यूपी: पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने के आरोपी कश्मीरी छात्रों को पांच महीने बाद ज़मानत

पिछले साल अक्टूबर में टी-20 विश्व कप क्रिकेट मैच में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारत की हार हो गई थी. आरोप है कि आगरा के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई कर रहे तीनों कश्मीरी छात्रों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी की थी. उनके ख़िलाफ़ राष्ट्रद्रोह, साइबर आतंकवाद और सामाजिक द्वेष फैलाने की धाराओं में मुक़दमा दर्ज हुआ था. तब से वे जेल में बंद हैं.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट. (फाइल फोटो: पीटीआई)

पिछले साल अक्टूबर में टी-20 विश्व कप क्रिकेट मैच में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारत की हार हो गई थी. आरोप है कि आगरा के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई कर रहे तीनों कश्मीरी छात्रों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी की थी. उनके ख़िलाफ़ राष्ट्रद्रोह, साइबर आतंकवाद और सामाजिक द्वेष फैलाने की धाराओं में मुक़दमा दर्ज हुआ था. तब से वे जेल में बंद हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार 30 मार्च को उन तीन कश्मीरी छात्रों को ज़मानत दे दी, जो कि राजद्रोह के मामले में आगरा की जेल में इसलिए बंद थे क्योंकि उन्होंने क्रिकेट में भारत के खिलाफ पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाया था.

इनायत अल्ताफ शेख, शौकत अहमद घनी और अर्शिद युसुफ 28 अक्टूबर 2021 से जेल में बंद थे.

जैसा कि द वायर ने रिपोर्ट किया था, तीनों आगरा के राजा बलवंत सिंह इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र थे और प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना का हिस्सा थे. यह छात्रवृत्ति जम्मू कश्मीर के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को दी जाती है. उन्हें 27 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था.

बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में टी-20 विश्व कप क्रिकेट मैच में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारत की हार हो गई थी. आरोप है कि तीनों कश्मीरी छात्रों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाज़ी की थी. उनके ख़िलाफ़ राष्ट्रद्रोह, साइबर आतंकवाद और सामाजिक द्वेष फैलाने की धाराओं में मुक़दमा दर्ज हुआ था. तब से वे जेल में बंद हैं. जनवरी माह में उनके खिलाफ चार्जशीट पेश हुई थी.

पुलिस ने उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए (विभिन्न समूहों के बीच धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देना), 505 (1) (बी) (जनता में डर पैदा करने की मंशा रखने वाले) और मैच के बाद ‘भारत के खिलाफ’ वॉट्सऐप पर कथित तौर पर संदेश भेजने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2008 की धारा 66एफ (साइबर आतंकवाद के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया था.

उत्तर प्रदेश पुलिस ने बाद में एफआईआर में धारा 124-ए (राजद्रोह) भी जोड़ दी. ऐसा तब किया गया जब राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने वालों पर राजद्रोह का मुकदमा कायम होगा.

बता दें कि भाजपा के स्थानीय नेताओं की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया था. बाद में इन छात्रों को निलंबित कर दिया गया था.

एक पूर्व सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने द वायर को बताया कि भारत पर पाकिस्तान की जीत बिल्कुल भी राजद्रोह नहीं है और ऐसा सोचना भी बकवास है.

वरिष्ठ वकील रमेश चंद यादव ने संतोष कुमार सिंह के साथ मिलकर हाईकोर्ट में तीनों की जमानत के लिए बहस की.

बता दें कि शुरुआत में छात्रों को आगरा में कानूनी सहायता तक पहुंच से वंचित रखा गया था, क्योंकि उनके ऊपर देशद्रोही होने का ठप्पा लगा था, इसलिए वकील कथित तौर पर उनकी पैरवी करने से इनकार कर रहे थे.

इसके बाद, छात्रसंघों और स्वयंसेवकों ने मथुरा में उनके लिए कानूनी मदद का इंतजाम किया. तीनों मामले को आगरा से मथुरा स्थानांतरित कराने के लिए कोर्ट भी गए.

द वायर ने छात्रों के परिवारों द्वारा बार-बार मानवीय आधार पर ज़मानत दिए जाने की अपील करने के संबंध में भी रिपोर्ट की थी.

छात्रों के खिलाफ देशद्रोह के आरोप और उनकी कैद ने विश्व भर में सुर्खियां बटोरी थीं.