लखीमपुर हिंसा: केंद्रीय मंत्री के बेटे की ज़मानत के ख़िलाफ़ शीर्ष अदालत में अर्ज़ी दायर

लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़मानत दी थी. इसे रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका में कहा गया है कि यह निर्णय क़ानून के लिहाज से टिकाऊ नहीं है क्योंकि इस पर ठीक तरह से विचार नहीं किया गया है और प्रत्यक्ष साक्ष्य के समर्थन के बिना ‘हो सकता है’ का सहारा लिया.

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आशीष मिश्रा. (फाइल फोटो: एएनआई)

लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़मानत दी थी. इसे रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका में कहा गया है कि यह निर्णय क़ानून के लिहाज से टिकाऊ नहीं है क्योंकि इस पर ठीक तरह से विचार नहीं किया गया है और प्रत्यक्ष साक्ष्य के समर्थन के बिना ‘हो सकता है’ का सहारा लिया.


नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर करके केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने का अनुरोध किया गया है, जिसे लखीमपुर खीरी हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. उक्त घटना में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के गत 10 फरवरी के आदेश को रद्द करने के अनुरोध वाली एक पत्र अर्जी पर दर्ज स्वत: संज्ञान मामले में अधिवक्ताओं शिव कुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा द्वारा एक आवेदन दाखिल किया गया है.

उन्होंने जस्टिस (सेवानिवृत्त) राकेश जैन के नेतृत्व वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) और अभियोजन पक्ष और उत्तर प्रदेश पुलिस से यह सवाल करने का अनुरोध किया गया है कि चीजों में देरी क्यों की जा रही है. साथ ही इसमें यह भी निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि आरोपपत्र वाली रिपोर्ट की एक प्रति प्रस्तुत की जाए.

अर्जी में कहा गया है कि जमानत आदेश में स्पष्ट त्रुटि है क्योंकि उच्च न्यायालय ने एक निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए ‘हो सकता है’ शब्द का उपयोग किया और कहा कि हो सकता है कि उक्त अपराध चालक द्वारा खुद को बचाने के लिए गति बढ़ाने के चलते हुआ हो.

इसमें कहा गया है, ‘उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने जो फैसला दिया है वह कानून के लिहाज से टिकाऊ नहीं है क्योंकि उन्होंने इस पर ठीक तरह से विचार नहीं किया और प्रत्यक्ष साक्ष्य के समर्थन के बिना ‘हो सकता है’ का सहारा लिया.’

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गत 10 फरवरी को आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी जो पिछले चार महीने से हिरासत में थे.

पिछले साल 17 नवंबर को शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश एसआईटी द्वारा जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था.

यह कहते हुए कि इस तरह के अपराधों की जांच करते हुए, ‘न्याय न केवल किया जाना चाहिए, बल्कि यह दिखना चाहिए और लोगों द्वारा यह माना जाना चाहिए कि न्याय हुआ है’, मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के नेतृत्व वाली पीठ ने एसआईटी के पुनर्गठन और उसमें आईपीएस अधिकारियों- एस बी शिराडकर, पद्मजा चौहान और प्रीतिंदर सिंह को शामिल करने का आदेश दिया था.

गौरतलब है कि पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया गांव में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा को नौ अक्टूबर 2021 को मुख्य अभियुक्त के तौर पर गिरफ्तार किया गया था.

तीन अक्टूबर 2021 को यानी घटना के दिन लखीमपुर खीरी के सांसद अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के विरोध में वहां के आंदोलित किसानों ने उनके (टेनी) पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया था.

आरोप है कि इस दौरान जिले के तिकुनिया में अजय कुमार मिश्रा से संबंधित महिंद्रा थार सहित तीन एसयूवी के एक काफिले ने तिकुनिया क्रॉसिंग पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को रौंद दिया था, जिसमें चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गई थी और लगभग आधा दर्जन लोग घायल हुए थे.

मामले में अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा और उसके दर्जन भर साथियों के खिलाफ चार किसानों को थार जीप से कुचलकर मारने और उन पर फायरिंग करने जैसे कई गंभीर आरोप हैं.

गाड़ी से कुचल जाने से मृत किसानों में गुरविंदर सिंह (22 वर्ष), दलजीत सिंह (35 वर्ष), नक्षत्र सिंह और लवप्रीत सिंह के अलावा पत्रकार रमन कश्यप शामिल थे.

प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह को एसयूवी ​के काफिले से कुचले जाने के बाद भीड़ द्वारा दो भाजपा कार्यकर्ताओं समेत तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी.

इनकी पहचान भाजपा कार्यकर्ताओं- शुभम मिश्रा (26 वर्ष) और श्याम सुंदर (40 वर्ष) और केंद्रीय राज्य मंत्री की एसयूवी के चालक हरिओम मिश्रा (35 वर्ष) के रूप में हुई थी.

इस संबंध में पहली प्राथमिकी एक किसान द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिसमें आशीष मिश्रा और 15-20 अन्य पर चार किसानों और एक पत्रकार को कुचलने का आरोप लगाया गया था.

हिंसा की जांच के लिए गठित एसआईटी ने आशीष मिश्रा, सुमित जायसवाल, अंकित दास और 11 अन्य के खिलाफ आईपीसी, शस्त्र कानून की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी संख्या-219 के संबंध में तीन जनवरी को आरोप-पत्र दाखिल किया था.

दूसरी प्राथमिकी दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की हत्या के मामले में सुमित जायसवाल ने दर्ज कराई थी. प्राथमिकी संख्या-220 के संबंध में जांच करते हुए एसआईटी ने सात लोगों की पहचान की थी और उन्हें गिरफ्तार किया था.

हालांकि, बीते जनवरी माह में ही आरोप-पत्र दाखिल करते समय केवल चार किसानों को ही आरोपी बनाया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)