अक्टूबर 2021 में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि उन्हें कुछ परियोजनाओं से संबंधित दो फाइलें पास करने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. सीबीआई ने अब इस संबंध में जम्मू कश्मीर कर्मचारी स्वास्थ्य देखभाल बीमा योजना और किरु जलविद्युत परियोजना के काम के लिए अनुबंध देने में कथित भ्रष्टाचार के संबंध में दो एफआईआर दर्ज की है.
नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जम्मू कश्मीर कर्मचारी स्वास्थ्य देखभाल बीमा योजना और किरु जलविद्युत परियोजना के काम के लिए अनुबंध देने में कथित भ्रष्टाचार के संबंध में दो एफआईआर दर्ज की हैं. जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इनमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था.
दरअसल जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने छह महीने पहले दावा किया था कि उन्हें आरएसएस नेता से संबंधित एक सहित दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी.
एजेंसी ने दो मामलों में अनिल अंबानी की रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी (आरजीआईसी) और चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (सीवीपीपीपीएल) के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने एफआईआर दर्ज करने के बाद जम्मू, श्रीनगर, दिल्ली, मुंबई, नोएडा, केरल में त्रिवेंद्रम और बिहार में दरभंगा में 14 स्थानों पर आरोपियों के परिसर पर तलाशी ली.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आरोपियों में सीवीपीपीपीएल के तत्कालीन अध्यक्ष आईएएस अधिकारी नवीन चौधरी, एमडी एमएस बाबू, दो निदेशक एमके मित्तल और अरुण मिश्रा शामिल हैं. इस मामले में आरोपी फर्म पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड है. ये सभी गुरुवार को जम्मू में दर्ज एक एफआईआर में आरोपी हैं.
बुधवार (20 अप्रैल) को श्रीनगर में एक अलग एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें अनिल अंबानी की आरजीआईसी और ट्रिनिटी रीइंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड को आरोपी बनाया गया है. यह एफआईआर जम्मू कश्मीर के सरकारी कर्मचारियों के लिए लाई गई विवादित स्वास्थ्य देखभाल योजना से जुड़ी है, जिसकी मंजूरी मलिक ने 31 अगस्त, 2018 को राज्य प्रशासन परिषद की बैठक में दी थी.
एफआईआर में आरोप लगाया गया है, ‘जम्मू कश्मीर सरकार के वित्त विभाग के अज्ञात अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर ट्रिनिटी री-इंश्योरेंस ब्रोकर लिमिटेड, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य अज्ञात लोकसेवकों और अन्य निजी लोगों के साथ मिलकर साजिश और सांठगांठ कर आपराधिक षड्यंत्र और आपराधिक कदाचार से लाभ हासिल किया. इससे राजकोष को वर्ष 2017 और 2018 के दौरान नुकसान पहुंचा और इस तरह से जम्मू कश्मीर सरकार के साथ धोखाधड़ी की गई.’
इसमें आरोप लगाया गया कि रिलायंस जनरल इंश्योरेंस को ठेका देने के दौरान सरकारी नियमों का उल्लंघन किया गया जैसे ऑनलाइन टेंडर नहीं निकाला गया, राज्य और कंपनी में काम करने और 5,000 करोड़ रुपये का वार्षिक टर्नओवर होने सहित मूल शर्तों को हटाया गया.
उन्होंने बताया कि अनियमितता के आरोप सामने आने के बाद इस योजना को रद्द कर दिया गया. यह योजना 30 सितंबर 2018 से लागू की जानी थी.
राजभवन के प्रवक्ता ने 27 अक्टूबर, 2018 को बताया था, ‘राज्यपाल ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी (आरजीआईसी) को राज्य में कर्मचारियों और पेंशन भोगियों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने के लिए दिए गए ठेके को खत्म करने को मंजूरी दे दी है.’
प्रवक्ता ने कहा कि मामले को भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो को भेजा गया है, ताकि यह पता किया जा सके कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और सही तरीके से हुई या नहीं.
