूसरी बार है जब मुस्लिम महिलाओं की सार्वजनिक ‘नीलामी’ हुई है. अगर पुलिस ने छह महीने पहले ऑनलाइन हुई कुख्यात ‘सुल्ली डील’ के दोषियों की पहचान कर ली होती, तो मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाने और उन्हें आतंकित करने की यह घटना दोहराई नहीं जाती.’

दिल्ली पुलिस ने एक वेबसाइट पर एक महिला पत्रकार की छेड़छाड़ की गई तस्वीर कथित तौर पर अपलोड करने को लेकर अज्ञात लोगों के खिलाफ एक जनवरी को एक प्राथमिकी दर्ज की. पत्रकार ने इस सिलसिले में एक शिकायत दर्ज कराई थी और उसकी प्रति ट्विटर पर साझा की थी.

वहीं, इंडियन वीमेंस प्रेस कॉर्प्स ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए कहा कि बुली बाई ऐप, जिसे गिटहब पर होस्ट किया गया था, ऑनलाइन यौन हिंसा के बराबर है. इस तरह की ‘नीलामी’ स्पष्ट रूप से तस्करी और यौन अपराधों को बढ़ावा देती है.

संगठन ने अपने बयान में कहा, ‘यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण घटना है कि एक ऐप के जरिये करीब 100 मुस्लिम महिलाओं के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखीं गईं. बुली बाई ऐप का आसान शब्दों में हम यही मतलब समझ रहे हैं कि इसका मकसद अल्पसंख्यक उत्पीड़न और मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा को बढ़ावा देने की सुनियोजित साजिश है.’

संगठन ने कहा, ‘अपनी तस्वीरों के प्रकाशन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने वाली साहसी महिलाओं को हम सलाम करते हैं, जिन्होंने नफरत की साजिश में भी अपनी हिम्मत नहीं छोड़ी और इसके खिलाफ आवाज उठाई.’

संगठन ने कहा, ‘हम मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद पुलिस से, जहां महिलाओं ने शिकायतें दर्ज कराई थी, विषय पर तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध करते हैं. मुंबई पुलिस ने एक संदिग्ध को बेंगलुरु से हिरासत में लिया है लेकिन अन्य की भी फौरन पहचान करने की जरूरत है.’

उसने कहा, ‘इंडियन वीमेंस प्रेस कॉर्प महिलाओं के लिए अपमानजनक और अभद्र साजिश रचने की इस कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा करता है और हम अपने सभी सदस्यों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करते हैं जिन्हें इस पूरे प्रकरण की वजह से मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी है.’

उसने कहा, यह दूसरी बार है जब मुस्लिम महिलाओं की इस तरह की सार्वजनिक ‘नीलामी’ हुई है. यह परेशान और विचलित करने वाली बात है कि इतने गंभीर मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हुई है.

संगठन ने कहा, ‘अगर पुलिस छह महीने पहले ऑनलाइन हुई कुख्यात ‘सुल्ली डील’ के दोषियों की पहचान कर लेती, तो मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाने और आतंकित करने की यह घटना दोबारा नहीं होती और मुस्लिम महिलाओं की मानहानि करने के नापाक इरादे रखने वालों की इतनी हिम्मत नहीं बढ़ती.’

उसने कहा कि ‘हम उम्मीद करते हैं कि पुलिस ‘सुल्ली डील’ के मामले में तत्परता से कार्रवाई करेगी और आरोपियों को जल्द गिफ्तार करेगी. हम सरकार से भी उम्मीद करते हैं कि ‘इंटरनेट पर महिलाओ के सम्मान की नीलामी’ रोकने के लिए तत्काल कड़े कदम उठाएं.’

ऐप मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने 19 वर्षीय एक युवती को उत्तराखंड से गिरफ्तार किया है, जो कथित तौर पर मुख्य दोषी है. साथ ही, बेंगलुरू से 21 साल के एक इंजीनियरिंग छात्र को हिरासत में लिया है.

छात्र विशाल कुमार झा और सह-आरोपी श्वेता सिंह कथित तौर पर एक दूसरे को जानते थे. पुलिस के मुताबिक आगे और गिरफ्तारियां की जा सकती हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)