कर्नाटक के कॉलेज में पिछले महीने से हिजाब पहनने को लेकर मचे विवाद से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कक्षाओं में हिजाब और भगवा शॉल नहीं ले जाने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि वह प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा और हाईकोर्ट के उस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर ‘उचित समय’ पर विचार करेगा.
नई दिल्ली/बेंगलुरु: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया और संबंधित पक्षों को विवाद को बड़े स्तर पर न फैलाने की सलाह दी.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा और कर्नाटक हाईकोर्ट के उस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर ‘उचित समय’ पर विचार करेगा, जिसमें विद्यार्थियों से शैक्षणिक संस्थानों में किसी प्रकार के धार्मिक कपड़े नहीं पहनने के लिए कहा गया है.
न्यायालय ने इस मुद्दे को ‘राष्ट्रीय स्तर पर नहीं फैलने’ पर भी जोर दिया.
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की एक पीठ को छात्रों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश ने ‘संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार को निलंबित कर दिया है.’
उन्होंने याचिका सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध भी किया.
याचिका 14 फरवरी के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध अस्वीकार करते हुए शीर्ष अदालत ने इस मामले में जारी सुनवाई का हवाला दिया और कहा कि हम प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेंगे और मामले पर ‘उचित समय’ पर सुनवाई की जाएगी.
कामत ने इसके बाद कहा, ‘मैं हाईकोर्ट द्वारा कल (बृहस्पतिवार) हिजाब के मुद्दे पर दिए अंतरिम आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर कर रहा हूं. मैं कहूंगा कि हाईकोर्ट का यह कहना अजीब है कि किसी भी छात्र को स्कूल और कॉलेज जाने पर अपनी धार्मिक पहचान का खुलासा नहीं करना चाहिए. न केवल मुस्लिम समुदाय के लिए बल्कि अन्य धर्मों के लिए भी इसके दूरगामी प्रभाव होंगे.’
उन्होंने सिखों के पगड़ी पहनने का जिक्र किया और कहा कि हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में सभी छात्रों को निर्देश दिया है कि वे अपनी धार्मिक पहचान बताए बिना शिक्षण संस्थानों में जाएं.
कामत ने कहा, ‘हमारा सम्मानजनक निवेदन यह है कि जहां तक हमारे मुवक्किल की बात है, यह अनुच्छेद 25 (धर्म को मानने और प्रचार करने की स्वतंत्रता) के पूर्ण निलंबन के बराबर है. इसलिए कृपया अंतरिम व्यवस्था के तौर पर इस पर सुनवाई करें.’
कर्नाटक सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश अभी तक नहीं आया है और इस तथ्य पर ध्यान देना चाहिए.
पीठ ने कहा, ‘हाईकोर्ट मामले पर त्वरित सुनवाई कर रहा है. हमें नहीं पता कि क्या आदेश सुनाया जाएगा… इसलिए इंतजार करें. हम देखते हैं कि क्या आदेश आता है.’
याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि सभी स्कूल और कॉलेज बंद हैं. उन्होंने कहा, ‘यह अदालत जो भी अंतरिम व्यवस्था तय करेगी वह हम सभी को स्वीकार्य होगी.’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘मैं कुछ नहीं कहना चाहता. इन चीजों को व्यापक स्तर पर न फैलाएं. हम बस यही कहना चाहते हैं, कामत जी, हम भी सब देख रहे हैं. हमें भी पता है कि राज्य में क्या हो रहा है और सुनवाई में क्या कहा जा रहा है. आप भी इस बारे में विचार करें कि क्या इन चीजों को दिल्ली के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर फैलाना सही है?’
हाईकोर्ट के आदेश में कानूनी सवाल उठने की दलील पर पीठ ने कहा कि अगर कुछ गलत हुआ होगा, तो उस पर गौर किया जाएगा.
पीठ ने कहा, ‘यकीनन हम इस पर गौर करेंगे. निश्चित रूप से, अगर कुछ गलत होता है तो हम उसे सही करेंगे. हमें सभी के संवैधानिक अधिकार की रक्षा करनी है. इस समय उसके गुण-दोष पर बात न करें. देखते हैं क्या होता है. हम उचित समय पर इसमें हस्तक्षेप करेंगे. हम उचित समय पर मामले पर सुनवाई करेंगे.’
