सुरक्षा चूकः वीडियो दिखाते हैं कि मोदी के काफ़िले के पास प्रदर्शनकारी नहीं भाजपा कार्यकर्ता थे

पंजाब के फ़िरोज़पुर में पांच जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में कथित चूक को लेकर भाजपा का आरोप है कि यह उनकी हत्या की साजिश थी. हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी वीडियो दिखाता है कि किसान वास्तव में प्रधानमंत्री के काफिले के रुकने की जगह से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर थे.

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पंजाब में मोगा-फिरोजपुर राजमार्ग पर प्रधानमंत्री मोदी के काफिले के पास नारेबाजी करते भाजपा कार्यकर्ता (फोटो साभारः ट्विटर)

पंजाब के फ़िरोज़पुर में पांच जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में कथित चूक को लेकर भाजपा का आरोप है कि यह उनकी हत्या की साजिश थी. हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी वीडियो दिखाता है कि किसान वास्तव में प्रधानमंत्री के काफिले के रुकने की जगह से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर थे.

पंजाब में मोगा-फिरोजपुर राजमार्ग पर प्रधानमंत्री मोदी के काफिले के पास नारेबाजी करते भाजपा कार्यकर्ता. (फोटो साभारः ट्विटर)

चंडीगढ़ः पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले की सुरक्षा में कथित चूक से जुड़े विवाद के बीच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सिलसिलेवार वीडियो जारी कर दावा किया कि प्रदर्शन कर रहे किसान उस फ्लाईओवर के आसपास भी नहीं थे, जहां पांच जनवरी को मोदी का काफिला रुका था.

सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे इन वीडियो में भाजपा समर्थकों के एक समूह को पार्टी का झंडे पकड़े हुए प्रधानमंत्री के काफिले से कुछ ही मीटर की दूरी पर ‘नरेंद्र मोदी जिंदाबाद’ के नारे लगाते देखा जा सकता है.

इस बीच वीडियो में स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के कर्मियों को प्रधानमंत्री मोदी की कार के चारों ओर सुरक्षा ढाल बनाते हुए चलते हुए भी देखा जा सकता है.

एसकेएम नेता दर्शन पाल ने विरोध कर रहे किसानों पर सवाल उठाने को अजीब बताते हुए कहा, ‘इन वीडियो से यह स्पष्ट है कि जो मोदी के काफिले के करीब पहुंचे थे, वे दरअसल भाजपा के समर्थक थे और उन्हें मोदी को देखकर उनके लिए नारे लगाते भी देखा जा सकता है.’

उन्होंने कहा कि किसान वास्तव में प्रधानमंत्री के काफिले के रुकने की जगह से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर थे.

एसकेएम द्वारा गुरुवार को जारी बयान में स्पष्ट किया गया कि राजमार्ग पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को कोई जानकारी ही नहीं थी कि मोदी का काफिला वहां से गुजरना था.

उन्होंने कहा कि किसानों को इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी प्रधानमंत्री के जाने के बाद मीडिया रिपोर्टों से पता चली.

असल में हुआ क्या था

भाजपा समर्थक पांच जनवरी को प्रधानमंत्री के काफिले के इतने नजदीक कैसे पहुंचे.

भठिंडा और फिरोजपुर के बीच का 110 किलोमीटर का रास्ता, जिससे प्रधानमंत्री का काफिला गुजर रहा था, उसे प्रधानमंत्री के सड़क मार्ग से फिरोजपुर जाने का फैसला होने के बाद सामान्य यातायात के लिए बंद कर दिया गया था.

बता दें कि पहले प्रधानमंत्री को हेलीकॉप्टर के जरिये फिरोजपुर जाना था लेकिन खराब मौसम की वजह से सड़क मार्ग को चुना गया.

द वायर  से बातचीत में मोगा के एसएसपी चरणजीत सिंह ने बताया कि राजमार्ग के एक तरफ को वीवीआईपी आवागमन के लिए रखा गया था और उसी तरफ से मोदी का काफिला जा रहा था जबकि राजमार्ग के दूसरी तरफ के रास्ते को प्रधानमंत्री की रैली के लिए लोगों को ले जा रहे वाहनों के लिए था.

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के सड़क मार्ग से फिरोजपुर जाने का फैसला होने के बाद किसी को भी राजमार्ग से नहीं जाने दिया जा रहा था.

हालांकि, यह सुरक्षा योजना उस समय बिगड़ गई, जब भारतीय किसान संघ (क्रांतिकारी) की अगुवाई में किसानों के जत्थे ने अचानक मोगा-फिरोजपुर राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया. उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि मोदी सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हैं और वह उसी मार्ग से जा रहे हैं.

भाजपा समर्थकों को ले जा रहे कई निजी वाहन राजमार्ग के उस हिस्से में पहले ही फंस गए थे, जहां प्रधानमंत्री के काफिले को लगभग एक किलोमीटर दूर रोक दिया गया था क्योंकि वहां प्रदर्शनकारी जमा थे.

इस तरह भाजपा समर्थक प्रधानमंत्री के काफिले के इतने करीब आ सके और फ्लाईओवर पर उन्हें देखकर उनके लिए नारे लगाने लगे.

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक, फ्लाईओवर पर लगभग 20 मिनट तक फंसे रहने की वजह से आगे नहीं बढ़ पाने पर मोदी भठिंडा हवाईअड्डे लौट गए. जैसे ही प्रधानमंत्री की सुरक्षा टीम ने इस योजना को रद्द कर दिया, उनकी रैली भी रद्द कर दी गई और इसके अलावा हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक के उनके दौरे को भी रद्द कर दिया गया. इसके बाद वह भठिंडा हवाईअड्डे से दिल्ली लौट गए.

