‘भाजपा लक्ष्मीबाई से वही झांसी छीन रही है जो वे मरते दम तक अंग्रेज़ों को नहीं देना चाहती थीं’

ग्राउंड रिपोर्ट: विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर ‘वीरांगना लक्ष्मीबाई’ कर दिया था, जिससे झांसी के लोग ख़ुश नहीं हैं. यहां तक कि स्वयं को सरकार और भाजपा समर्थक बताने वाले लोग भी इसे ग़लत बता रहे हैं.

/
झांसी का वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन (फोटो: दीपक गोस्वामी)

ग्राउंड रिपोर्ट: विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर ‘वीरांगना लक्ष्मीबाई’ कर दिया था, जिससे झांसी के लोग ख़ुश नहीं हैं. यहां तक कि स्वयं को सरकार और भाजपा समर्थक बताने वाले लोग भी इसे ग़लत बता रहे हैं.

वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन. (फोटो: दीपक गोस्वामी/द वायर)

‘सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी…’

ये पंक्तियां सुनाते हुए उत्तर प्रदेश के झांसी निवासी राज यादव के चेहरे पर गर्व भरी मुस्कान आ जाती है और उनके हाव-भाव में एक अलग ही जोश नजर आता है. राज पेशे से ऑटो चालक हैं, जब उनसे प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदले जाने को लेकर सवाल किया तो, उन्होंने जवाब में ये पंक्तियों सुनाईं.

फिर आगे कहा, ‘स्कूल में हमें पढ़ाया गया कि ‘खूब लड़ी मर्दानी, वो तो झांसी वाली रानी थी’, उसी रानी के नाम से झांसी को अलग कर दिया. ये गलत है.’

इसी दौरान एक बुजुर्ग ऑटो चालक, जो अब तक की बातचीत में यूपी में भाजपा सरकार की वापसी को लेकर आश्वस्त थे, कहने लगे, ‘नाम बदलना तो हमें भी बहुत गलत लगा. हमारी पीढ़ी की पीढ़ी चली गईं तब से स्टेशन झांसी नाम से प्रसिद्ध था… अब उसे वीरांगना लक्ष्मीबाई कर दिया, कायदे से उसमें झांसी वापस लगाना चाहिए.’

वे आगे बोले, ‘भाजपा भले ही आए, लेकिन इस बात का तो हम विरोध करेंगे. ये बहुत गलत हो रहा है, कभी इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर दो, तो कभी झांसी स्टेशन का नाम बदल दो. ये सारी चीजें तो भाजपा बहुत गलत कर रही है, ये तो हम भी कहेंगे.’

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर ‘वीरांगना लक्ष्मीबाई’ कर दिया था.

योगी सरकार, जो जगहों के नाम बदलने के लिए अक्सर सुर्खियों में रहती है, इससे पहले फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या, इलाहाबाद का प्रयागराज और मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलकर दीन दयाल उपाध्याय करने जैसे फैसले लेकर सुर्खियों में रही थी.

लेकिन, इस बार जिस रेलवे स्टेशन का नाम बदला गया है, जिसका नामकरण न तो अंग्रेजों ने किया था और न ही मुगलों ने, जो अक्सर नामों को लेकर भाजपा और संघ परिवार का प्रिय बहाना होता है.

बुंदेलखंड क्षेत्र के सबसे बड़े शहर और देश के सबसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में से एक में शुमार इस स्टेशन का नाम बदलने का समय भी सरकार की मंशा पर इसलिए संदेह खड़ा करने वाला था क्योंकि कुछ ही दिनों में राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने वाली थी. लेकिन चुनावों में योगी सरकार को इस फैसले से झांसी में कोई लाभ होता नहीं दिख रहा है, उल्टा लोगों में रोष नजर आता है.

झांसी के लोग पार्टी या विचारधारा से ऊपर उठकर सरकार के इस कदम की आलोचना कर रहे हैं और इसे झांसी की पहचान पर प्रहार करार दे रहे हैं.

रेलवे के ही एक कर्मचारी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, ‘उन्हें (योगी) शायद लगे कि लोग खुश हैं, लेकिन एक प्रतिशत लोग भी खुश नहीं हैं.’

वे आगे कहते हैं, ‘झांसी के नाम से ही रानी लक्ष्मीबाई की पहचान थी. उन्होंने स्वयं कहा था कि मैं मरते दम तक अपनी झांसी नहीं दूंगी. आप (योगी सरकार) उनके ही कथन को बदल रहे हैं, झांसी को उनसे छीन रहे हैं. ऐसा करोगे तो लोगों के दिल पर तो चोट लगेगी न. अगर ‘रानी लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन झांसी’ करते तो चल जाता. जो झांसी हटाया है, उसे जोड़ना चाहिए.’

एक अन्य नागरिक राशिद खान भी यही कहते हैं कि नाम में झांसी जोड़ा जाना चाहिए. वे कहते हैं, ‘अगर आपने वीरांगना लक्ष्मीबाई किया तो ‘वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी’ कर लेते. उनकी पहचान झांसी की रानी से ही है. आज हम दूर देश में कहीं भी जाकर बताते हैं कि हम झांसी से आए हैं तो लोग तपाक से पूछते हैं कि वही ‘झांसी की रानी वाला झांसी’?’

कॉलेज छात्र और भाजपा समर्थक वैभव यादव कहते हैं, ‘अलीगढ़ में ताले बनते हैं, नाम बदलने से वहां ताले बनना बंद नहीं हो जाएंगे. वैसे ही झांसी का महत्व नहीं खो जाएगा… कहेंगे तो यही कि खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी. इसलिए नाम झांसी रखें या वीरांगना लक्ष्मीबाई, फर्क नहीं पड़ता. हां, रानी लक्ष्मीबाई के नाम के आगे झांसी जोड़ना चाहिए था.’

