उत्तराखंड में ग़ैर-निवासियों की पहचान के लिए सत्यापन अभियान शुरू, 201 ‘संदिग्ध’ पाए गए: रिपोर्ट

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो दिन पहले ही पुलिस को सत्यापन अभियान के तहत ऐसे लोगों की पृष्ठभूमि का पता लगाने का निर्देश दिया था, जो अन्य राज्यों से आकर राज्य में बस गए हैं. कांग्रेस ने सरकार के इस अभियान को एक विशेष समुदाय के ख़िलाफ़ बताया है. 

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पुष्कर​ सिंह​ धामी. (फोटो: पीटीआई)

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो दिन पहले ही पुलिस को सत्यापन अभियान के तहत ऐसे लोगों की पृष्ठभूमि का पता लगाने का निर्देश दिया था, जो अन्य राज्यों से आकर राज्य में बस गए हैं. कांग्रेस ने सरकार के इस अभियान को एक विशेष समुदाय के ख़िलाफ़ बताया है.

उत्तराखंड पुलिस. (प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शुरू किए गए सत्यापन अभियान के तहत ऐसे 201 ‘संदिग्ध’ लोगों की पहचान की गई है, जो अन्य राज्यों से आकर उत्तराखंड में रह रहे हैं. मीडिया में आई कुछ खबरों में ये जानकारी सामने आई है.

दरअसल मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले ही राज्य पुलिस को सत्यापन अभियान के तहत ऐसे लोगों की पृष्ठभूमि का पता लगाने का निर्देश दिया था, जो अन्य राज्यों से आकर उत्तराखंड में बस गए हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड पुलिस ने 21 अप्रैल को ऐसे ‘संदिग्ध’ लोगों की पहचान की, जो अन्य राज्य से आकर यहां बस गए हैं. राज्य में दस दिवसीय सत्यापन अभियान 21 अप्रैल को ही शुरू हुआ था.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने उत्तराखंड में रह रहे इस तरह के 4,094 ‘गैर-निवासियों’ की पहचान करने का दावा किया है, जिनमें से 201 ‘संदिग्ध’ हैं. इन संदिग्धों में 32 मजदूर, 97 फेरीवाले और 46 किरायेदार हैं.

रिपोर्ट में कहा गया, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सभी 201 लोगों के खिलाफ निवारक कार्रवाई की गई है.

राज्य पुलिस द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के आधार पर 4,094 लोगों की पृष्ठभूमि का विवरण देते हुए कहा गया कि इनमें से 1,770 मजदूर, 1,043 फेरीवाले, 1,147 किरायेदार और 134 अन्य हैं.

बता दें कि धामी ने पुलिस को यह निर्देश इसी महीने (अप्रैल) में दिए थे. दरअसल हरिद्वार में आयोजित विवादित धर्म संसद के आयोजक स्वामी आनंदस्वरूप ने राज्य के भूमि अधिनियम में बदलाव के लिए मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए उन्हें एक पत्र लिखा था.

इस पत्र में यह सुनिश्चित करने को कहा गया था कि कोई भी गैर-हिंदू चार धाम क्षेत्र में न तो जमीन खरीद सके,  न ही घरों का निर्माण कर सके और न ही कारोबार कर सके.

बता दें कि चार धाम उत्तराखंड में लोकप्रिय हिंदू तीर्थयात्रा स्थलों में से एक है.

आनंदस्वरूप दिसंबर 2021 में आयोजित हरिद्वार धर्म संसद में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरती भाषण देने की वजह से विवादों में रहे हैं.

उस समय आनंदस्वरूप ने कहा था, ‘इस धर्म संसद का फैसला भगवान का वचन होगा और सरकार को इसे सुनना होगा. अगर ऐसा नहीं होगा तो हम युद्ध शुरू करेंगे, जो 1857 की क्रांति से भी अधिक भीषण होगा.’

द वायर ने उनके पहले के नफरती और भड़काऊ भाषणों का भी दस्तावेजीकरण किया है, जिन्हें यहां देखा जा सकता है.

यह पूछने पर कि क्या इस सत्यापन अभियान का केंद्र गैर हिंदू होंगे, जैसा कि आनंदस्वरूप ने मांग की थी तो धामी से इससे इनकार नहीं करते हुए कहा था, ‘हमारे राज्य की अलग संस्कृति है, जिसे सहेजकर रखे जाने की जरूरत है. सरकार इसे सुनिश्चित करने के लिए अभियान चलाएगी.’

उन्होंने कहा था, ‘इस अभियान के तहत हम ऐसे लोगों का पता लगाएंगे, जिनके पूर्वज संदिग्ध हैं और उनकी पृष्ठभूमि का सत्यापन किया जाएगा. हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि ऐसे लोग उत्तराखंड में न रहें और यहां की शांति भंग न करें.’

आनंदस्वरूप के पत्र के बाद मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार के इस अभियान को एक विशेष समुदाय के खिलाफ बताया.

उत्तराखंड कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने बताया कि पार्टी किसी सत्यापन अभियान का विरोध नहीं कर रही, लेकिन अगर इसका असल कारण कानून एवं व्यवस्था बनाए रखना है तो इस अभियान को पूरे साल चलाया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘हालांकि मामला यह नहीं है, सरकार ने स्पष्ट रूप से अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने के लिए मामले को सांप्रदायिक बना दिया है, जो उनके राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा है.’

भाजपा सरकार की इस कार्रवाई पर कांग्रेस के विरोध पर पलटवार करते हुए उत्तराखंड भाजपा के मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा, ‘इसका उद्देश्य उत्तराखंड में किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के लिए असामाजिक तत्वों की पहचान करना है, लेकिन कांग्रेस इसे अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के कदम के रूप में देख रही है, क्योंकि यह रुख उनकी तुष्टिकरण की राजनीति का समर्थन करता है.’

वहीं, राज्य के डीजीपी अशोक कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि पुलिस बिना किसी पक्षपात के राज्य के सभी 13 जिलों में यह सत्यापन अभियान चला रही है.

उन्होंने कहा, ‘सभी समुदायों से जुड़े लोगों की जांच की जा रही है. प्रदेश में शांति और सद्भाव में किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए सभी संदिग्ध तत्वों के खिलाफ कार्रवाई होगी, चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले क्यों न हों.’

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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