निजी मेडिकल कॉलेज में घूसखोरी से विद्यार्थी विदेश जाने को मजबूर: यूक्रेन में मृत छात्र के पिता

युद्धग्रस्त यूक्रेन के खारकीव शहर में रूसी सेना की गोलीबारी में मृत कर्नाटक के छात्र नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर के पिता ने कहा कि भारत की शिक्षा प्रणाली और जातिवाद के कारण उन्हें यहां सीट नहीं मिल सकी, जबकि वह मेधावी छात्र थे. उन्होंने आरोप लगाया कि यहां एक मेडिकल सीट हासिल करने के लिए एक करोड़ से दो करोड़ रुपये तक घूस देने पड़ते हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह देखने की अपील की कि निजी संस्थानों में भी न्यूनतम शिक्षा ख़र्च पर गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्रदान की जाए.

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Haveri: Relatives and friends gather near a garlanded photo of Naveen Shekharappa, to mourn his demise outside his residence at Chalageri village, in Haveri, Wednesday, March 02, 2022. Naveen was a final year medical student, who passed away due to Russian shelling in the Ukrainian city of Kharkiv. (PTI Photo)(PTI03 02 2022 000087B)

युद्धग्रस्त यूक्रेन के खारकीव शहर में रूसी सेना की गोलीबारी में मृत कर्नाटक के छात्र नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर के पिता ने कहा कि भारत की शिक्षा प्रणाली और जातिवाद के कारण उन्हें यहां सीट नहीं मिल सकी, जबकि वह मेधावी छात्र थे. उन्होंने आरोप लगाया कि यहां एक मेडिकल सीट हासिल करने के लिए एक करोड़ से दो करोड़ रुपये तक घूस देने पड़ते हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह देखने की अपील की कि निजी संस्थानों में भी न्यूनतम शिक्षा ख़र्च पर गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्रदान की जाए.

नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर. (फोटो: पीटीआई)

हावेरी/नई दिल्ली: युद्धग्रस्त यूक्रेन में मारे गए भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर के पिता ने दावा किया है कि महंगी मेडिकल शिक्षा और ‘जातिवाद’ कुछ ऐसे कारक हैं, जिनकी वजह से भारतीय विद्यार्थी डॉक्टर बनने का ख्वाब पूरा करने के लिए यूक्रेन जैसे देशों का रुख करते हैं.

नवीन के शोक संतप्त पिता शेखरप्पा ज्ञानगौदर ने कहा कि निजी नियंत्रण वाले कॉलेजों में भी मेडिकल की एक सीट पाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं और यही वजह है कि मेडिकल पेशा बहुत ही कठिन विकल्प बन गया है.

हावेरी जिले के चलागेरी का रहने वाला नवीन यूक्रेन के खारकीव स्थित एक मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में चतुर्थ वर्ष के छात्र थे. वह खाने-पीने के सामान के लिए बंकर से बाहर आए थे और गोलाबारी की चपेट में आ गए, जिससे उनकी मौत हो गई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज्ञानगौदर को फोन करके अपना शोक जताया. ज्ञानगौदर ने कहा कि मोदी ने उन्हें उनके बेटे का शव दो या तीन दिनों के भीतर स्वदेश लाने का आश्वासन दिया है.

उन्होंने पत्रकारों से कहा कि उनके बेटे को 10वीं में 96 प्रतिशत और 12वीं में 97 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए थे और उसने डॉक्टर बनने का सपना 10वीं कक्षा में देखा था.

उन्होंने कहा, ‘शिक्षा प्रणाली और जातिवाद के कारण उसे सीट नहीं मिल सकी, जबकि वह मेधावी छात्र था. यहां एक मेडिकल सीट हासिल करने के लिए एक करोड़ से दो करोड़ रुपये तक घूस देने पड़ते हैं.’

ज्ञानगौदर ने कहा कि वह देश की राजनीतिक प्रणाली, शिक्षा व्यवस्था और जातिवाद से दुखी हैं, क्योंकि सब कुछ निजी संस्थानों के नियंत्रण में है.

उन्होंने कहा कि जब कोई शिक्षा कुछ लाख रुपयों में मिल जाती है, तो करोड़ों रुपये क्यों खर्च किए जाएं.

उन्होंने कहा कि यूक्रेन में शिक्षा बहुत अच्छी है और भारत की तुलना में उपकरण भी बहुत अच्छे हैं. इसके अलावा कॉलेज की पढ़ाई को भी अच्छा बताया.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे उधार लिए और नवीन को एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए यूक्रेन भेजा था.

खराब शिक्षा व्यवस्था के लिए राजनेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह देखने की अपील की कि निजी संस्थानों में भी न्यूनतम शिक्षा खर्च पर गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्रदान की जाए.

