अमशीपुरा फ़र्ज़ी मुठभेड़ः सेना के कैप्टन के ख़िलाफ़ कोर्ट मार्शल की कार्यवाही शुरू

18 जुलाई 2020 को जम्मू के राजौरी के तीन मज़दूर इम्तियाज़ अहमद, मोहम्मद अबरार और अबरार अहमद को अमशीपुरा में सेना के कुछ जवानों ने आतंकी बताते हुए फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मार गिराया गया था. सेना ने 62 राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन भूपेंद्र सिंह के ख़िलाफ़ कोर्ट मार्शल की कार्यवाही शुरू की है. उन्होंने अमशीपुरा में फ़र्ज़ी मुठभेड़ की थी और कहा था कि इस दौरान तीन आतंकियों को मार गिराया गया है.

सेना की मुठभेड़ में मारे गए तीनों मजदूर. (फोटो साभार: ट्विटर)

18 जुलाई 2020 को जम्मू के राजौरी के तीन मज़दूर इम्तियाज़ अहमद, मोहम्मद अबरार और अबरार अहमद को अमशीपुरा में सेना के कुछ जवानों ने आतंकी बताते हुए फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मार गिराया गया था. सेना ने 62 राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन भूपेंद्र सिंह के ख़िलाफ़ कोर्ट मार्शल की कार्यवाही शुरू की है. उन्होंने अमशीपुरा में फ़र्ज़ी मुठभेड़ की थी और कहा था कि इस दौरान तीन आतंकियों को मार गिराया गया है.

सेना की मुठभेड़ में मारे गए तीनों मजदूर. (फोटो साभार: ट्विटर)

श्रीनगरः सेना ने जुलाई 2020 में दक्षिण कश्मीर के अमशीपुरा में हुई फर्जी मुठभेड़ में तीन व्यक्तियों को मार गिराए जाने के मामले में एक कैप्टन के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्यवाही शुरू कर दी है.

इससे पहले एक कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में पाया गया था कि सैनिकों ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफस्पा) के तहत मिली शक्तियों के ‘पार’ जाकर (उल्लंघन करते हुए) कार्रवाई की थी.

सेना ने 62 राष्ट्रीय राइफल्स के कैप्टन भूपेंद्र सिंह के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्यवाही शुरू की है. उन्होंने शोपियां के अमशीपुरा गांव में फर्जी मुठभेड़ की थी और कहा था कि इस दौरान तीन आतंकियों को मार गिराया गया है.

जम्मू क्षेत्र के राजौरी जिले के रहने वाले तीन लोगों इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद इबरार को 18 जुलाई, 2020 को शोपियां जिले के पहाड़ी गांव अमशीपुरा में मार गिराया गया था और उन्हें ‘आतंकवादी’ करार दिया गया था.

हालांकि, उनके परिवारों ने दावा किया था कि तीनों का कोई आतंकी कनेक्शन नहीं था और वे शोपियां में मजदूर के रूप में काम करने गए थे. इसके बाद जब उनकी मौत को लेकर सोशल मीडिया पर संदेह जताया जाने लगा तो सेना ने तुरंत ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ शुरू की. जांच में प्रथमदृष्टया सबूतों से पता चला कि सैनिकों ने आफस्पा के तहत निहित शक्तियों से आगे बढ़कर कार्रवाई की.

अधिकारियों ने कहा कि सेना ने अपने उच्चतम मानकों और आतंकवाद रोधी अभियानों के नैतिक आचरण के प्रति प्रतिबद्धता को बनाए रखते हुए कैप्टन भूपेंद्र सिंह के खिलाफ ‘कोर्ट मार्शल’ की कार्यवाही शुरू की है.

कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के बाद दिसंबर 2020 के अंतिम सप्ताह में लिखित में साक्ष्य दर्ज (समरी ऑफ एविडेंस) करने का काम पूरा किया गया था.

सेना प्रवक्ता ने जारी बयान में कहा, ‘जुलाई 2020 में दक्षिण कश्मीर के शोपियां के अमशीपुरा में एक कैप्टन के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्यवाही शुरू की गई है. भारतीय सेना ऑपरेशन के नैतिक आचरण को लेकर प्रतिबद्ध है. मामले में आगे की जानकारी को साझा किया जाएगा, ताकि कानून की उचित प्रक्रिया पर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़े.’

अधिकारियों ने कहा कि कैप्टन को आफस्पा के तहत निहित शक्तियों का उल्लंघन करने और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित सेना के नियमों का पालन नहीं करने के लिए ‘कोर्ट मार्शल’ की कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है.

सेना ने इस फर्जी मुठभेड़ में जान गंवाने वाले अबरार अहमद के पिता मोहम्मद यूसुफ को भी राजौरी से ‘कोर्ट मार्शल’ की कार्यवाही में गवाही देने के लिए बुलाया था.