इस योजना के लिए रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी (आरजीआईसी) से शुरुआती तौर पर एक साल का करार किया गया और इसके तहत कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को स्वयं और परिवार के पांच आश्रित सदस्यों को क्रमश: 8,777 और 22,229 रुपये के वार्षिक प्रीमियम देने पर छह लाख रुपये का बीमा कवर मुहैया कराया जाना था.
दूसरी एफआईआर में सीबीआई ने किरु जलविद्यृत परियोजना का सिविल कार्य ठेका देने में कथित अनियमितता का आरोप लगाया है.
केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि ई-टेंडरिंग संबंधी दिशानिर्देश का अनुपालन नहीं किया गया.
सीबीआई ने चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स (प्राइवेट) लिमिटेड (सीवीपीपीपीएल) पूर्व अध्यक्ष नवीन कुमार, पूर्व प्रबंध निदेशक एमएस बाबू, पूर्व निदेशक एमके मित्तल और अरुण कुमार मिश्रा और पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को नामजद किया है.
एफआईआर में आरोप लगाया गया, ‘चल रही टेंडर की प्रक्रिया को रद्द करते हुए सीवीपीपीपीएल की 47वीं बोर्ड बैठक में ई-टेंडरिंग के जरिये दोबारा टेंडर निकालने का फैसला किया गया, लेकिन 48वीं बैठक में लिए गए फैसले के अनुरूप इसे लागू नहीं किया गया और अंतत: ठेका पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को दे दिया गया.’
गौरतलब है कि 23 अगस्त, 2018 से 30 अक्टूबर, 2019 तक तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे मलिक ने पिछले साल सनसनीखेज दावा किया था कि उन्हें परियोजनाओं से संबंधित दो फाइलें पास करने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी.
पिछले साल 17 अक्टूबर को राजस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में सत्यपाल मलिक ने कहा था, ‘कश्मीर जाने के बाद मेरे सामने दो फाइलें (मंजूरी के लिए) लाई गईं. एक अंबानी और दूसरी आरएसएस से जुड़े व्यक्ति की थी, जो महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली तत्कालीन पीडीपी-भाजपा सरकार में मंत्री थे और प्रधानमंत्री के बहुत करीबी थे.’
उन्होंने कहा था, ‘दोनों विभागों के सचिवों ने मुझे बताया था कि यह अनैतिक कामकाज जुड़ा हुआ है, लिहाजा दोनों सौदे रद्द कर दिए गए. सचिवों ने मुझसे कहा था कि आपको प्रत्येक फाइल को मंजूरी देने के लिए 150-150 करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं पांच जोड़ी कुर्ता-पायजामा लेकर आया था और केवल उन्हें ही वापस लेकर जाऊंगा.’
उन्होंने आगे कहा था, ‘मेरे एक सचिव ने मुझे बताया था कि दोनों ही सौदों में मुझे प्रत्येक के बदले 150 करोड़ रुपये मिलेंगे. लेकिन मैंने प्रधानमंत्री से समय मांगा और उन्हें घोटाले से अवगत कराया. मैंने उन्हें बताया कि वे (रिश्वत की पेशकश करने वाले) आपके करीबी विश्वासपात्र होने का दावा करते हैं. मुझे पीएम की सराहना करनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने मुझसे भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करने के लिए कहा था.’
पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले जाट नेता मलिक नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान जम्मू कश्मीर और गोवा के राज्यपाल रहने के बाद और वर्तमान में मेघालय के राज्यपाल हैं.
पिछले महीने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने घोषणा की थी कि मलिक द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर हैं और प्रशासन ने जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है. उन्होंने जम्मू में संवाददाताओं से कहा था, ‘चूंकि उच्च पद पर आसीन व्यक्ति ने कुछ कहा है, हमने दोनों मामलों में जांच के लिए सीबीआई को अपनी सहमति दे दी है. जांच के बाद सच सामने आएगा.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)