उन्होंने कहा, ‘कम से कम अब से इस दिशा में कुछ प्रयास किए जाने चाहिए.’

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हावेरी से भाजपा सांसद शिवकुमार ने उन्हें ‘दूसरों की तरह’ आश्वासन दिया था, लेकिन उनकी ओर से कोई उचित प्रतिक्रिया नहीं मिली.

उन्होंने कहा कि पिछले एक सप्ताह से जिन माता-पिता के बच्चे यूक्रेन में फंसे हुए हैं, वे छात्रों की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था के लिए सांसदों, विधायकों, मंत्रियों से मिल रहे हैं.

उन्होंने दावा किया कि उन सभी ने सीमा पर सुरक्षित क्षेत्र के लोगों को वापस लाने की कोशिश की, लेकिन जो जोखिम वाले क्षेत्र में हैं उन्हें नहीं.

भारतीय दूतावास से प्रतिक्रिया के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘हमें भारतीय दूतावास से कोई कॉल नहीं आया. दूतावास में किसी ने भी हमारे बच्चों का फोन नहीं उठाया. उन्होंने फोन नंबर दिए लेकिन कोई जवाब नहीं आया.’

उन्होंने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से अन्य छात्रों को हमारे देश वापस लाने के लिए कुछ प्रयास करने की अपील की.

इस बीच नवीन के पिता शेखरप्पा ज्ञानगौदर अपनी भावनाओं को उस समय नियंत्रित नहीं कर पाए जब उन्होंने अपने बेटे के शव की तस्वीर वॉट्सऐप पर देखी जिसे खारकीव के मुर्दाघर में रखा गया है.

नवीन ज्ञानगौदर के छोटे बेटे थे, जबकि बड़े बेटे हर्ष ने कृषि विज्ञान में एमएससी की है और वह माता-पिता के साथ रहता है.

हर्ष ने कहा, ‘हम खुश हैं कि सभी जीवित घर लौट रहे हैं, लेकिन हम नवीन का चेहरा देखना चाहते हैं, क्योंकि मेरे माता-पिता उसे देखना चाहते हैं.’

हर्ष ने भावुक होते हुए नवीन का शव जल्द से जल्द भारत लाने के लिए तेजी से कदम उठाने की भी अपील की.

इससे पहले मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को बेंगलुरु में संवाददाताओं से कहा कि वह नवीन के शव को भारत लाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे.

उन्होंने कहा, ‘मैं विदेश मंत्री एस. जयशंकर और यूक्रेन में भारतीय दूतावास से नवीन के शव को लाने के वास्ते किए जा रहे प्रयासों की जानकारी लेने के लिए बात करूंगा. हम हरसंभव प्रयास करेंगे.’

बीते बुधवार को कर्नाटक के हावेरी जिले के चालगेरी गांव में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मेडिकल छात्र नवीन शेखरप्पा के पिता शेखरप्पा ज्ञानगौदर से मुलाकात की. (फोटो पीटीआई)

बोम्मई के मुताबिक, भारतीय अधिकारियों ने खारकीव में फंसे भारतीयों, खासतौर पर विद्यार्थियों को निकालने के प्रयास तेज कर दिए हैं.

नवीन के परिवार को मुआवजा देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार कुछ भी कर सकती है, लेकिन इस समय प्राथमिकता शव भारत लाने की है.

बोम्मई ने कहा, ‘जो भी हमारे हाथ में होगा, हम करेंगे. हम मुआवजा जरूर देंगे. परिवार पीड़ा में है. हमें सबसे पहले शव को लाना है और उसके लिए हमने कोशिशें तेज कर दी हैं.’

भारतीय छात्र के पिता ने कहा, कई भारतीय छात्र खारकीव रेलवे स्टेशन पर फंसे

युद्धग्रस्त यूक्रेन के खारकीव शहर में बुधवार सुबह पैदल चलकर नजदीकी रेलवे स्टेशन पहुंचने वाले भारतीय छात्र अब भी स्टेशन पर फंसे हुए हैं. एक छात्र के पिता ने यह जानकारी दी.

वेंकटेश वैश्यार ने बताया, ‘मेरा बेटा अमित अपने चचेरे भाई सुमन और कई अन्य के साथ किसी तरह रेलवे स्टेशन पहुंच गया, लेकिन वे वहां फंस गए हैं.’

यूक्रेन की राजधानी कीव स्थित भारतीय दूतावास ने ताजा परामर्श जारी कर खारकीव रेलवे स्टेशन पर फंसे छात्रों को किसी भी तरह बुधवार शाम छह बजे तक पैदल चलकर ही पिसोचिन पहुंचने को कहा था.

वेंकटेश ने कहा, ‘मुझे कोई अंदाजा नहीं है कि वहां क्या हो रहा है, लेकिन वह खारकीव रेलवे स्टेशन पर फंसा हुआ था. पहली ट्रेन महिलाओं और लड़कियों को लेकर गई, जबकि दूसरी ट्रेन यूक्रेनी लोगों को लेकर रवाना हुई.’

उन्होंने कहा, ‘तीसरी ट्रेन अब तक नहीं पहुंची है, जबकि परामर्श में सभी को शाम छह बजे तक तीन जगहों पर पहुंचने को कहा गया था, जो कि यह दर्शाता है कि शाम छह बजे के बाद कुछ भयानक हो सकता है.’

वेंकटेश के बेटा 23 वर्षीय अमित वी. वैश्यार खारकीव चिकित्सा महाविद्यालय में पांचवें साल के छात्र हैं और हावेरी के रानेबेन्नुर तालुका के चालगेरी के उन तीन विद्यार्थियों में से एक हैं, जो खारकीव चिकित्सा महाविद्यालय से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं. अमित के चचेरे भाई 24 वर्षीय सुमन (पुत्र श्रीधर मूर्ति वैश्यार) भी उनमें शामिल हैं, जो युद्धग्रस्त देश से लौटने का प्रयास कर रहे हैं.

यूक्रेन में केरल का छात्र बाल-बाल बचा, ज्ञानगौदर से महज 50 मीटर की दूरी पर था

युद्धग्रस्त यूक्रेन के खारकीव शहर में मंगलवार को गोलाबारी में केरल का 25 वर्षीय एक छात्र बाल-बाल बच गया, जबकि उनके बैच के साथी कर्नाटक निवासी नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर की मौत हो गई. गोलाबारी के समय मेडिकल छात्र असोयुन हुसैन अपने साथी ज्ञानगौदर से महज 50 मीटर की दूरी पर थे.

घटना के एक दिन बाद केरल निवासी हुसैन के परिजनों ने ईश्वर का आभार व्यक्त किया, लेकिन वे जानते हैं कि आगे कई खतरे हैं.

असोयुन के भाई अफसाल हुसैन ने कहा कि असोयुन अन्य लोगों के साथ खारकीव से पश्चिमी यूक्रेन की ओर जा रहा है, ताकि रूस के भीषण हमले से बचा जा सके.

उन्होंने कहा, ‘नवीन की मौत एक सदमे के रूप में आई. मेरी मां, जो चिंतित और तनावग्रस्त थीं, यह खबर फैलते ही गिर पड़ीं. वह अब एक अस्पताल में भर्ती हैं. यह हमारे लिए कठिन परीक्षा का समय है.’

अफसाल हुसैन ने कहा, ‘मेरे भाई ने एक भूमिगत मेट्रो रेल स्टेशन में शरण ली थी, जो नवीन की मृत्यु के स्थान से 50 मीटर की दूरी पर था. वह उसका बैचमेट था.’

कर्नाटक के हावेरी जिले के चलगेरी निवासी नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में असोयुन हुसैन की तरह चौथे वर्ष का मेडिकल छात्र थे.

अभिभावकों का कहना है कि अनेक भारतीय छात्र यूक्रेन के शहरों में बंकरों में छिपे हुए हैं और वे लगातार गोलाबारी के कारण भागने में असमर्थ हैं.

उन्होंने भारतीय दूतावास के उस परामर्श पर भी चिंता व्यक्त की है, जिसमें छात्रों को निकासी के लिए यूक्रेन की सीमाओं तक पहुंचने के लिए कहा गया है.

आर. वासुदेवन के 21 वर्षीय बेटे गिरीश भी खारकीव में फंसे हैं. वासुदेवन ने कहा, ‘वे बच्चे हैं और इतने परिपक्व नहीं हैं कि खुद सीमा तक पहुंच सकें. उन्हें किसी तरह की सहायता प्रदान की जानी चाहिए.’

वासुदेवन ने कहा कि वह और उनके परिवार के लोग गिरीश की सुरक्षित वापसी की प्रार्थना कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘सिर्फ मेरा बेटा नहीं बल्कि अनेक छात्र वहां फंसे हुए हैं.’

बच्चों को भारत से बाहर पढ़ने के लिए भेजने के चलते माता-पिता पर हमला करने वाले सोशल मीडिया पोस्ट उनके दुखों को और बढ़ा रहे हैं. अफसाल हुसैन ने कहा कि इससे हालात और खराब हो गए हैं.

यूक्रेन से भारतीय छात्रों को निकालने के लिए सरकार ‘ऑपरेशन गंगा’ चला रही है.

विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने बुधवार को कहा कि यूक्रेन में फंसे 20,000 भारतीयों में से अब तक 6,000 को वापस लाया जा चुका है और केंद्र शेष की सुरक्षित वापसी के लिए सभी प्रयास कर रहा है.

‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, इंडिगो, स्पाइसजेट और भारतीय वायुसेना के विमानों का संचालन किया जा रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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