भारत का रक्षा बजट वित्तीय वर्ष 2021-22 में 4.78 करोड़ रुपये था. वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए इसे बढ़ाकर 5.25 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है.
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आम बजट पेश करने के दौरान कहा कि सरकार सशस्त्र बलों के लिए खरीदे जाने वाले उपकरणों में आयात कम करने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में प्रतिबद्ध है.
रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 के रक्षा में बजट में बढ़ोतरी करके इस मद में 5.25 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है, जबकि बीते वित्तीय वर्ष में कुल रक्षा बजट 4.78 लाख करोड़ रुपये था.
वित्त मंत्री ने कहा कि पूंजीगत व्यय के लिए कुल 1,52,369 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं जिसमें नए हथियार, विमान, युद्धपोत और अन्य सैन्य उपकरणों की खरीदी शामिल है.
यह पिछले साल से करीब 12 फीसदी अधिक है. बीते वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1,35,060 करोड़ रुपये इस मद में रखे गए थे, हालांकि संशोधित खर्च 1,38,850 करोड़ रुपये हुआ था.
बजट 2022-23 में राजस्व व्यय की मद में भी 2,33,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो वेतन भुगतान और प्रतिष्ठानों या संपत्ति के रखरखाव में खर्च होगा.
इसके अलावा, पेंशन भुगतान के लिए 1,19,696 करोड़ रुपये और रक्षा मंत्रालय (नागरिक) के लिए 20,100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
बजट में रक्षा क्षेत्र में पूंजीगत और राजस्व व्यय के लिए 3,85,370 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है. यह पिछले बजट की तुलना में करीब 11 फीसदी अधिक है.
वित्तीय वर्ष 2020-21 में रक्षा क्षेत्र में वास्तविक खर्च 3,40,094 करोड़ रुपये रहा था, जबकि बजट 2021-22 में इस मद में 3,47,088 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जबकि संशोधित खर्च 3,68,418 करोड़ रुपये रहा.
सीतारमण ने बताया कि 2022-23 में पूंजीगत खरीदी बजट का 68% घरेलू उद्योग के लिए रखा जाएगा, 2021-22 में यह राशि 58 प्रतिशत थी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्टार्ट-अप और निजी संस्थाओं के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट की 25 फीसदी राशि अलग रखने को एक उत्कृष्ट कदम बताकर सराहना की.
The 68 percent of defence capital procurement budget has been allocated towards local procurement.
It is in line with the ‘Vocal for Local’ push and it will certainly boost the domestic defence industries.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) February 1, 2022
अनुसंधान एवं विकास (R&D) क्षेत्र में विशेष आवंटन पर अधिक जोर
अनुदान मांगों पर ध्यान देते हुए रक्षा सेवाओं पर पूंजीगत व्ययों के लिए 1,52,369.61 करोड़ रुपये की राशि रखी गई है, जबकि पिछले बजट में यह राशि 1,35,060.72 करोड़ रुपये थी.
अपने भाषण में सीतारमण ने यह भी कहा कि ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र को उद्योग, स्टार्ट-अप और शिक्षा के लिए खोला जाएगा, जिसके लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट की 25 प्रतिशत राशि निर्धारित की गई है.
उन्होंने बताया कि डीआरडीओ और अन्य संगठनों के सहयोग से इस क्षेत्र में निजी उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाएगा.
बजट 2022-23 में पहली बार वायु सेना की परियोजनाओं में प्रोटोटाइप विकास के लिए पूंजीगत व्ययों की व्यवस्था की गई है. इस मद के तहत 1,264.90 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है. पिछले बजट में इस मद में कोई प्रावधान नहीं किया गया था.
इस साल सात अलग-अलग निगमों के लिए ‘सार्वजनिक उद्यमों में निवेश’ के तहत 1,310 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता प्रदान की गई है. इन निगमों में सशस्त्र वाहनों से लेकर उन्नत हथियारों, युद्ध सामग्री जैसे उत्पादों की विस्तृत श्रंखला पर काम होता है.
सेना के विमानों और हवाई इंजनों का बजट आधे से भी कम किए गए
‘केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं और परियोजनाएं’ के मद में सेना के लिए 32,015.26 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है, जो पिछले बजट की तुलना में 4,466 करोड़ रुपये से अधिक कम है. इस मद के तहत एयरक्राफ्ट और हवाई इंजनों पर भी खर्च होता है.
बीते वित्तीय वर्ष में इन दो उत्पादों के लिए 4223.80 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, जबकि इस बजट में उसके आधे से कम 2070 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
इस बार नौसेना के पूंजीगत व्यय के बजट में पिछले बजट की तुलना में जरूर वृद्धि की गई है. इस वर्ष 47,590.99 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि बीते वर्ष 33,253.55 करोड़ का प्रावधान था.
इस मामले में सर्वाधिक वृद्धि ‘नौसेना के जहाजी बेड़े’ के लिए की गई है. इस मद में 80% से ज्यादा की वृद्धि की गई है. पिछली बार इस मद में 16,000 करोड़ रुपये की राशि जारी हुई थी, इस बार वह बढ़ाकर 29,452 करोड़ रुपये कर दी गई है.
वायुसेना के बजट में मामूली वृद्धि हुई है. इस बार 55,586 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि पिछले बजट में 53,214.77 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.