उत्तर प्रदेश बोर्ड की इंटरमीडिएट की अंग्रेज़ी परीक्षा का पेपर बीते 30 मार्च को लीक हो गया था. आरोप है कि इस संबंध में ख़बर लिखने के कारण बलिया के तीनों पत्रकारों को गिरफ़्तार किया गया था. उनकी रिहाई के लिए प्रदर्शन कर रहे संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा ने इस मामले में डीएम-एसपी सहित ज़िम्मेदार अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही होने तक आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है.
गोरखपुर: यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट अंग्रेजी की प्रश्न पत्र लीक होने की कथित तौर पर खबर लिखने पर गिरफ्तार किए गए तीन पत्रकारों- अजीत कुमार ओझा, दिग्विजय सिंह और मनोज गुप्ता को बीते सोमवार को जमानत मिल गई. मंगलवार को तीनों पत्रकार जेल से रिहा भी हो गए हैं.
पत्रकार दिग्विजय सिंह और मनोज गुप्ता की जमानत एक सप्ताह पहले ही हो गई थी. अजीत कुमार ओझा की भी दो मामलों में जमानत पहले हो गई थी. ओझा की जिला एवं सत्र न्यायालय से सोमवार को तीसरे मामले में भी जमानत हो गई.
उधर संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा ने इस मामले में डीएम-एसपी सहित जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही होने तक आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है.
मोर्चा ने कहा है कि डीएम कार्यालय पर 11 अप्रैल से चल रहा क्रमिक अनशन जारी रहेगा और पूर्व घोषित 30 अप्रैल को जेल भरो आंदोलन भी होगा.
उत्तर प्रदेश बोर्ड की इंटरमीडिएट की अंग्रेजी परीक्षा का पेपर बीते 30 मार्च को लीक हो गया था. इसके बाद 24 जिलों में इंटरमीडिएट अंग्रेजी की परीक्षा रद्द कर दी गई थी.
इस मामले में बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक को निलंबित करने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था.
इसके पहले बलिया में हाईस्कूल संस्कृत का भी पेपर लीक होने की खबर आई थी, लेकिन प्रशासन ने कहा कि पेपर लीक नहीं हुआ है.
पेपर लीक मामले में तीन पत्रकारों- अजीत कुमार ओझा, दिग्विजय सिंह और मनोज गुप्ता को भी आरोपी बनाते हुए पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इस मामले में बलिया पुलिस ने 30 से अधिक लोगों की गिरफ़्तारी की थी.
पत्रकार अजीत ओझा और दिग्विजय सिंह अमर उजाला और मनोज गुप्ता राष्ट्रीय सहारा से जुड़े हैं. दिग्विजय सिंह और मनोज गुप्ता नगरा से रिपोर्टिंग करते थे. दोनों के खिलाफ नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी.
अजीत ओझा के खिलाफ बलिया के सिटी मजिस्ट्रेट ने एफआईआर दर्ज कराई थी. बाद में नगरा और उभांव थाने में दर्ज एफआईआर में भी अजीत ओझा का नाम शामिल कर दिया गया था.
बलिया कोतवाली में सिटी मजिस्ट्रेट प्रदीप कुमार की तहरीर पर जिला विद्यालय निरीक्षक और पत्रकार अजीत झा के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम 1998 की धारा 4, 5 और 10 तथा आईटी एक्ट (संशोधन) 2008 की धारा 66 बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
एफआईआर में कहा गया था, ‘30 मार्च को सोशल मीडिया में माध्यमिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद के अंग्रेजी प्रश्न पत्र के लीक होने की सूचना वायरल हो रही थी. हरिपुर गडवार में तैनात शिक्षक अजीत ओझा व अज्ञात लोगों के फोन से भी यह सूचना लीक होने का संदेह है. प्रश्न पत्र के लीक होने की सूचना वायरल होते ही परीक्षा केंद्रों पर विद्यार्थियों द्वारा हंगामा एवं नारेबाजी शुरू कर दिया गया, जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ने की संभावना हो गई.’
एफआईआर के मुताबिक, ‘इस संबंध में सभी जिम्मेदार अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, शिक्षक अजीत ओझा और अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करें. कुछ अज्ञात लोग जो धन अर्जित करने की नियति से इस कृत्य में सम्मिलित हैं, उनके खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज कर आवश्यक कार्यवाही करें. अजीत ओझा हरिपुर इंटर कॉलेज में शिक्षक एवं प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र के संवाददाता पत्रकार भी हैं.’
