श्रीलंका: नौ मई को सरकार विरोधी और समर्थकों के बीच हिंसा मामले में 1,500 लोग गिरफ़्तार

श्रीलंकाई पुलिस ने नौ मई को सरकार विरोधी और सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़पों के संबंध में अब तक कम से कम 1,500 लोगों को गिरफ़्तार किया है. इन झड़पों में कम से कम 10 लोगों की मौत हुई है. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए सोमवार को आठ और मंत्रियों को इसमें शामिल किया है.

/
कोलंबो में एक प्रदर्शन की तस्वीर. (फोटो: रॉयटर्स)

श्रीलंकाई पुलिस ने नौ मई को सरकार विरोधी और सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़पों के संबंध में अब तक कम से कम 1,500 लोगों को गिरफ़्तार किया है. इन झड़पों में कम से कम 10 लोगों की मौत हुई है. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए सोमवार को आठ और मंत्रियों को इसमें शामिल किया है.

कोलंबो में एक प्रदर्शन की तस्वीर. (फोटो: रॉयटर्स)

कोलंबो: श्रीलंकाई पुलिस ने देश में सरकार विरोधी और सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़पों के संबंध में अब तक कम से कम 1,500 लोगों को गिरफ्तार किया है. एक मीडिया रिपोर्ट में सोमवार को यह जानकारी दी गई.

इन झड़पों में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई और 200 से अन्य लोग घायल हो गए. देश के सबसे बड़े आर्थिक संकट के कारण पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को अपदस्थ किए जाने की मांग को लेकर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर राजपक्षे के समर्थकों ने हमला कर दिया था, जिसके बाद नौ मई को हिंसा भड़क गई थी.

ऑनलाइन पोर्टल ‘न्यूजफर्स्ट डॉट आईके’ के अनुसार, श्रीलंकाई पुलिस के प्रवक्ता एसएसपी निहाल थलदुवा ने बताया कि इस हिंसा के संबंध में 1,500 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटे में 152 लोगों को गिरफ्तार किया गया.

श्रीलंका के अपराध अन्वेषण विभाग (सीआईडी) ने बीते 21 मई को पुलिस महानिरीक्षक चंदना डी. विक्रमरत्ना से पूछताछ की थी. यह पूछताछ नौ मई को उनके कदम को लेकर की गई है, जिससे सरकार समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा हुई थी.

ऑनलाइन पोर्टल ‘कोलंबो गैजेट’ के मुताबिक, इस हफ्ते की शुरुआत में गाले जिले से सांसद रमेश पथिराणा ने संसद को सूचित किया कि वरिष्ठ पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) और पश्चिमी प्रांत के प्रभारी देशबंधु तिन्नाकून ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को जानकारी दी थी कि विक्रमरत्ना ने उन्हें निर्देश दिया था कि गाले की ओर आ रही उस भीड़ को न रोका जाए, जो सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने जा रही थी.

पथिराणा ने कहा कि राष्ट्रपति ने स्थिति को नियंत्रण से बाहर जाने से रोकने के लिए कार्रवाई करने को कहा.

कोलंबो गैजेट के मुताबिक, राष्ट्रपति के आदेश के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछार की, लेकिन उस समय तक बड़ी संख्या में लोग घायल हो चुके थे और कम से कम 10 लोगों की मौत हो चुकी थी.

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह सीआईडी ने सत्तारूढ़ दल एसएलपीपी (श्रीलंका पोडुजन पेरामुना) के संसदीय समूह के तीन सदस्यों से झड़प में कथित संलिप्तता को लेकर पूछताछ की थी.  वहीं, पूर्व में गिरफ्तार उनके दो सहयोगियों को 25 मई तक के लिए हिरासत में भेजा गया है.

पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के बेटे और पूर्व मंत्री नमल राजपक्षे को भी बीते 20 मई को समन जारी किया गया था और उनका बयान दर्ज किया गया था.

