गुजरात विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया

गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए त्याग-पत्र में यह जानकारी दी कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया है. हार्दिक ने कांग्रेस पर गुजरात विरोधी सोच होने का आरोप लगाया और दावा किया कि कांग्रेस सिर्फ़ विरोध की राजनीति कर रही है और ख़ुद को एक विकल्प के तौर पर पेश करने में विफल रही है.

हार्दिक पटेल. (फोटो साभार: फेसबुक)

गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए त्याग-पत्र में यह जानकारी दी कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया है. हार्दिक ने कांग्रेस पर गुजरात विरोधी सोच होने का आरोप लगाया और दावा किया कि कांग्रेस सिर्फ़ विरोध की राजनीति कर रही है और ख़ुद को एक विकल्प के तौर पर पेश करने में विफल रही है.

हार्दिक पटेल (फोटो साभार: फेसबुक)

अहमदाबाद/नई दिल्ली: कांग्रेस की गुजरात इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने बुधवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया.

उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए त्याग-पत्र को ट्विटर पर साझा कर यह जानकारी दी कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.

हार्दिक ने कांग्रेस पर गुजरात विरोधी सोच होने का आरोप लगाया और दावा किया कि कांग्रेस सिर्फ विरोध की राजनीति कर रही है और खुद को एक विकल्प के तौर पर पेश करने में विफल रही है.

उन्होंने कहा, ‘आज मैं हिम्मत करके पार्टी के पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं. मुझे विश्वास है कि मेरे इस निर्णय का स्वागत मेरा हर साथी और गुजरात की जनता करेगी.’

हार्दिक ने यह भी कहा, ‘मैं मानता हूं कि मेरे इस कदम के बाद मैं भविष्य में गुजरात के लिए सच में सकारात्मक रूप से कार्य कर पाऊंगा.’

उन्होंने अपने त्याग-पत्र में कहा है, ‘कांग्रेस को सही दिशा में ले जाने के कई प्रयासों के बावजूद पार्टी लगातार मेरे देश और हमारे समाज के हितों के खिलाफ काम कर रही है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘जब भारत, गुजरात और मेरे पाटीदार समुदाय से संबंधित मुद्दों की बात आई तो कांग्रेस का एकमात्र स्टैंड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने जो कुछ भी किया, उसका विरोध करना था! कांग्रेस को आज भारत के लगभग हर राज्य में खारिज कर दिया गया है, क्योंकि पार्टी और उसका नेतृत्व लोगों के सामने एक बुनियादी रोडमैप पेश नहीं कर पाया है.’

उन्होंने कहा, ‘सभी मुद्दों के बारे में गंभीरता की कमी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ एक बड़ी समस्या है. जब भी मैं वरिष्ठ नेतृत्व से मिला, मुझे हमेशा लगा कि नेताओं को गुजरात के लोगों से संबंधित समस्याओं के बारे में सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं थी, बल्कि वे अपने मोबाइल और अन्य छोटी-छोटी बातों पर जो संदेश प्राप्त करते थे, उसमें अधिक तल्लीन थे.’

उनके अनुसार, ‘जब भी हमारे देश को चुनौतियों का सामना करना पड़ा और जब कांग्रेस को नेतृत्व की जरूरत थी, कांग्रेस नेता विदेशों में आनंद ले रहे थे.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हार्दिक पटेल ने इस्तीफा देते हुए कांग्रेस पार्टी के ‘शीर्ष नेतृत्व’ पर गुजरात और गुजरातियों से नफरत करने और गंभीरता की कमी का आरोप लगाया. गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले दिए गए अपने त्याग-पत्र में पाटीदार नेता पटेल ने कांग्रेस पर ‘देश और समाज के हित के खिलाफ काम करने’ का भी आरोप लगाया.

हार्दिक पटेल पिछले एक साल से कांग्रेस के राज्य नेतृत्व की आलोचना कर रहे थे और उन पर संगठनात्मक फैसलों पर उन्हें जानकारी नहीं देने और उनकी राजनीतिक संभावनाओं को खत्म करने का आरोप लगा रहे थे.

गुजरात में 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बाद सुर्खियों में आए 28 वर्षीय हार्दिक पटेल 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और जुलाई 2020 में उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.

वह हाल ही में राजस्थान के उदयपुर में हुए तीन दिवसीय कांग्रेस चिंतन शिविर में मौजूद नहीं थे. उन्होंने दो दिन पहले खोडलधाम संस्थापक और पाटीदार नेता नरेश पटेल से भी मुलाकात की थी.

