कर्नाटक के एक ज़िला जज ने गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान मंच पर गांधी जी की तस्वीर के बगल में रखी बीआर आंबेडकर की तस्वीर को हटवा दिया था, जिसे लेकर लोगों में रोष है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने प्रदर्शनकारियों से मिलकर दोषी जज के ख़िलाफ़ कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
नई दिल्ली: कर्नाटक के एक जिला न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर शनिवार 19 फरवरी को बेंगलुरू में लोगों ने एक विरोध मार्च निकाला.
रिपोर्ट के अनुसार, जज मल्लिकार्जुन गौड़ा पर आरोप है कि उन्होंने रायचूर में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रध्वज फहराने से पहले महात्मा गांधी के बगल में रखी डॉ. बीआर आंबेडकर की तस्वीर हटाने के कथित तौर पर आदेश दिए थे. द न्यूूज मिनट की एक रिपोर्ट ने रैली की पुष्टि की है.
रैली बुलाने वाले दलित संगठन संविधान सुरक्षा महा ओक्कुटा के अनुसार, करीब 1.5 लाख लोग आंबेडकर की तस्वीर वाली तख्तियां और नीले झंडे लेकर रैली में शामिल हुए. रैली का समापन फ्रीडम पार्क पर हुआ जहां मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और उन्हें दोषी जज के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया.
शनिवार को हुई यह रैली उस फैसले के खिलाफ थी जिसमें संबंधित जज को निलंबित करने और उनके खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने के बजाय केवल उनका तबादला कर दिया गया. जज के निलंबन और उनके खिलाफ एफआईआर की मांग राज्य भर के दलित और विभिन्न नागरिक संगठन कर रहे थे.
घटना सामने आने के तत्काल बाद ही 27 जनवरी को संबंधित जज के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने का दवाब बनाने के लिए रायचूर में कई दलित संगठनों ने प्रदर्शन किया था, लेकिन जज का केवल तबादला किया गया.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, शनिवार को प्रदर्शनकारियों से मुलाकात करते हुए मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि इस हरकत के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. दलित समाज के नेताओं ने मुझे विस्तार से घटना समझाई है, मैं संबंधित लोगों से चर्चा करके जल्द ही इस संबंध में पत्र लिखूंगा.
उन्होंने घटना की निंदा करते हुए प्रदर्शनकारियों को आश्वासन देते हुए, ‘डॉ. आंबेडकर का अपमान निंदनीय है. किसी भी परिस्थिति में हमारे संविधान के निर्माता का अपमान करने वाला कोई भी कार्य बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हम डॉ. आंबेडकर की प्रतिष्ठा और सम्मान को बनाए रखने में सबसे आगे हैं. हम संविधान के अनुसार न्याय प्रदान करेंगे.’
कई दलित नेताओं ने मुख्यमंत्री को सौंपे अपने ज्ञापन में कहा है कि ‘तबादला सजा नहीं होता’ और जज के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग की है.
उन्होंने आरोप लगाया कि जज ‘जातिवादी मानसिकता’ के थे, इसलिए ही उन्होंने सरकार द्वारा आंबेडकर की तस्वीर को आधिकारिक समारोहों का हिस्सा बनाए जाने के आदेश के बावजूद भी तस्वीर हटवा दी.
‘झूठा प्रचार’
आरोप है कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रीय ध्वज फहराने से पहले जज मल्लिकार्जुन गौड़ा ने कथित तौर पर अपने स्टाफ को आंबेडकर की तस्वीर को हटाने को कहा था, जो गांधी के के चित्र के पास राखी थी.
आरोपित जज ने इसे झूठा प्रचार करार देते हुए कहा है कि उनका आंबेडकर का अनादर करने का कोई इरादा नहीं था.
विवाद के तूल पकड़ने के बाद गौड़ा ने प्रेस में एक बयान जारी करके कहा, ‘कुछ वकीलों ने मुझसे संपर्क करके मांग की कि सरकारी आदेश के अनुसार आंबेडकर की तस्वीर महात्मा गांधी की तस्वीर के बगल में रखी जाए. मैंने उन्हें बताया कि हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने हमारे लीडर्स ग्रुप में कहा है कि सरकारी आदेश हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ के समक्ष है और हमें मामले में फैसला होने तक इंतजार करने कहा है. और मैंने उनसे अनुरोध किया कि वे मुझे मजबूर न करें.’
इस बीच, कर्नाटक हाईकोर्ट ने 4 फरवरी को राज्य, जिला और तालुक स्तर की सभी अदालतों को सभी आधिकारिक समारोहों में आंबेडकर की तस्वीर लगाने का निर्देश जारी किए हैं.