उन्होंने कहा, ‘मैं यहां पिछले एक हफ्ते से हूं और सेना के अधिकारियों ने मेरे बेटे के लापता होने की रिपोर्ट मांगी है, जो मैंने मुहैया कराई है. सेना हमारी देखभाल कर रही है और मुझे विश्वास है कि मुझे न्याय मिलेगा.’

फर्जी मुठभेड़ की खबर फैलने के तुरंत बाद जम्मू कश्मीर पुलिस ने एक विशेष जांच दल का गठन किया था, जिसने कैप्टन सिंह सहित तीन लोगों के खिलाफ शोपियां जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में फर्जी मुठभेड़ को अंजाम देने और तीन लोगों की हत्या करने के इल्जाम में चार्जशीट दायर की थी.

इस फर्जी मुठभेड़ में पुलिस की चार्जशीट में कैप्टन भूपेंद्र सिंह उर्फ मेजर बशीर खान पर राजौरी के तीन लोगों के अपहरण और हत्या का आरोप लगाया गया है. पुलिस चार्जशीट में बताया गया है कि कैप्टन ने जिस हथियार से अपराध को अंजाम दिया, वह हथियार पुलिस ने बरामद कर लिया है.

चार्जशीट में आरोप लगाया गया था कि कैप्टन सिंह ने अपने वरिष्ठों और पुलिस को इस मुठभेड़ के दौरान की गई बरामदगी के बारे में गलत जानकारी दी थी.

पुलिस की चार्जशीट में नामजद दो अन्य आरोपी- ताबीश नज़ीर और बिलाल अहमद लोन हैं. दोनों आम नागरिक हैं.

चार्जशीट में कहा गया है कि तीनों आरोपियों ने मुठभेड़ का नाटक कर सबूतों या वास्तविक अपराध के पहलू को खत्म कर दिया. उन्होंने नकद ईनाम पाने के इरादे से झूठी जानकारी के आधार पर कार्रवाई की.

सेना ने हालांकि इस बात से इनकार किया कि उनके कैप्टन ने नकद ईनाम के लिए ऐसा किया.

चार्जशीट में कहा गया, ‘आरोपी कैप्टन सिंह ने सबूत नष्ट कर दिए. कैप्टन सिंह ने अन्य दो आरोपियों के साथ एक आश्रय में आग लगा दी, जहां फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया गया था.’

बता दें कि 18 जुलाई 2020 को जम्मू के राजौरी के तीन मजदूर इम्तियाज अहमद (20 वर्ष), मोहम्मद अबरार (16 वर्ष) और अबरार अहमद (25 वर्ष) को अमशीपुरा में फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया गया था.

सेना और पुलिस ने तीनों मजदूरों को आतंकी करार दिया और उन्हें उत्तरी कश्मीर के कब्रिस्तान में चुपके से दफना दिया.

इस फर्जी मुठभेड़ के बारे में 10 अगस्त 2020 को उस समय पता चला, जब तीनों मजदूरों के शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर लीक हो गईं.

इससे एक दिन पहले ही 9 अगस्त 2020 को इनके परिवारों ने राजौरी जिले के पीरी पुलिस चौकी में यह कहते हुए अपने बेटों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें शिकायत की गई थी कि वे अपने बच्चों से संपर्क नहीं कर पाए हैं, जो काम के लिए शोपियां गए थे और 17 जुलाई 2020 की रात से ही लापता हैं.

जैसे ही ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, तो पीड़ित परिवारों ने उन लोगों की पहचान कर ली, जो सेना को हत्याओं की जांच के आदेश देने के लिए मजबूर कर रहे थे.

सेना ने हीरपोरा पुलिस स्टेशन में दर्ज अपनी प्राथमिकी में दावा किया था कि ग्राम अमशीपुरा में अज्ञात आतंकवादियों के छिपे होने के अपने इनपुट के आधार पर 17 जुलाई, 2020 को मुठभेड़ शुरू की गई थी. इस दौरान तीन अज्ञात आतंकवादियों को मार गिराया गया.

18 सितंबर 2020 को सेना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में इस बात की पुष्टि हो गई कि अमशीपुरा गांव में तीन लोगों की हत्या फर्जी मुठभेड़ में हुई थी और वे असल में राजौरी के रहने वाले मजदूर थे. डीएनए टेस्ट के नतीजों में उनकी पहचान की पुष्टि की गई.

सेना द्वारा की गई समरी ऑफ इविडेंस में कैप्टन सिंह को इन हत्याओं का दोषी पाया गया.

तीन अक्टूबर 2020 को जम्मू कश्मीर सरकार ने तीनों मजदूरों के शवों को बाहर निकाला और उन्हें उनके परिवारों के हवाले कर दिया गया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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