रिपोर्ट के अनुसार, वे कहते हैं, ‘वरिष्ठ नेता इस तरह से व्यवहार करते हैं जैसे वे गुजरात और गुजरातियों से नफरत करते हैं. फिर दुनिया में कांग्रेस कैसे उम्मीद कर सकती है कि गुजरात के लोग उन्हें हमारे राज्य का नेतृत्व करने के विकल्प के रूप में देखेंगे?’

उनके मुताबिक, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम जैसे कार्यकर्ता जो लोगों से मिलने के लिए एक दिन में हमारी कारों में 500-600 किलोमीटर का सफर तय करते हैं, उन्हें यह देखने को मिलता है कि कांग्रेस के बड़े नेता गुजरात के मुद्दों से बहुत दूर हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं कि दिल्ली से आए नेताओं के लिए चिकन सैंडविच समय पर डिलीवर हो जाए.’

हार्दिक अपने त्याग-पत्र में कहते हैं, ‘जब भी मैं युवाओं के बीच जाता था तो मुझसे हमेशा पूछा जाता था कि मैं ऐसी पार्टी में क्यों हूं जो लगातार गुजरातियों का अपमान करती है- चाहे वह व्यवसाय क्षेत्र में हो, धर्म के मामले में और यहां तक कि राजनीति में भी.’

उन्होंने कहा, ‘गुजराती कभी नहीं भूल सकते कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने सरदार वल्लभभाई पटेल का अपमान किया है. मेरा दृढ़ विश्वास है कि कांग्रेस ने कई वर्षों से पार्टी में युवाओं के विश्वास को तोड़ा है और इसलिए आज कोई भी युवा हमारे कार्यकर्ता या मतदाता के रूप में देखने को तैयार नहीं है.

पटेल ने अपने त्याग-पत्र में कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी हमला बोला है.

पटेल ने राज्य नेतृत्व पर भी पार्टी को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत वित्तीय लाभ के लिए सार्वजनिक महत्व के कई मुद्दों को कमजोर कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि जब मेरे जैसे लोग राज्य के लिए कुछ अच्छा करना चाहते थे, तब भी मुझे और मेरे समुदाय को उपहास और अवमानना का सामना करना पड़ा. जब मैं कांग्रेस में शामिल हुआ तो मुझे नहीं पता था कि कांग्रेस के नेतृत्व के दिल और दिमाग में हमारे देश, मेरे समुदाय और खासकर युवाओं के प्रति इतनी नफरत है.’

पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा कर चुके पाटीदार नेता ने एक बार फिर लिखा कि कैसे कांग्रेस ने केंद्र द्वारा उठाए गए कदमों का विरोध किया. उन्होंने कहा, ‘अयोध्या में राम मंदिर हो, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 का निरस्त होना, या जीएसटी का कार्यान्वयन, भारत लंबे समय से इन विषयों का समाधान चाहता था और कांग्रेस ने केवल एक अवरोधक की भूमिका निभाई और हमेशा केवल अवरोधक थी.’

बीते अप्रैल माह में हार्दिक पटेल ने ‘फैसला लेने की क्षमता’ के लिए राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की तारीफ की थी और कहा था कि विपक्षी दल (कांग्रेस) की प्रदेश इकाई नेतृत्व में इसका (निर्णय लेने की क्षमता का) अभाव है.

पटेल ने यह भी कहा था कि उन्हें ‘हिंदू होने पर गर्व है.’ हालांकि, उन्होंने इन अटकलों को खारिज किर दिया कि वह भाजपा में शामिल हो रहे हैं.

उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें ऐसा फैसला लेना भी पड़ा तो वह इस विषय को ‘खुले दिल से’ लोगों के समक्ष ले जाएंगे.

इससे पहले अप्रैल महीने में ही कांग्रेस की गुजरात इकाई की ‘कार्यशैली’ पर नाखुशी जाहिर करते हुए पटेल ने दावा किया था कि उन्हें राज्य इकाई में दरकिनार किया गया और नेतृत्व उनकी क्षमताओं का उपयोग करने का इच्छुक नहीं है.

इसके बाद पटेल ने यह आरोप भी लगाया था कि पार्टी का प्रदेश नेतृत्व उन्हें परेशान कर रहा है और राज्य के कांग्रेस नेता चाहते हैं कि वे पार्टी छोड़ दें.

उन्होंने यह भी कहा था, ‘कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व पूरी तरह से बेकार काम कर रहा है. गुटबाजी को बढ़ावा दिया जा रहा है. सारी स्थिति के बारे में राहुल जी को कई बार बताया, लेकिन कोई निर्णय नहीं होता है. इसलिए ज्यादा दुख होता है.’

हार्दिक पटेल ने गुजरात विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ खुलकर बगावत करने के बाद इस्तीफा दिया है. राज्य में इस साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होना है. कांग्रेस 27 वर्षों से गुजरात की सत्ता से बाहर है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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