कर्नाटक हाईकोर्ट की एकल पीठ ने उडुपी के गवर्मेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की पांच छात्राओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर दो दिन तक चली सुनवाई के अंत में कहा कि यह मामला बड़ी पीठ के समक्ष रखे जाने योग्य है. इन छात्राओं ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब के विरोध के ख़िलाफ़ यह याचिकाएं दायर की हैं.
नई दिल्लीः कर्नाटक हाईकोर्ट की एकल पीठ ने स्कूल और कॉलेज परिसर में हिजाब पर पाबंदी से जुड़़े मामलों की सुनवाई करते हुए बुधवार को इस मामले को बड़ी पीठ के समक्ष भेज दिया है.
हाईकोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं को कोई अंतरिम राहत नहीं देते हुए इस मामले को चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी के पास इस राय के साथ भेज दिया कि वह मामले पर गौर करने के लिए बड़ी पीठ के गठन का फैसला कर सकते हैं.
दरअसल मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनकर कक्षाओं में प्रवेश को लेकर विवाद चरम पर है, जिसके बाद कुछ छात्राओं ने हाईकोर्ट का रुख किया था.
कक्षाओं में हिजाब को लेकर प्रतिबंध के खिलाफ कुछ याचिकाओं पर मंगलवार से सुनवाई कर रहे जस्टिस कृष्णा एस. दीक्षित ने कहा, ‘मुझे लगता है कि इस मामले पर बड़ी पीठ को विचार करने की जरूरत है.’
जस्टिस दीक्षित ने कहा, ‘पर्सनल लॉ के कुछ पहलुओं के मद्देनजर ये मामले बुनियादी महत्व के कुछ संवैधानिक प्रश्नों को उठाते हैं.’
जस्टिस दीक्षित ने कहा, ‘ऐसे मुद्दे जिन पर बहस हुई और महत्वपूर्ण सवालों की व्यापकता को देखते हुए अदालत का विचार है कि चीफ जस्टिस को यह तय करना चाहिए कि क्या इस विषय में एक बड़ी पीठ का गठन किया जा सकता है.’
उन्होंने आदेश में कहा, ‘पीठ का यह भी विचार है कि अंतरिम अर्जियों को भी बड़ी पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए, जिसका गठन चीफ जस्टिस अवस्थी द्वारा किया जा सकता है.’
कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी उडुपी के गवर्मेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की पांच छात्राओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर दो दिवसीय सुनवाई के अंत में की. इन छात्राओं ने कॉलेज में हिजाब प्रतिबंध के विरोध में यह याचिकाएं दायर की हैं.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने अदालत से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि इस प्रतिबंध की वजह से छात्राओं को शिक्षा से वंचित नहीं किया जाए.
उन्होंने कहा, ‘इनके पास शैक्षणिक वर्ष के सिर्फ दो महीने बचे हैं. इन्हें कक्षा से बाहर मत निकालिए. हमें ऐसा रास्ता तलाशने की जरूरत है कि किसी भी छात्रा को शिक्षा से वंचित नहीं किया जाए. आज सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि शांति और संवैधानिकता को बहाल किया जाए. दो महीने में कोई आसमान सिर पर नहीं गिर पड़ेगा.’
लाइव लॉ के के मुताबिक, सुनवाई के दौरान हालांकि जज ने कहा कि यह मामला बड़ी पीठ के समक्ष जाने योग्य है.
जस्टिस दीक्षित ने कहा, ‘यहां तक कि अंतरिम आग्रह पर भी विचार के लिए बड़ी पीठ के समक्ष भेजा जाना चाहिए, जिसे चीफ जस्टिस के निर्देश पर गठित किया जाता है.’
बता दें कि हिजाब को लेकर कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों में विरोध तेज हो गया है और कुछ स्थानों पर यह विरोध हिंसक हो गया है.
कुछ कॉलेजों में लामबंद दक्षिणपंथी भीड़ हिजाब पहने छात्राओं को प्रताड़ित कर रहे हैं. उडुपी, शिवमोग्गा और बागलोकट में कुछ शैक्षणिक संस्थानों में तनाव जारी है, जिस वजह से पुलिस और प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा है.
Gatherings, agitations or protest of any type within the area of 200-meter radius from the gate(s) of schools, PU colleges, degree colleges or other similar educational institutions in Bengaluru city, prohibited for two weeks with immediate effect: Police Dept, Govt of Karnataka pic.twitter.com/zoxCYQ9SOo
— ANI (@ANI) February 9, 2022
इस स्थिति से निपटने के लिए कर्नाटक सरकार ने स्कूल और कॉलेज गेट के 200 मीटर के दायरे में आंदोलनों, विरोध प्रदर्शनों और सभा पर प्रतिबंध लगा दिया है.
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तीन दिनों के लिए राज्य में सभी हाईस्कूल और कॉलेजों में अवकाश घोषित कर दिया है.
पिछले हफ्ते सरकार ने राज्य के सभी स्कूलों और प्री यूनिवर्सिटी कॉलेजों में अपने छात्रों के लिए यूनिफॉर्म निर्धारित करने के आदेश दिए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)