गठबंधन सरकार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि नौ मई की हिंसा को उकसाने में विपक्षी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना की भूमिका थी, लेकिन मार्क्सवादी पार्टी ने इस आरोप से इनकार किया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, महिंदा राजपक्षे के समर्थकों द्वारा सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर किए गए हमले के बाद अचानक शुरू हुई हिंसा में उग्र भीड़ ने कई सांसदों के घरों और कार्यालयों को आग के हवाले कर दिया था. इसके कुछ घंटे बाद महिंदा राजपक्षे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और पूरे देश में कर्फ्यू लागू कर दिया गया.

इस हिंसा में हंबनटोटा में राजपक्षे के पैतृक घर सहित कई राजनेताओं के घरों में आगजनी हुई थी. करीब 78 सरकारी सांसदों की संपत्तियों को हमले के बाद आग लगा दी गई थी.

देश के इतिहास में अब तक का सबसे खराब आर्थिक संकट – श्रीलंका में कर्ज में डूबी अर्थव्यवस्था को संभालने के सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से अभूतपूर्व आर्थिक उथल-पुथल से जूझ रहा है.

राष्ट्रपति ने आठ और मंत्रियों को शपथ दिलाई

इधर, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए सोमवार को आठ और मंत्रियों को इसमें शामिल किया, लेकिन संकटग्रस्त देश के आर्थिक मामलों को देखने के लिए उन्होंने किसी वित्त मंत्री की नियुक्ति नहीं की.

‘इकोनॉमी नेक्स्ट’ समाचार पोर्टल ने ट्वीट किया कि मत्स्य पालन मंत्री के रूप में डगलस देवानंद, परिवहन एवं राजमार्ग और संचार मीडिया मंत्री के रूप में बंडुला गुणवर्धना, स्वास्थ्य एवं जल आपूर्ति मंत्री के रूप में केहेलिया रामबुक्वेला, उद्योग मंत्री के रूप में रमेश पथिराणा और कृषि, वन्यजीव एवं वन्यजीव संरक्षण मंत्री के रूप में महिंदा अमरवीरा ने शपथ ग्रहण की.

इनके अलावा धर्म और संस्कृति मंत्री के रूप में विदुर विक्रमनायक, पर्यावरण मंत्री के रूप में नसीर अहमद और सिंचाई, खेल एवं युवा मंत्री के रूप में रोशन रणसिंघे ने शपथ ली.

आजादी के बाद के सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में पूर्ण मंत्रिमंडल के गठन तक स्थिरता सुनिश्चित करने की कोशिशों के तहत राष्ट्रपति राजपक्षे ने बीते 20 मई को नौ कैबिनेट मंत्रियों को शपथ दिलाई थी.

राष्ट्रपति द्वारा नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को नियुक्त किए जाने के एक सप्ताह से अधिक समय के बाद मंत्रियों को शपथ दिलाई गई. राष्ट्रपति ने पांच बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री रहे विक्रमसिंघे को एक बार फिर यह पद सौंपा है.

मालूम हो कि महिंद्रा राजपक्षे को देश के बिगड़ते आर्थिक हालात के मद्देनजर हुईं हिंसक झड़पों के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

उसके बाद 73 वर्षीय रानिल विक्रमसिंघे को देश में सबसे खराब आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने श्रीलंका का 26वां प्रधानमंत्री नियुक्त किया था.

श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से सबसे बुरे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है.

गौरतलब है कि 6 मई को एक विशेष कैबिनेट बैठक में राष्ट्रपति राजपक्षे ने मध्य रात्रि से आपातकाल की घोषणा कर दी थी. यह दूसरी बार है जब श्रीलंका में लगभग एक महीने की अवधि में आपातकाल घोषित किया गया. फिलहाल आपातकाल वापस ​ले लिया गया है.

आपातकाल के तहत पुलिस और सुरक्षा बलों को मनमाने तरीके से किसी को भी गिरफ्तार करने और हिरासत में रखने की शक्ति मिल जाती है.

इससे पहले राजपक्षे ने उनके निजी आवास के बाहर जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन के बाद एक अप्रैल को भी आपातकाल की घोषणा की थी. हालांकि, पांच अप्रैल को इसे वापस ले लिया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)