हिजाब के मुद्दे पर सुनवाई कर रही कर्नाटक हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने बृहस्पतिवार को मामले का निपटारा होने तक छात्रों से शैक्षणिक संस्थानों के परिसर में धार्मिक कपड़े पहनने पर जोर नहीं देने के लिए कहा था. इसके निर्देश के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.
एक मुस्लिम छात्रा द्वारा दायर याचिका में हाईकोर्ट के निर्देश के साथ ही तीन न्यायधीशों की पीठ के समक्ष चल रही सुनवाई पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है.
याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देकर उनके मौलिक अधिकार कम करने की कोशिश की.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कक्षाओं में हिजाब और भगवा शॉल नहीं ले जाने का आदेश दिया था
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब विवाद से जुड़ीं लंबित याचिकाओं पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए राज्य सरकार से शिक्षण संस्थानों को पुन: खोलने का अनुरोध किया है, साथ ही विद्यार्थियों को भी कक्षा के भीतर भगवा शॉल, गमछा, हिजाब या किसी तरह का धार्मिक झंडा आदि ले जाने से रोक दिया है.
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह आदेश केवल ऐसे संस्थानों पर लागू होगा, जहां की महाविद्यालय विकास समिति ने विद्यार्थियों के लिए ड्रेस कोड या यूनीफार्म लागू की है.
मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘हम राज्य सरकार और सभी हितधारकों से अनुरोध करते हैं कि वे शिक्षण संस्थानों को खोलें और विद्यार्थियों को कक्षाओं में यथाशीघ्र लौटने की अनुमति दें. संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई लंबित रहने के मद्देनजर अगले आदेश तक हम सभी विद्यार्थियों को भले वे किसी धर्म और आस्था के हों, कक्षा में भगवा शॉल, गमछा, हिजाब, धार्मिक झंडा या इस तरह का सामान लेकर आने पर रोक लगाते हैं.’
इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश अवस्थी के अलावा जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित और जस्टिस जेएम काजी भी शामिल है. अदालत ने बृहस्पतिवार को यह आदेश पारित किया था, जिसकी प्रति शुक्रवार को उपलब्ध कराई गई.
आदेश में न्यायाधीशों ने गत कुछ दिनों से चल रहे प्रदर्शन और शिक्षण संस्थानों के बंद होने पर पीड़ा व्यक्त की, ‘खासतौर पर तब जब अदालत इस मामले पर विचार कर रही है और संवैधानिक महत्व और पसर्नल कानून पर गंभीरता से बहस चल रही है.’
अदालत ने रेखांकित किया कि भारत बहु-संस्कृति, विभिन्न धर्मों और भाषाओं का देश है.
पीठ ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष राज्य होने के नाते देश स्वयं की किसी धर्म से पहचान नहीं करता. अदालत ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को अपने धार्मिक विश्वास का पालन करने का अधिकार है.
अदालत ने टिप्पणी की, ‘सभ्य समाज होने के नाते, किसी भी व्यक्ति को धर्म, संस्कृति या ऐसे ही विषयों को सार्वजनिक शांति और सौहार्द्र को भंग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. अंतविहीन प्रदर्शन और अनिश्चितकाल के लिए शिक्षण संस्थानों की बंदी प्रसन्न करने वाली घटना नहीं है.’
अदालत ने कहा कि विद्यार्थियों का बेहतर हित उनके कक्षाओं में वापस जाने से है, बजाय लगातार प्रदर्शन करने से.
शिक्षण संस्थानों के बंद होने के नतीजे पर पीठ ने कहा कि अकादमिक वर्ष जल्द समाप्त होने वाला है और उम्मीद करते हैं कि सभी हितधारक और जनता शांति और सद्भावना बनाए रखेगी.
अदालत ने इसके साथ ही मामले की सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तारीख तय की है.
उल्लेखनीय है कि मुस्लिम लड़की द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए बीते नौ फरवरी को तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित की गई.
लड़की ने जस्टिस दीक्षित की एकल पीठ द्वारा हिजाब पर रोक लगाने के फैसले को चुनौती दी है, जो बीते आठ फरवरी से सुनवाई कर रही थी और मुख्य न्यायाधीश अवस्थी को यह विचार रखते हुए मामले को भेज दिया था कि बड़ी बेंच इस पर सुनवाई कर सकती है.
