कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार निर्देश दिया है. हर सरकारी कर्मचारी को नियम का पालन करना होगा. यदि इसका पालन नहीं किया जाता है तो निश्चित रूप से कुछ कार्रवाई करनी पड़ेगी. इससे पहले उडुपी में हिजाब की अनुमति नहीं देने पर 40 मुस्लिम छात्राओं ने प्री यूनिवर्सिटी परीक्षा छोड़ी दी थी.
बेंगलुरु/मंगलुरु: कर्नाटक के गडग जिले में कथित तौर पर हिजाब पहने लड़कियों को 10वीं की बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति देने वाले सात शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है. शिक्षा विभाग के सूत्रों ने यह जानकारी दी.
निलंबित शिक्षक सीएस पाटिल स्कूल में परीक्षा पर्यवेक्षक थे. उन्होंने बताया कि दो अन्य शिक्षक, जो केंद्र अधीक्षक थे, उन्हें भी निलंबित किया गया है.
कार्रवाई इसलिए की गई, क्योंकि यह कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ था जिसमें उडुपी गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम लड़कियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था. लड़कियों ने हिजाब या शांति, सद्भाव और सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करने वाले किसी भी कपड़े पर प्रतिबंध लगाने के सरकारी आदेश को चुनौती दी थी.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार निर्देश दिया है. हर सरकारी कर्मचारी को नियम का पालन करना होगा. यदि इसका पालन नहीं किया जाता है, तो निश्चित रूप से कुछ कार्रवाई करनी होगी और एक नोटिस देना होगा.
उन्होंने कहा, ‘हमें उनसे जानकारी लेनी चाहिए और उसके बाद अंतिम कार्रवाई तय की जानी चाहिए. लेकिन स्पष्ट रूप से उन्होंने सरकार के निर्देशों का पालन नहीं किया है इसलिए यह (कार्रवाई) की गई है.’
अधिकारियों ने कहा कि निरीक्षकों को निलंबित नहीं किया गया है. शुरुआत में केवल अपने कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया है, लेकिन आगे कार्रवाई की संभावना है.
राज्य सरकार ने 25 मार्च को जारी एक सर्कुलर के जरिये 28 मार्च से शुरू हुई 10वीं कक्षा की बोर्ड (एसएसएलसी) की परीक्षा में बैठने वाले छात्रों के लिए यूनिफॉर्म अनिवार्य कर दी थी.
राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि सरकारी स्कूलों के छात्रों को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म में परीक्षा देनी होगी. निजी (सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त) स्कूलों के मामले में, छात्रों को संबंधित स्कूल प्रबंधन द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म पहननी चाहिए.
निलंबित किए गए लोगों में कलबुर्गी के जेवरगी तालुक के दो शिक्षक थे, जिन्होंने कथित तौर पर हिजाब पहनने वाली छात्राओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी थी. इसी तरह की कार्रवाई गडग, बीदर और बेंगलुरु के शिक्षकों के खिलाफ भी की गई.
जेवरगी के बीईओ वेंकैया इनामदार ने बुधवार को कहा कि दो पर्यवेक्षकों को हिजाब पहनी छात्रों को परीक्षा हॉल में अनुमति देने के लिए उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया है. उनके नाम उच्च अधिकारियों को भेज दिए गए हैं और उन्हें जांच के लिए निलंबित कर दिया जाएगा.
कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने दावा किया कि सरकारी आदेश के कथित उल्लंघन को लेकर अधिकारियों से संपर्क करने के बाद शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया.
श्रीराम सेना की जेवरगी तालुका इकाई के अध्यक्ष निंगनगौड़ा मालिपाटिल ने कहा, ‘परीक्षा हॉल के अंदर हिजाब पहने छात्राओं के वीडियो थे. हमने इस मामले को खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) के साथ उठाया और शिक्षक के निलंबन की मांग की.’
उडुपी में 40 छात्राओं ने पीयू परीक्षा छोड़ी
बीते 29 मार्च को कर्नाटक के उडुपी जिले की 40 मुस्लिम छात्राओं ने पहली प्री-यूनिवर्सिटी परीक्षा छोड़ दी, क्योंकि वे हाल में आए हाईकोर्ट के उस आदेश से कथित तौर पर आहत थीं, जिसके अनुसार कक्षा के भीतर हिजाब पहनकर प्रवेश को मंजूरी नहीं दी गई थी.
सूत्रों ने बताया कि छात्राएं 15 मार्च के अदालत के आदेश से आहत थीं, इसलिए उन्होंने हिजाब के बिना परीक्षा में नहीं उपस्थित होने का निर्णय लिया. 29 मार्च को परीक्षा छोड़ने वाली छात्राओं में कुंडापुर की 24 लड़कियां, बिंदूर की 14 और उडुपी सरकारी कन्या पीयू कॉलेज की दो लड़कियां शामिल हैं.
ये छात्राएं कक्षा में हिजाब पहनने पर कानूनी लड़ाई में शामिल थीं. इन लड़कियों ने पहले प्रायोगिक परीक्षा भी छोड़ दी थी. आरएन शेट्टी पीयू कॉलेज में 28 मुस्लिम छात्राओं में से 13 परीक्षा में उपस्थित हुईं. हालांकि कुछ छात्राएं हिजाब पहनकर परीक्षा केंद्र पहुंचीं, लेकिन उन्हें प्रवेश करने की अनुमति नहीं मिली.
उडुपी के भंडारकर कॉलेज की पांच में से चार छात्राओं ने परीक्षा दी और बसरूर शारदा कॉलेज की सभी छात्राएं परीक्षा में उपस्थित रहीं. नवुंदा सरकारी पीयू कॉलेज की आठ में से छह छात्राओं ने परीक्षा छोड़ दी, जबकि 10 मुस्लिम लड़कियों में से केवल दो परीक्षा में उपस्थित हुईं.
सूत्रों ने बताया कि जिले के कुछ निजी कॉलेजों ने लड़कियों को हिजाब पहनकर परीक्षा देने की अनुमति दी. सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई करने से 24 मार्च को इनकार कर दिया था.
मामलू हो कि कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब को लेकर उपजे विवाद से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए बीते 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और उसने कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति देने संबंधी मुस्लिम छात्राओं की खाचिकाएं खारिज कर दी थीं और राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध बरकरार रखा था.
तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि यूनिफॉर्म का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकतीं.
पीठ ने यह भी कहा था कि सरकार के पास 5 फरवरी 2022 के सरकारी आदेश को जारी करने का अधिकार है और इसे अवैध ठहराने का कोई मामला नहीं बनता है. इस आदेश में राज्य सरकार ने उन वस्त्रों को पहनने पर रोक लगा दी है, जिससे स्कूल और कॉलेज में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित होती है.
मुस्लिम लड़कियों ने इस आदेश को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया था. बहरहाल उसी दिन इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
बीते 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले की तत्काल सुनवाई के लिए याचिकाओं को खारिज कर दिया था. याचिका को खारिज करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी. रमना ने कहा था, ‘इसका परीक्षा से कोई लेना-देना नहीं है. इसे सनसनीखेज मत बनाइए.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)