दिल्ली विश्वविद्यालय के कैम्पस लॉ फैकल्टी में ‘भारतीय संविधान को चुनौतियां’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण मुख्य वक्ता थे. कार्यक्रम से एक दिन पहले छात्रों से हुए विवाद के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कहा है कि उनके ‘नियंत्रण से बाहर व्यवहार’ को देखते हुए कार्यक्रम रद्द किया गया. वहीं भूषण ने कहा कि जिस वक्ता के विचार इस सरकार के ख़िलाफ़ है, उसे इस विश्वविद्यालय में बोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ फैकल्टी ने बीते शनिवार को वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा ‘भारतीय संविधान की चुनौतियां’ नाम की संगोष्ठी कार्यक्रम से 20 मिनट पहले रद्द कर दिया. इसके पीछे कारण छात्रों द्वारा ‘नियंत्रण से बाहर व्यवहार’ का हवाला दिया गया था. हालांकि, भूषण ने आरोप लगाया कि विषय और मौजूदा सरकार के खिलाफ उनके रुख को देखते हुए कार्यक्रम को रद्द करने का दबाव था.
संगोष्ठी शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के कैम्पस लॉ सेंटर (सीएलसी) में होनी थी.
लॉ फैकल्टी परिसर के अंदर बोलने के लिए प्रवेश से वंचित किए जाने के बाद प्रशांत भूषण ने सड़क पर एक छोटा व्याख्यान दिया.
बहरहाल, विधि संकाय की डीन ऊषा टंडन ने शनिवार सुबह कार्यक्रम रद्द करने के फैसले का ऐलान किया.
सीएलसी प्राधिकारियों का कथित तौर पर कार्यक्रम से पहले संगोष्ठी कक्ष को तैयार करने के लिए उसकी चाबियां देने को लेकर शुक्रवार को छात्रों से टकराव हुआ था. जब प्राधिकारियों ने चाबियां देने से इनकार कर दिया तो छात्र प्रदर्शन करने लगे.
डीन द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है, ‘कमेटी ऑन सेमिनार एंड कांफ्रेंस रूम्स बुकिंग की बैठक के फैसले के अनुसार, 25 मार्च के बाद से छात्रों के असहनीय व्यवहार और घटनाक्रम को देखते हुए कार्यक्रम रद्द किया गया है.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एक छात्र और कार्यक्रम के आयोजकों में से एक विवेक राज ने कहा, ‘हमें सेमिनार हॉल में कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति थी. हम कल (शुक्रवार) शाम से चाबी मांग रहे थे, लेकिन हमें मना कर दिया गया. हमने उन्हें बताया कि महामारी के कारण पिछले दो साल से कमरा बंद है, इसलिए हमें कमरे को साफ करने और उसे ठीक करने के लिए चाबियों की जरूरत है. इसके बाद हमने विरोध शुरू किया, जिसके बाद अधिकारियों ने पुलिस को बुला लिया.’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘कल (शुक्रवार) हंगामे के दौरान डिप्टी प्रॉक्टर गुंजन गुप्ता ने हमें बताया था कि कार्यक्रम को रद्द करने का निर्णय शीर्ष प्रबंधन द्वारा लिया गया था. आज नोटिस में वे कह रहे हैं कि यह हमारे व्यवहार के कारण है.’
कार्यक्रम रद्द करने के पीछे का कारण पूछे जाने पर डिप्टी प्रॉक्टर गुप्ता ने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, ‘मैं सही व्यक्ति नहीं हूं. आपको अधिकारियों से बात करनी चाहिए.’
अखिल भारतीय छात्र संघ (एबीवीपी) की दिल्ली ईकाई के अध्यक्ष अभिज्ञान ने कहा, ‘भूषण घटनास्थल पर पहुंच गए लेकिन छात्रों को प्रवेश करने से रोक दिया गया. इसके बाद भूषण ने पार्किंग क्षेत्र में छात्रों को संबोधित करना शुरू कर दिया, लेकिन प्रशासन ने उन्हें जाने के लिए कहा और कहा कि कैम्पस में सभा करने की अनुमति नहीं है.’
उन्होंने बताया कि वरिष्ठ अधिवक्ता ने छात्रों को कॉलेज परिसर के बाहर संबोधित किया.
भूषण ने कहा, ‘भाषण की स्वतंत्रता नहीं है. कल जो कुछ हुआ, छात्र उसके बारे में मुझसे शांतिपूर्वक बातचीत करना चाहते थे लेकिन उन्होंने हमें यह कहते हुए जाने के लिए कहा कि परिसर में चर्चा करने की अनुमति नहीं है.’
दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रॉक्टर रजनी अब्बी ने भी कहा कि छात्रों द्वारा पैदा किए विवाद के कारण कार्यक्रम रद्द किया गया.
भाजपा की पूर्व महापौर रहीं प्रॉक्टर रजनी अब्बी ने कहा कि संगोष्ठी का विषय या भूषण इसे रद्द करने का कारण नहीं थे.
उन्होंने कहा, ‘उनका पुलिस के साथ विवाद हुआ, उन्होंने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया. मुझे नहीं लगता कि किसी भी उचित तरीके से हम कल (शुक्रवार) उन्हें चाबी सौंप सकते थे. अगर रात में कुछ अनहोनी हो जाती, अगर वे नशे में होते, कौन जिम्मेदार होता?’
उन्होंने आगे कहा, ‘उन्होंने लाइब्रेरी में उत्पात किया, वे दरवाजे पटक रहे थे. इसलिए हमने कार्यक्रम रद्द करने का फैसला किया. अगर छात्र दुर्व्यवहार करते हैं तो उन्हें अनुमति नहीं दी जाएगी, फिर चाहे वह प्रशांत भूषण हों या देश में कोई और.’
यह पूछे जाने पर कि क्या आखिरी मिनटों में इस तरह का फैसला वक्ता के लिहाज से अनुचित था, इस पर अब्बी ने कहा, ‘यह वक्ता के लिहाज से उचित नहीं है. लेकिन अगर कार्यक्रम में झगड़ा हो जाता तो कौन जिम्मेदार होता? वक्ता चाहे कोई भी हो उसे भी सोचना चाहिए था कि अगर अनुमति नहीं दी गई तो क्या उन्हें वहां व्याख्यान देना चाहिए था? उन्होंने भी गलत किया कि सड़क पर खड़े होकर व्याख्यान दिया.’
भूषण ने कहा कि अधिकारियों ने अनौपचारिक रूप से आयोजन करने वाले छात्रों से कहा था कि बातचीत की अनुमति नहीं दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों को अपने राजनीतिक आकाओं से निर्देश मिला होगा कि प्रशांत भूषण को चर्चा की अनुमति कैसे मिल गई.
उन्होंने कहा, ‘आज एक उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया गया कि जिस वक्ता के विचार इस सरकार के खिलाफ हैं, उसे इस विश्वविद्यालय में बोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)