तीनों पत्रकारों के अधिवक्ता मिथिलेश सिंह ने बताया कि दिग्विजय सिंह और मनोज गुप्ता के खिलाफ नगरा थाने में आईपीसी 467, 468, 471, 420 और उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम 1998 की धारा 4, 5 और 10 के तहत केस दर्ज किया गया था. पत्रकार अजित ओझा पर बलिया कोतवाली के अलावा नगरा और उभांव थाने में इन्ही धाराओं में भी केस दर्ज किया गया था.
उन्होंने बताया कि विवेचना के बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा 420 हटा लिया था, लेकिन वे अपने आरोपों के बारे में कोई साक्ष्य नहीं जुटा पाए.
उन्होंने बताया कि पत्रकार दिग्विजय सिंह और मनोज गुप्ता ने कहा कि भले ही उनकी जमानत हो गई है, लेकिन जब अजित ओझा की जमानत हो जाएगी तभी वे जेल से रिहा होना पसंद करेंगे. सभी औपचारिकताएं पूरी कर आजमगढ़ जेल भिजवा दिया गया है. उम्मीद है कि मंगलवार तक तीनों पत्रकार जेल से छूट जाएंगे.
संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा के प्रमुख सदस्य एवं भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के प्रांतीय प्रमुख महासचिव मधुसूदन सिंह ने बताया कि डीएम-एसपी के खिलाफ कार्यवाही की मांग को लेकर हमारा आंदोलन चलता रहेगा. जेल से छूटकर आ रहे पत्रकार साथियों का आंदोलन स्थल पर स्वागत किया जाएगा. उन्होंने बताया कि हम 30 अप्रैल को जेल भरो आंदोलन करने पर अडिग हैं.
पत्रकार दिग्विजय सिंह ने गिरफ्तारी के वक्त कहा था कि वह बलिया जिले के नगरा से अमर उजाला में लिखते हैं. वे भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार संघ के मंडल अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने 29 मार्च को हाईस्कूल की संस्कृत परीक्षा का पेपर लीक होने की खबर भेजी थी जो प्रकाशित हुई.
उन्होंने बताया था कि अगले दिन 30 मार्च को इंटरमीडिएट अंग्रेजी के प्रश्न पत्र लीक होने की खबर भी छपी. उन्होंने अपने पत्रकारीय दायित्व का पालन किया लेकिन उन्हें, अजीत कुमार ओझा और मनोज गुप्ता को प्रशासन ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया.
उन्होंने पुलिस और प्रशासन पर उत्पीड़न का भी आरोप लगाया और कहा कि नगरा, भीमपुरा, बेल्थरा क्षेत्र में खुलेआम कापियां लिखी जा रही हैं और प्रशासन इसको रोक पाने में असमर्थ है. अपनी असमर्थता छिपाने के लिए पत्रकारों के उपर कार्यवाही की गई है.
पत्रकार अजीत ओझा ने कहा था कि लीक प्रश्न पत्र इंटरनेट पर वायरल हुआ था और वहीं से उन्हें मिला. इस बारे में उन्होंने जिला प्रशासन और डीआईओएस से उनका पक्ष भी जाना और उनके मांगे जाने पर प्रश्न पत्र की वायरल कॉपी को वॉट्सऐप पर भेजा भी, लेकिन कुछ देर बाद ही उनके दफ्तर में बलिया कोतवाल पहुंचे और उन्हें पकड़ कर ले गए.
उन्होंने बताया कि इस दौरान आफिस में तोड़फोड़ व सहयोगियों से हाथापाई भी की गई. बलिया कोतवाली में कई घंटे तक उन्हें हिरासत में रखने के बाद जेल भेज दिया गया.
तीन पत्रकारों की गिरफ्तारी के विरोध में पत्रकारों ने बलिया कोतवाली में उसी दिन प्रदर्शन किया. उसके बाद से पत्रकारों ने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया जो 11 अप्रैल से क्रमिक अनशन में बदल गया. पत्रकारों ने अपने आंदोलन को संगठित रूप से चलाने के लिए संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा का गठन किया जिसमें कई पत्रकार संगठन शामिल थे.
इसी की अगुवाई में आंदोलन हो रहा है. पत्रकारों के समर्थन में व्यापारियों सहित छात्रों, अधिवक्ताओं, राजनीतिक दलों ने भी प्रदर्शन किया. व्यापारियों के संगठनों ने पत्रकारों के समर्थन में छह अप्रैल को बलिया बंद का आह्वान किया था, जिसमें व्यापक समर्थन मिला. बंद का असर पूरे बलिया में देखा गया.
पत्रकारों के समर्थन में देवरिया, मऊ, आजमगढ़, लखनऊ सहित कई स्थानों पर प्रदर्शन हुए थे.
(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक हैं.)