पत्रकार राना अयूब लंदन जाने के लिए फ्लाइट लेने मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचीं थी, लेकिन इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया. बताया गया है कि प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में पत्रकार राना अयूब से पूछताछ और उनका बयान दर्ज करना चाहता है.
नई दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पत्रकार राना अयूब को जारी लुक आउट सर्कुलर के मद्देनजर उन्हें मंगलवार को मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अधिकारियों ने विदेश रवाना होने से रोक दिया.
केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी अयूब (37) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में उनसे पूछताछ करना चाहती है और उनका बयान दर्ज करना चाहती है.
अधिकारियों ने बताया कि पत्रकार लंदन के लिए उड़ान भरने को लेकर मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचीं थी, लेकिन आव्रजन (इमिग्रेशन) अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया.
इसके तुरंत बाद ईडी की एक टीम ने हवाईअड्डे पर उनसे पूछताछ की और उन्हें जांच में शामिल होने के लिए कहा.
ईडी ने अयूब को समन जारी कर उन्हें एक अप्रैल को ईडी के कार्यालय में पेश होने के लिए कहा है लेकिन इसी दिन उन्हें लंदन में एक कार्यक्रम को संबोधित करना है.
I was stopped today at the Indian immigration while I was about to board my flight to London to deliver my speech on the intimidation of journalists with @ICFJ . I was to travel to Italy right after to deliver the keynote address at the @journalismfest on the Indian democracy
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) March 29, 2022
अयूब ने द वायर को बताया कि मंगलवार को दोपहर तीन बजे लंदन के लिए उनके विमान के उड़ान भरने से एक घंटा और 15 मिनट पहले दोपहर 1.46 बजे उन्हें ईमेल से समन भेजा गया और उन्हें इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें हवाईअड्डे पर रोक लिया.
एजेंसी ने इस साल की शुरुआत में अयूब के बैंक में जमा 1.77 करोड़ रुपये से अधिक की उनकी राशि अस्थायी रूप जब्त कर ली थी. अयूब पर कोविड-19 राहत कार्यों के लिए प्राप्त धनराशि का दुरुपयोग करने का आरोप है. उन्होंने इन आरोपों को खारिज किया है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि राना अयूब को ईडी के लुकआउट सर्कुलर के आधार पर रोका गया.
वॉशिंगटन पोस्ट के लिए कॉलम लिखने वाली अयूब देश की दूसरी पत्रकार हैं, जिन्हें केंद्र सरकार की एजेंसियों द्वारा जांच किए जा रहे मामलों का हवाला देकर उन्हें देश छोड़ने से रोका गया.
इससे पहले अगस्त 2019 में एनडीटीवी के सह संस्थापक और एडिटर इन चीफ प्रणय रॉय और सह संस्थापक राधिका रॉय को भी मुंबई से बाहर जाने से रोक दिया गया था. सीबीआई की ओर से जारी ‘ऐहतियाती’ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) के आधार पर यह कार्रवाई की गई थी.
एनडीटीवी ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे मीडिया स्वतंत्रता और बुनियादी अधिकारों का पूर्ण उल्लंघन बताया था.
इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने द क्विंट के संस्थापकों राघव बहल और रितु कपूर को बताया था कि वे दो हफ्तों के लिए मेडिकल उद्देश्यों के लिए ब्रिटेन जाने के लिए स्वतंत्र हैं.
बता दें कि ईडी इन दोनों के खिलाफ भी मामले की जांच कर रही है लेकिन दोनों ने इस मामले को आधारहीन बताया है.
राना अयूब को हवाईअड्डे पर रोके जाने के फैसले पर टिप्पणी के लिए द वायर ईडी से संपर्क नहीं कर सका लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि राना अयूब के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी हुआ था. वह कुछ हफ्ते पहले जारी किए गए समन का पालन नहीं कर पाई थी.
हालांकि, अयूब ने द वायर को बताया कि तीन फरवरी के समन के बाद ईडी के आग्रह पर उनके सभी संबंधित दस्तावेजों को पहले ही ईडी के पास भेजा जा चुका है.
उन्होंने कहा, ‘इसके बाद उन्होंने कुर्की के आदेश दिए और उनके बैंक एकाउंट फ्रीज कर दिए.’
अयूब ने कहा, ‘वास्तव में दो हफ्ते पहले न्यायिक अधिकारी द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिस पर एक महीने के भीतर जवाब देना था.’
अयूब का कहना है कि उन्हें तीन फरवरी के बाद से ईडी की ओर से कोई समन नहीं मिला है.
अयूब ने द वायर को बताया कि महिला पत्रकारों के खिलाफ ऑनलाइन हिंसा पर इंटरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिज्म के एक अप्रैल के कार्यक्रम के अलावा उन्हें उसी दिन गार्डियन अखबार के संपादकीय न्यूज कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था.
उन्होंने बताया कि वह लंदन से छह अप्रैल को इटली जाने वाली थी, जहां वह पेरुगिया में अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता महोत्सव को संबोधित करने वाली थीं.
बता दें कि बीते कुछ सालों में भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों ने दर्जनभर पत्रकारों और मीडिया हाउसेज के खिलाफ जांच शुरू की है या आपराधिक मामले दर्ज किए हैं. इनमें से अधिकतर मामले इन पत्रकारों के काम को लेकर या फिर कथित वित्तीय अपराध से जुड़े हुए हैं.
जम्मू एवं कश्मीर में एनएसए सहित गंभीर आरोपों में पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए. इनमें हाल ही में कश्मीरवाला के संपादक फहद शाह और फ्रीलांस रिपोर्टर सज्जाद गुल भी शामिल हैं.
मलयालम भाषा के पत्रकार सिद्दीक कप्पन यूपी के हाथरस में दलित युवती के गैंगरेप और हत्या मामले की रिपोर्टिंग करने का प्रयास करने की वजह से एक साल से भी अधिक समय से जेल में हैं और उन्हें जमानत भी नहीं दी गई.
केंद्र सरकार द्वारा कोविड-19 संकट से निपटने को लेकर सरकार की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग करने की वजह से दर्जनभर पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.
यूपी पुलिस ने बीते दो सालों में विभिन्न विषयों पर रिपोर्टिंग करने को लेकर द वायर और इसके पत्रकारों के खिलाफ पांच आपराधिक मामले दर्ज किए हैं.
ईडी की जांच के अलावा अयूब लगातार ऑनलाइन ट्रोलर्स के निशाने पर भी रही हैं.
बता दें कि मंगलवार को राना अयूब के खिलाफ ईडी की इस कार्रवाई का दुनियाभर के पत्रकारों ने आलोचना करते हुए कहा है कि अयूब को देश छोड़कर जाने से रोककर सरकार ने पुष्टि कर दी है कि भारत में पत्रकारों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
(नोट: (5 नवंबर 2022) इस ख़बर को टेक फॉग ऐप संबंधी संदर्भ हटाने के लिए संपादित किया गया है. टेक फॉग संबंधी रिपोर्ट्स को वायर द्वारा की जा रही आंतरिक समीक्षा के चलते सार्वजनिक पटल से हटाया गया है.)