बीते जनवरी माह में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस्लामिक मदरसा दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट पर कथित रूप से ‘ग़ैरक़ानूनी और भ्रामक’ फतवा प्रकाशित करने के मामले की जांच करने को कहा था, जिसके बाद सहारनपुर के ज़िलाधिकारी ने वेबसाइट तक पहुंच पर रोक लगा दी है.
सहारनपुर: उतर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम की आधिकारिक वेबसाइट पर सहारनपुर के जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने रोक लगा दी है.
पिछले कई दिनों से गोद लिए बच्चे को लेकर दिए गए फतवे को देखते हुए एक व्यक्ति ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) में शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर आयोग ने सहारनपुर के जिलाधिकारी को इस मामले मे जांच करने के आदेश जारी किए थे.
मामले पर संज्ञान लेते हुए सहारनपुर के जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने जांच पूरी होने तक दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं.
गौरतलब है कि दारुल उलूम की वेबसाइट पर बच्चों को गोद लेने, गोद लिए बच्चे को संपत्ति में कानूनी अधिकार संबंधी फतवे हैं. इसे लेकर एनसीपीसीआर ने सहारनपुर के जिलाधिकारी को नोटिस देकर जांच करने के आदेश दिए हैं.
बीते जनवरी माह में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस्लामिक मदरसा दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट पर कथित रूप से ‘गैरकानूनी और भ्रामक’ फतवा प्रकाशित करने के लिए जांच करने को कहा था.
शीर्ष बाल अधिकार निकाय ने राज्य के मुख्य सचिव को वेबसाइट तक पहुंच (Access) को तब तक अवरुद्ध करने के लिए कहा था जब तक ऐसी सामग्री को हटा नहीं दिया जाता.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया ने इसे कुछ फतवे उठाकर और उन्हें सनसनीखेज बनाकर मदरसों और उनकी शिक्षा को निशाना बनाने का एक और प्रयास कहा है.
एनसीपीसीआर ने कहा कि वह एक शिकायत पर कार्रवाई कर रहा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि वेबसाइट में फतवे की एक सूची है, जो देश के कानून के तहत प्रदान किए गए प्रावधानों के खिलाफ है.
एनसीपीसीआर ने राज्य के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा, ‘बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम की धारा 13 (1) (जे) के तहत शिकायत का संज्ञान लेते हुए वेबसाइट की जांच करने के बाद यह देखा गया कि व्यक्तियों द्वारा उठाए गए मुद्दों के जवाब में दिए गए स्पष्टीकरण और जवाब देश के कानूनों और कृत्यों के अनुरूप नहीं हैं.’
इसने कहा कि इस तरह के बयान बच्चों के अधिकारों के विपरीत थे और वेबसाइट तक खुली पहुंच उनके लिए हानिकारक थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)