कोर्ट ने चारा घोटाले के तहत डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये के गबन मामले में लालू प्रसाद यादव के अलावा पूर्व सांसद आरके राणा को भी पांच वर्ष क़ैद और 60 लाख रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई है. पशुपालन विभाग के तत्कालीन सचिव बेक जूलियस को 4 साल कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने का दंड मिला है.
रांची: चारा घोटाला के तहत डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये के गबन के मामले में दोषी करार दिए गए राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को यहां की विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार को पांच साल कैद और 60 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.
साथ ही अदालत ने अन्य अभियुक्तों को कैद के अलावा दो करोड़ रुपये तक जुर्माने की सजा सुनाई.
विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व सांसद आर.के. राणा को भी मामले में पांच वर्ष कैद एवं 60 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. पशुपालन विभाग के तत्कालीन सचिव बेक जूलियस को चार वर्ष कैद और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है.
इससे पूर्व, चारा घोटाले के तहत डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये के गबन के मामले में दोषी करार दिए गए लालू प्रसाद यादव समेत 38 दोषियों की सजा पर अपराह्न बहस पूरी होने के बाद विशेष सीबीआई अदालत ने फैसला दोपहर डेढ़ बजे तक के लिए सुरक्षित कर लिया था.
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके शशि ने सजा पर दोपहर बारह बजे से करीब 40 मिनट तक इस मामले के पक्षकारों की दलीलें सुनीं.
लालू के अधिवक्ता देवर्षि मंडल ने बताया कि अदालत ने नरमी बरतते हुए तीन अभियुक्तों को तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई और उन्हें सीबीआई अदालत से आज ही जमानत मिल गई.
राजद के महासचिव एवं शीर्ष नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने बताया कि लालू प्रसाद यादव सुनाई गई सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख करेंगे और उनकी जमानत की याचिका भी शीघ्र उच्च न्यायालय में दाखिल की जाएगी.
इससे पूर्व सजा पर बहस के दौरान लालू प्रसाद के अधिवक्ता देवर्षि मंडल ने अदालत में कहा कि उनके मुवक्किल की उम्र लगभग 75 वर्ष हो चुकी है और वह 17 विभिन्न तरह की बीमारियों से पीड़ित हैं जिसे ध्यान में रखते हुए रहमदिल होकर उन्हें सजा सुनाई जाए.
इसी प्रकार अन्य कई अभियुक्तों की ओर से कहा गया कि इस मामले में 26 साल तक मुकदमा चला है जो अपने आप में एक सजा है, अतः उनकी बीमारी और उम्र के मद्देनजर अदालत रहम करते हुए कम से कम सजा सुनाए.
गौरतलब है कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के न्यायाधीश एसके शशि ने 15 फरवरी को लालू यादव समेत 38 आरोपियों को इस मामले में दोषी करार दिया था.
950 करोड़ रुपये का यह घोटाला अविभाजित बिहार के विभिन्न जिलों में धोखाधड़ी कर सरकारी खजाने से सार्वजनिक धन की निकासी से संबंधित है.
इससे पहले राजद सुप्रीमो को चारा घोटाला मामले में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई है और कुल 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. उन्हें दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार से जुड़े चार मामलों में जमानत मिल गई है.
चारा घोटाला मामला जनवरी 1996 में पशुपालन विभाग में छापेमारी के बाद सामने आया था. सीबीआई ने जून 1997 में लालू प्रसाद को एक आरोपी के रूप में नामजद किया था. उस वक्त लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे.
चारा घोटाला के मामलों में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पहली बार 30 जुलाई, 1997 को जेल गए और 134 दिनों तक न्यायिक हिरासत में रहे.
30 सितंबर, 2013 को चाईबासा कोषागार में 37 करोड़ रुपये के गबन के मामले में लालू प्रसाद यादव को पहली बार रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने दोषी ठहराया और जेल भेजा.
बाद में अदालत ने तीन अक्टूबर को उन्हें पांच वर्ष कैद और दस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी जिसके बाद वह यहां बिरसा मुंडा जेल में 13 दिसंबर, 2013 तक बंद रहे.
लालू यादव को इस मामले में 13 दिसंबर, 2013 को उच्चतम न्यायालय से जमानत मिली.
फिर उनको 23 दिसंबर, 2017 को चारा घोटाला के देवघर मामले में दोषी करार दिया गया और छह जनवरी, 2018 को साढ़े तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई गई.
इसके बाद चाईबासा एवं दुमका कोषागार से गबन के दो अन्य मामलों में सजा सुनाए जाने के चलते वह जमानत पर रिहा नहीं हो सके. अंततः दुमका मामले में अप्रैल, 2021 में उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद वह रिहा हुए थे.
सीबीआई के विशेष अभियोजक बीएमपी सिंह ने बताया कि इन 38 दोषियों में से 35 बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं जबकि लालू प्रसाद यादव समेत तीन दोषी स्वास्थ्य कारणों से रांची के राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में भर्ती हैं.
सिंह ने बताया कि विशेष अदालत ने 15 फरवरी को दोषी करार दिए गए 40 आरोपियों में से अदालत में पेश हुए सभी 38 दोषियों को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सजा सुनाई.
उन्होंने कहा कि दो अन्य दोषी 15 फरवरी को अदालत में उपस्थित नहीं हुए थे जिसके चलते अदालत ने दोनों के खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया है.
सिंह ने बताया कि अदालत ने लालू प्रसाद यादव को भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, 467, 468, 471 के साथ षड्यंत्र से जुड़ी धारा 120बी एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2)के तहत दोषी करार देते हुए पांच वर्ष कैद और जुर्माने की सजा सुनाई.
इस मामले में सीबीआई ने कुल 170 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था जबकि 148 आरोपियों के खिलाफ 26 सितंबर 2005 में आरोप तय किए गए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)