एनएसई प्रमुख के कदाचार की जानकारी होते हुए भी बोर्ड ने उन्हें इस्तीफ़ा देकर जाने दिया: सेबी

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने कहा है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय एक अज्ञात 'योगी' का मार्गदर्शन लेती थीं, यह जानने के बावजूद एनएसई बोर्ड ने उन्हें इस्तीफ़े की अनुमति दी और उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की.

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एनएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ चित्रा रामकृष्ण. (फोटोः रॉयटर्स)

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने कहा है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय एक अज्ञात ‘योगी’ का मार्गदर्शन लेती थीं, यह जानने के बावजूद एनएसई बोर्ड ने उन्हें इस्तीफ़े की अनुमति दी और उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की.

एनएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ चित्रा रामकृष्ण (फोटोः रॉयटर्स)

नई दिल्ली: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) बोर्ड को अपनी तत्कालीन एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण की ओर से की गईं गंभीर अनियमितताओं और कदाचार की जानकारी पहले से थी. इसके बावजूद भी उसने इस संबंध में बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को सूचित नहीं किया. बल्कि, इसके बजाय चित्रा को सम्मान के साथ जाने दिया.

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है.

अखबार के मुताबिक, ‘जब उन्होंने 2 दिसंबर 2016 को इस्तीफा दिया, तब एनएसए बोर्ड के अध्यक्ष पूर्व वित्त सचिव अशोक चावला थे और इसमें सेबी के पूर्व कार्यकारी निदेशक धर्मिष्ठा रावल, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्ण, कॉरपोरेट मंत्रालय के पूर्व सचिव नवीद मशूद, केपीएमजी इंडिया के पूर्व डिप्टी चीफ एक्जीक्यूटिव दिनेश कनाबर, मणिपाल ग्लोबल एजुकेशन सर्विसेज के चेयरमैन मोहनदास पाई, जनरल अटलांटिक एडवाइजरी के निदेशक अभय हवलदार, अजीम प्रेमजी इन्वेस्टमेंट के सीआईओ प्रकाश पार्थसारथी के अलावा उपाध्यक्ष (वाइस चेयरमैन) रवि नारायण और स्वयं रामकृष्ण शामिल थीं.’

सेबी के मुताबिक, यह जानने के बाद भी कि रामकृष्ण महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय एक अज्ञात व्यक्ति का मार्गदर्शन लेती थीं, एनएसई बोर्ड ने उन्हें इस्तीफा देकर जाने की अनुमति दी और 2 दिसंबर 2016 को हुई बोर्ड बैठक में उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने संगठन को आगे बढ़ाने में उत्कृष्ट योगदान दिया है.

नियामक की ओर से यह टिप्पणी तब आई है जब उसने अक्टूबर 2019 और दिसंबर 2019 में भेजे कारण बताओ नोटिस पर एनएसए और रामकृष्ण की प्रतिक्रियाओं को सुना.

कनाबर, पाई और मसूद रामकृष्ण के इस्तीफे से पांच महीने पहले ही कंपनी के बोर्ड में जुलाई 2016 में शामिल हुए थे. चावला एनएसई के चेयरमैन मई 2016 में बने. उनसे पहले इस पद पर एलआईसी के पूर्व प्रमुख एसबी माथुर थे, जिन्होंने अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा किया था.

एमडी के सलाहकार और पूर्व समूह संचालन अधिकारी आनंद सुब्रमनियन, जिनकी नियुक्ति पर विवाद है, एनएसई में माथुर के कार्यकाल के दौरान ही शामिल हुए थे. रामकृष्ण द्वारा की गई यह मनमानी नियुक्ति एनएसई की नीतियों का अनुपालन नहीं करती थी. साथ ही, उन्होंने एक अंजान व्यक्ति के साथ गुप्त जानकारियां साझा कीं और एनएसई को यह कहकर भ्रमित किया कि वह अनजान व्यक्ति एक ‘सिद्ध पुरुष’ थे.

रामकृष्ण के पद छोड़ने के समय बोर्ड में रहे एक पूर्व निदेशक के मुताबिक, अगस्त 2016 के आसपास सेबी ने बोर्ड के साथ संवाद किया था और सुब्रमण्यम की नियुक्ति व पारिश्रमिक से जुड़े कथित उल्लंघनों की ओर इशारा किया था. नियामक को इसकी सूचना एक अज्ञात पत्र के माध्यम से मिली थी.

सेबी ने उस दौरान बोर्ड को मामले की जांच करने के लिए कहा था, जिस पर बोर्ड ने एक जांच समिति का गठन किया था, जिसकी अध्यक्षता बोर्ड की ऑडिट समिति के प्रमुख दिनेश कनाबर ने की थी.

पूर्व निदेशक ने गोपनीयता की शर्त पर बताया है, ‘हमने पाया कि सीईओ रामकृष्ण ने अपनी शक्ति का घोर दुरुपयोग करके चार साल के लिए सुब्रमनियन को आर्थिक  मोटा फायदा पहुंचाया। मानव संसाधन विभाग से इसकी पुष्टि हुई थी.’

अक्टूबर 2016 में बोर्ड की बैठक में तय हुआ कि सुब्रमनियन को जाना पड़ेगा. निदेशक के मुताबिक, इससे बोर्ड व रामकृष्ण के बीच विवाद खड़ा हो गया.

पूर्व निदेशक के मुताबिक, सुब्रमनियन के जाने के बाद बोर्ड ने अर्नस्ट एंड यंग से एक फॉरेंसिक जांच कराई थी, जिसमें सुब्रमनियन की नियुक्ति और पारिश्रमिक से संबंधित रामकृष्ण द्वारा भेजे गए ई-मेल की जांच की गई थी. अर्नस्ट एंड यंग की रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड का रामकृष्ण से टकराव हुआ, जिसके परिणामस्वरूप रामकृष्ण ने इस्तीफा दिया.

हालांकि, उस समय इसे निजी कारणों से दिया गया इस्तीफा बताया गया.

इंडियन एक्सप्रेस ने इस संबंध में उस समय बोर्ड से जुड़े रहे कुछ लोगों से चर्चा की लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

सेबी ने बताया कि एनएसई और इसके बोर्ड को रामकृष्ण द्वारा गोपनीय सूचनाओं के आदान-प्रदान संबंधी जानकारी थी, फिर भी उसने सेबी को मामले की जानकारी नहीं दी.

11 फरवरी 2022 को सेबी ने अपने आदेश में एनएसई के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाए हैं. सेबी ने कहा कि एनएसई का कामकाज का तरीका पेशेवर नहीं था और उसने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया.

सेबी ने कहा कि एक्सचेंज के कामकाज में कोई भी बड़ी चूक से सेबी को अवगत कराया जाना चाहिए, जो इस मामले में नहीं हुआ.

इसके अलावा, रामकृष्ण को केवल इस्तीफा देने की अनुमति देकर और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न करके एनएसई ने प्रतिभूति बाजार के हित में काम नहीं किया है, जिसका परिणाम यह निकला कि वह अपने प्राथमिक कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल हुआ.