एक-दूसरे पर हमलावर भाजपा-कांग्रेस

प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए हवन कराने के लिए पंजाब के राज्यपाल को ज्ञापन देने से लेकर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के भाजपा नेता इस मुद्दे को लेकर बीते तीन दिन से व्यस्त हैं.

भाजपा का आरोप है कि प्रधानमंत्री के काफिले में कथित सुरक्षा चूक मोदी की हत्या की साजिश थी.

 

वहीं, पंजाब कांग्रेस के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भाजपा पर निशाना साधा.

सिद्धू ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने पंजाब दौरे के दौरान यह दावा कर कि उनकी जान को खतरा था, पंजाबियत का अपमान किया है.

सिद्धू ने कहा, ‘किसान एक साल से भी अधिक समय तक दिल्ली के बाहर बैठे रहे. क्या प्रधानमंत्री एक मिनट के लिए भी उनसे मिलने गए? अगर वह पंजाब में अपनी रैली के दौरान अपने वाहन से नीचे उतरते और आगे बढ़ते तो उन्हें पता चलता कि उन्हें नुकसान पहुंचाने की किसी की कोई मंशा नहीं थी.’

सिद्धू ने भाजपा से इस मामले पर राजनीति रोकने को कहा. उन्होंने कहा, ‘कुछ हफ्तों का इंतजार करें और आपको यहां मुंहतोड़ जवाब मिलेगा. जो लोग पंजाब में राष्ट्रपति शासन की बात करते हैं, वे दरअसल आपके (भाजपा) तोते हैं.’

कांग्रेस नेता ने कहा कि असल मकसद प्रधानमंत्री मोदी के फिरोजपुर रैली में शामिल नहीं होने के लिए उनके लिए कोई बहाना ढूंढना और 70,000 कुर्सियों वाले स्थान पर मात्र 500 लोगों को संबोधित कर उन्हें उस अपमान से बचाना था.

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी इस तरह से राजनीति से प्रेरित प्रोपेगैंडा की निंदा करती हूं और मानती है कि इस तरह का ढोंग उन पंजाबियों का बलिदान ही कमतर करता है, जिन्होंने इस देश के निर्माण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.’

उन्होंने कहा, ‘इस तरह की ओछी राजनीति से भाजपा को अनुचित लाभ मिलता है लेकिन यह पंजाब के लोगों के लिए ठीक नहीं है. पंजाब राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर डटकर खड़ा है और उसकी विश्वसनीयता पूरी दुनिया में जानी जाती है. भाजपा को इस स्तर पर समाज को बांटने के अपने निरर्थक प्रयासों को रोक देना चाहिए.’

सिद्धू ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा में चूक केंद्रीय एजेंसियों और गृह मंत्रालय की सामूहिक जिम्मेदारी है.

उन्होंने कहा कि भाजपा इस तरह के आधारहीन आरोप लगाकर जानबूझकर किसानों को बदनाम करने की कोशिश कर रही है जबकि प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय एजेंसियों पर है.

वरिष्ठ पत्रकार जगतार सिंह का कहना है कि भाजपा का यह प्रोपेगैंडा पंजाब को बदनाम करने का प्रयास है ताकि आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए एक नैरेटिव तैयार किया जा सके.

जगतार सिंह ने पूछा, ‘प्रधानमंत्री के काफिले से लगभग एक किलोमीटर दूर बैठे किसान उनकी जान के लिए खतरा कैसे हो सकते हैं?’

उन्होंने कहा कि अगर मोदी के दौरे के दौरान किसी तरह की सुरक्षा चूक हुई थी तो इसकी जांच एजेंसियों को पड़ताल करनी है.

उन्होंने कहा, ‘यह कहना कि उस दूर उन पर हमला किया गया था, अविश्वसनीय है और चुनावों से पहले एक चाल है.’

इस बीच पंजाब में सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर पोस्ट और ट्वीट की भरमार लगी रही और बीते दो दिनों में ‘स्टॉपमलाइनपंजाब’ और ‘वीलवपंजाब’ जैसे हैशटैग ट्रेंड करते रहे.

कई जांचें

इस बीच प्रधानमंत्री की कथित सुरक्षा चूक को लेकर अलग-अलग जांच एजेंसियों ने पहले ही जांच शुरू कर दी है. पंजाब सरकार द्वारा जांच समिति के गठन के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी इसी तरह की एक समिति का गठन कर जांच शुरू की.

एक केंद्रीय जांच दल शुक्रवार को फिरोजपुर में था और वह फ्लाईओवर पर उसी जगह गया, जहां प्रधानमंत्री के काफिले को रोका गया था.

कैबिनेट सचिवालय के सचिव (सुरक्षा) सुधीर कुमार सक्सेना की अगुवाई में समिति गठित की गई, जिसमें इंटेलिजेंस ब्यूरो के संयुक्त निदेशक बलबीर सिंह और स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के आईजी एस.सुरेश भी शामिल हैं.

फ्लाईओवर पर जिस स्थान पर प्रधानमंत्री के काफिले को रोका गया था, वहां जब केंद्रीय जांच टीम पहुंची तो पंजाब डीजीपी सहित पंजाब पुलिस के सभी वरिष्ठ अधिकारी वहां मौजूद थे.

टीम ने पांच जनवरी को मोदी के दौरे के दौरान फ्लाईओवर पर हुए घटनाक्रमों के बारे में पूछताछ की लेकिन वहां मौजूद मीडिया से कोई बात नहीं की.

दूसरी तरफ पंजाब के मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी ने गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कहा गया कि मामले में एफआईआर दर्ज की गई है और पंजाब सरकार की दो सदस्यीय समिति ने पहले ही मामले की जांच शुरू कर दी है और वह इस संबंध में तीन दिनों में रिपोर्ट सौंप सकती है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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