कर्नाटक सरकार ने स्कूलों को खोलने के संदर्भ में हाईकोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी के मद्देनजर बृहस्पतिवार रात को फैसला किया कि सोमवार (14 फरवरी) से हाईस्कूल की कक्षाएं बहाल होंगी.
सरकार ने कहा कि विद्यार्थियों को धर्म से जुड़ा कुछ भी पहनकर आने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिससे लोग भड़क सकते हैं.
गौरतलब है कि हिजाब का विवाद उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में सबसे पहले तब शुरू हुआ था, जब छह लड़कियां पिछले साल दिसंबर में हिजाब पहनकर कक्षा में आईं और उनके जवाब में महाविद्यालय में हिंदू विद्यार्थी भगवा गमछा पहनकर आने लगे.
धीरे-धीरे यह विवाद राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया, जिससे कई स्थानों पर शिक्षण संस्थानों में तनाव का महौल पैदा हो गया और हिंसा हुई.
इसके बाद कर्नाटक सरकार ने किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए बीते नौ फरवरी से राज्य के माध्यमिक और विश्वविद्यालय पूर्व कक्षाओं में तीन दिन की छुट्टी घोषित कर दी.
इस विवाद के बीच एक छात्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर करके कक्षा के भीतर हिजाब पहनने का अधिकार दिए जाने का अनुरोध किया था.
याचिका में यह घोषणा करने की मांग की गई है कि हिजाब (सिर पर दुपट्टा) पहनना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत एक मौलिक अधिकार है और यह इस्लाम की एक अनिवार्य प्रथा है.
हिजाब के लिए प्रदर्शन कर रहीं लड़कियों की निजी जानकारी साझा करने की शिकायत
कर्नाटक के उडुपी स्थित सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में हिजाब पहनने के अधिकार के लिए प्रदर्शन करने वाली छह मुस्लिम लड़कियों के माता-पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि कुछ लोग उनकी बेटियों की निजी जानकारी सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं.
उडुपी जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) एन. विष्णुवर्धन को की गई शिकायत में अभिभावकों ने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है जो सार्वजनिक रूप से लड़कियों का मोबाइल फोन नंबर सहित निजी जानकारी साझा कर रहे हैं.
अभिभावकों ने आशंका जताई है कि शरारती तत्व इस जानकारी का इस्तेमाल लड़कियों को धमकाने के लिए कर सकते हैं.
विष्णुवर्धन ने बताया कि लड़कियों के माता-पिता ने मामले में लिखित शिकायत की है. एसपी ने कहा कि ऑनलाइन मंच पर उपलब्ध साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं और जानकारी प्राप्त होने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी.
कर्नाटक में दसवीं की कक्षाएं 14 फरवरी से, पीयूसी और डिग्री कॉलेज दूसरे चरण में शुरू होंगी
कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद के बीच राज्य सरकार ने 10वीं के छात्रों के लिए कक्षाएं अगले सप्ताह से शुरू करने का बृहस्पतिवार को निर्णय किया.
10वीं तक के छात्रों के लिए कक्षाएं 14 फरवरी से उसके बाद महाविद्यालयों तथा डिग्री कॉलेजों में कक्षाएं फिर से शुरू करने का फैसला प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा विभागों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया.
बोम्मई ने कहा, ‘तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा है कि वे दैनिक आधार पर मामले की सुनवाई करेंगे और सभी को शांति बनाए रखनी चाहिए तथा आदेश आने तक स्कूल-कॉलेजों में धार्मिक कपड़े नहीं पहनना चाहिए. हाईकोर्ट ने फिर से शैक्षणिक संस्थानों को खोलने के निर्देश भी दिए हैं.’
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि बैठक में स्कूल और कॉलेज परिसर में शांति बनाए रखने और छात्रों के लिए एक साथ पढ़ाई का माहौल बनाने तथा कानून-व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से चर्चा की गई.
बोम्मई ने कहा, ‘यह तय किया गया है कि 10वीं कक्षा तक की हाई स्कूल की कक्षाएं सोमवार से शुरू होंगी और दूसरे चरण में महाविद्यालय और डिग्री कॉलेज खुलेंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)