शहर के एक व्यस्ततम चौराहे पर फुटपाथ पर दुकान चलाने वाले सौरभ सरकार को सुझाव देते हैं कि नाम बदलने से बेहतर अगर महंगाई पर ध्यान देते तो ज्यादा बेहतर होता. वे कहते हैं, ‘नाम बदलकर क्या कर लोगे. झांसी तो झांसी ही रहेगा, कुछ भी कर लो. यहां चित्रा चौराहा का नाम बदलकर शाम पैलेस कर दिया, लेकिन लोग चित्रा कहते हैं आज भी.’

वे आगे कहते हैं, ‘चाहे कोई भी सरकार हो, राजनीति को बस अपनी मनमानी करनी है. महंगाई पर ध्यान दो तो वह ज्यादा अच्छा है, ये नहीं.’

झांसी के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले अलग-अलग जाति, वर्ग, समुदाय और व्यवसाय से जुड़े अनेक लोग फैसले का विरोध ही करते नज़र आए. जिनमें बड़ी संख्या उन लोगों की भी रही जो स्वयं को भाजपा, मोदी, योगी और सरकार समर्थक बता रहे थे.

एक स्थानीय भगवत शरण कहते हैं, ‘स्टेशन की शान ही खत्म कर दी.’ वहीं रिंकू प्रजापति नाम के शख्श ने कहा, ‘अब स्टेशन पर नजर पड़ती है तो पढ़ने में बड़ा अजीब लगता है.’

पेशे से कवि विनोद साहू स्वयं को पीढ़ियों पुराना भाजपाई बताते हैं, लेकिन भाजपा की प्रशंसा करने के दौरान झांसी रेलवे स्टेशन का नाम सुनते ही वे उग्र होकर कहने लगे, ‘गलत है ये. क्या वो (सरकार) ही भक्त हैं झांसी के, हम नहीं हैं? झांसी पर्याय है रानी लक्ष्मीबाई का. झांसी नाम लेते ही ज़हन में अपने-आप झांसी की रानी उभर आती हैं. झांसी और रानी लक्ष्मीबाई के जुड़ाव से बड़ा और कुछ नहीं हो सकता.’

एक अन्य रेलवे कर्मचारी जो कभी झांसी मे पत्रकार भी रहे थे, बताते हैं, ‘योगी सरकार ने पहले भी नाम बदले… ठीक है, वो मुगलों और अंग्रेजों ने दिए. लेकिन, झांसी न तो मुगलों और न ही अंग्रेजों की देन था. ये बुंदेली भाषा का एक शब्द था, जिसका अर्थ परछाई होता है. यह नाम बुंदेलखंड क्षेत्र के ही एक राजा ने दिया था जिसका अपभ्रंश झांसी बना इसलिए सब इसके विरोध मे हैं.’

झांसी में अमर उजाला के संपादक रहे वरिष्ठ पत्रकार वंशीधर मिश्र इस फैसले को पागलपन करार देते हैं. उनका कहना है, ‘मैं पूछता हूं कि राम बड़े थे या अयोध्या बड़ी है? स्वाभाविक तौर पर अयोध्या बड़ी है, राम नहीं क्योंकि रामचरितमानस में स्वयं राम के हवाले से लिखा है कि वे अयोध्या में बार-बार जन्म लेना चाहते थे. रामायण में लिखा है, जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी  यानी जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है. इसलिए स्थान हमेशा व्यक्ति से बड़ा होता है.’

वे सवाल उठाते हैं, ‘क्या अयोध्या को राम के नाम पर रामचंद्र नगर कर दिया जाए या दशरथ नगर कर दिया जाए? अयोध्या को तो बदलने की कोशिश नहीं की, क्योंकि अयोध्या का महत्व आज भी ज्यादा है… अयोध्या के राजा राम, अयोध्या के राजा दशरथ… इसलिए लक्ष्मीबाई भी झांसी की रानी थीं.’

बहरहाल, वंशीधर यह भी कहते हैं कि चुनाव में इस परिवर्तन से कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

स्थानीय पत्रकार लक्ष्मी नारायण शर्मा बताते हैं, ‘सरकार ने एक तरह से रानी लक्ष्मीबाई के नाम का तमाशा बना दिया. झांसी, उनके नाम का पर्याय है, इसलिए पूरा झांसी विरोध में है. स्थानीय भाजपा सांसद और विधायकों ने भी विरोध भांप लिया और भारत सरकार को पत्र लिखकर नाम में झांसी जोड़ने की मांग की है.’

वहीं, एक और बिंदु था, जो अमर सिंह नामक एक युवक ने उठाया. उन्होंने कहा, ‘हम दलितों के लिए तो यह मुद्दा है क्योंकि रानी लक्ष्मीबाई को सम्मान देते हुए झांसी की ही झलकारी बाई को क्यों भुलाया जाता है? सदियों से जो अच्छा-भला चल रहा था, भाजपा उसे क्यों बदलना चाहती है?’

पेशे से चाय बेचने वाले महेंद्र सिंह कहते हैं, ‘स्वतंत्रता की लड़ाई केवल रानी लक्ष्मीबाई नहीं लड़ीं, औरतें इकट्ठा करके कानपुर की एक तवायफ अज़ीज़न बाई भी लड़ी थीं. नाम बदलना तब सही लगता है, जब इतिहास द्वारा भुलाए गए लोगों को सम्मान दिया जाए.’

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq