मेघालय-असम सीमा पर 36 विवादित गांवों में से तीस मेघालय में रहेंगे: कोनराड संगमा

1972 में मेघालय को असम से अलग कर राज्य बनाया गया था. दोनों राज्यों के बीच समस्या तब शुरू हुई जब मेघालय ने 1971 के असम पुनर्गठन अधिनियम को चुनौती दी, जिसने मिकिर हिल्स या वर्तमान कार्बी आंगलोंग क्षेत्र के ब्लॉक एक-दो को असम को दे दिया. वर्तमान में 733 किलोमीटर लंबी सीमा पर विवाद के 12 बिंदु हैं.

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मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा. (फोटो साभार: फेसबुक)

1972 में मेघालय को असम से अलग कर राज्य बनाया गया था. दोनों राज्यों के बीच समस्या तब शुरू हुई जब मेघालय ने 1971 के असम पुनर्गठन अधिनियम को चुनौती दी, जिसने मिकिर हिल्स या वर्तमान कार्बी आंगलोंग क्षेत्र के ब्लॉक एक-दो को असम को दे दिया. वर्तमान में 733 किलोमीटर लंबी सीमा पर विवाद के 12 बिंदु हैं.

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा. (फोटो साभार: फेसबुक)

शिलांग: मेघालय मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि मेघालय-असम सीमा पर 36 विवादित गांवों में से 30 गांवों को दोनों राज्यों की क्षेत्रीय समितियों ने मेघालय में रहने देने की सिफारिश की है.

उन्होंने कहा कि ये 36 गांव 36.9 वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैले हैं जबकि 30 गांव 18 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हैं.

मुख्यमंत्री ने अंतर-राज्यीय सीमा विवाद हल करने के लिए असम सरकार के साथ वार्ता की प्रगति पर सदन को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों राज्य इस पर राजी हो गए हैं कि पहले से चिह्नित 12 इलाकों में ऐसा कोई नया इलाका नहीं जोड़ा जाएगा, जिस पर मतभेद हो.

उन्होंने कहा, ‘मेघालय ने 2011 में जिन 36 गांवों पर दावा किया था, उनमें से दोनों राज्यों की क्षेत्रीय समितियों ने 30 गांवों को मेघालय में रहने देने की सिफारिश की है. हालांकि, जमीन का मालिकाना हक सीमा का निर्धारण करने के बाद प्रभावित नहीं होगा.’

संगमा ने कहा, ‘मेघालय ने ताराबाड़ी इलाके में जिन आठ गांवों पर दावा जताया था, वे राज्य में बने रहेंगे. गिजांग में हमने तीन गांवों पर दावा किया था और उनमें से दो राज्य में बने रहेंगे. हमें हाहीम में 12 गांवों में से 11 मिलेंगे. बोकलापाड़ा में दो में से एक, खानपाड़ा-पिल्लंगकाटा में छह में से पांच और रतचेरा में पांच में से तीन गांव मिलेंगे.’

उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्रियों की अध्यक्षता में दोनों राज्यों की क्षेत्रीय समितियों ने चर्चा, दौरा और सर्वेक्षण किया और इस कवायद में विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया. दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा इन इलाकों का अधिक सटीक तरीके से निर्धारण किया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों राज्यों ने इस विवाद को खत्म करने के लिए जनवरी में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे और मतभेद वाले छह इलाकों में बातचीत की गई थी तथा इसके नतीजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भेजे गए थे.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, बीते 19 जनवरी को असम और मेघालय मंत्रिमंडलों ने दो पूर्वोत्तर राज्यों के बीच पांच दशक पुराने सीमा विवाद को हल करने के लिए ‘गिव-एंड-टेक’ फॉर्मूले को मंजूरी दी थी. दोनों पक्षों ने 12 विवादित क्षेत्रों में विवाद को चरणबद्ध तरीके से सुलझाने का संकल्प लिया था.

पहले चरण में जिन छह क्षेत्रों को अंतिम निपटान के लिए चुना गया था, वे हैं- हाहिम, गिज़ांग, ताराबारी, बोकलापाड़ा, खानापाड़ा, पिल्लंगकाटा और रातचेरा. अन्य छह क्षेत्र, जहां विवाद अधिक जटिल हैं, पर बाद में विचार किया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे समय से लंबित विवाद को हल करने के लिए तीन क्षेत्रीय समितियों द्वारा चर्चा, दौरे और सर्वेक्षण  किए गए हैं, जिनका गठन दोनों पक्षों के कैबिनेट मंत्रियों की अध्यक्षता में पिछले साल किया गया था.

उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में भारतीय सर्वेक्षण द्वारा क्षेत्रों का अधिक सटीक निर्धारण किया जाएगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि भूमि का स्वामित्व निर्णयों से प्रभावित न हो.

उन्होंने कहा, ‘हमने महसूस किया कि हम केवल असम या मेघालय के दस्तावेजों के आधार पर अपना निर्णय नहीं ले सकते हैं. हमने पिछले दस्तावेजों पर भी विचार करते हुए लोगों की इच्छा और जातीयता को देखने की कोशिश की है.’

मालूम हो कि मेघालय को 1972 में असम से अलग करके राज्य बनाया गया था. दोनों राज्यों के बीच समस्या तब शुरू हुई जब मेघालय ने 1971 के असम पुनर्गठन अधिनियम को चुनौती दी, जिसने मिकिर हिल्स या वर्तमान कार्बी आंगलोंग क्षेत्र के ब्लॉक एक और दो को असम को दे दिया.

मेघालय का तर्क है कि ये दोनों ब्लॉक तत्कालीन यूनाइटेड खासी और जयंतिया हिल्स जिले का हिस्सा थे, जब इसे 1835 में अधिसूचित किया गया था. वर्तमान में 733 किलोमीटर असम-मेघालय सीमा पर विवाद के 12 बिंदु हैं.

पिछले कुछ वर्षों में दोनों पड़ोसी राज्यों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले विभिन्न समुदायों के बीच कई झड़पें देखी हैं.

पिछले साल अगस्त में असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले और मेघालय के री-भोई जिले के बीच का क्षेत्र तनावपूर्ण हो गया था.

25 अगस्त 2021 को स्थिति तब गंभीर हो गई थी, जब मेघालय के कुछ लोगों ने स्थानीय पुलिस के साथ पश्चिम कार्बी आंगलोंग के उमलाफेर इलाके के पास कथित रूप से असम सीमा के अंदर घुसने की कोशिश की थी. उसके बाद दोनों राज्यों की पुलिस आमने-सामने आ गई थीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)