इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन नामक एनजीओ के प्रमुख मार्क टी. हाओकिप को राजधानी दिल्ली से गिरफ़्तार किया गया है. मणिपुर की दो पहाड़ियों- थांगजिंग और कोबरू पर अधिकार को लेकर मेईतेई और कुकी जनजातीय समूह के बीच विवाद जारी है. दोनों समूह इन पहाड़ियों पर अपना दावा करते हैं. पहाड़ियों को लेकर पर विवाद पर हाओकिप की टिप्पणी को लेकर उन्हें गिरफ़्तार कर इंफाल ले जाया गया है.
नई दिल्ली: मणिपुर राज्य में दो पहाड़ियों- थांगजिंग (Thangjing) और कोबरू (Koubru) पर अधिकार को लेकर जारी विवाद के बीच मणिपुर के सामाजिक कार्यकर्ता मार्क टी. हाओकिप को राजधानी दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है. इन पहाड़ियो पर मेईतेई और कुकी जनजातीय समूह स्वामित्व का दावा करते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हाओकिप के नेतृत्व वाले इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन (आईएचआरए) के सदस्य मंग वैफेई ने कहा कि 37 वर्षीय कार्यकर्ता कुकी समुदाय के अधिकारों और आरक्षित वनों, संरक्षित वनों और वन्यजीव अभयारण्यों की आड़ में मणिपुरी सरकार के ‘आदिवासी भूमि हड़पने’ के ‘डराने’ कार्यक्रम के खिलाफ मुखर थे.
बीते 18 मई को उन्होंने अपने फेसबुक एकाउंट से पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘आरक्षित वन एवं वृक्षारोपण अभियान की आड़ में पहाड़ी जनजातियों की जातीय सफाई अभियान बंद करो. पहाड़ी जनजातियों की बस्तियों को उजाड़ना और भूमि पर अधिकार करना मानवाधिकारों की दृष्टि में राजनीतिक रूप से एक जातीय सफाई अभियान है. यह मानवता के खिलाफ अपराध है.’
हाओकिप को 24 मई को दिल्ली में उनके आवास से सोशल मीडिया पर कथित रूप से सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा देने वाले पोस्ट को लेकर आईपीसी की धारा 153ए और 505 (2) के तहत गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में तीन एफआईआई पिछले साल दर्ज की गई थीं, पहाड़ियों को लेकर पर विवाद पर उनकी टिप्पणी के तुरंत बाद उनकी गिरफ्तारी हुई है.
अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट में हाओकिप ने लिखा है कि मणिपुर के तत्कालीन साम्राज्य (मेईतेई द्वारा आबादी वाले घाटी क्षेत्र) का क्षेत्र सिर्फ 7,000 वर्ग मील से अधिक था और बाकी का क्षेत्र मणिपुर के पहाड़ी लोगों का था. मणिपुर का कुल क्षेत्रफल 8,620 वर्ग मील है.
यह विवाद कोबरू और थांगजिंग पहाड़ियों से संबंधित है. मेईतेई कोबरू को मानव निर्माण और सभी पौराणिक कथाओं और परंपराओं के केंद्र के रूप में देखते हैं.
राज्य सरकार ने हाल ही में मणिपुर प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1976 के तहत कोबरू और थांगजिंग पहाड़ियों पर क्षेत्रों को संरक्षित स्थलों के रूप में घोषित करने की अपनी मंशा की घोषणा की.
कुकी समूह इसे घाटी के लोगों द्वारा अपनी पारंपरिक भूमि पर अतिक्रमण के रूप में देखते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, बीते 5 मई को चूराचांदपुर में हेंगलप ब्लॉक के कुकी छात्र संगठन (केएसओ) ने एक बयान जारी कर संबंधित ग्राम प्रधान की अनुमति के बिना थांगजिंग हिल पर बाहरी लोगों के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया था.
इसका विरोध करते हुए कोबरू और थांगजिंग हिल रेंज (सीपीपीकेटी) के ऐतिहासिक अधिकारों के संरक्षण से संबंधित समिति ने 20 मई को थांगजिंग पहाड़ी के स्थानीय लोगों के घाटी क्षेत्र में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया, जो कि मेईतेई जनजाति की आबादी वाला क्षेत्र है.
इसके बाद मणिपुर के डीजीपी पी. डौंगेल की अध्यक्षता में हुई बैठक में सहमति बनने पर केएसओ और सीपीपीकेटी ने प्रतिबंधों से संबंधित अपने बयान वापस ले लिए थे.
आईएचआरए ने सामाजिक कार्यकर्ता हाओकिप की गिरफ्तारी को ‘कुकी समूह के खिलाफ मणिपुर सरकार के स्पष्ट पूर्वाग्रह पर दोषी ठहराया है. संगठन ने भाजपा शासन पर ‘एक बहुसंख्यकवादी बदलाव… एक मेईतेई-केंद्रित सरकार होने’ का भी आरोप लगाया है. मेईतेई मुख्य रूप से घाटी में रहने वाले लोग हैं, जो हिंदू धर्म का पालन करते हैं.
हाओकिप की गिरफ्तारी के बाद मणिपुर के चूराचांदपुर जिले में उस समय तनाव पैदा हो गया, जब उसकी तत्काल रिहाई की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों का एक समूह पुलिस से भिड़ गया. इस झड़प में करीब 13 प्रदर्शनकारी और तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए थे.
गिरफ्तारी के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा, ‘कानून को अपना काम करने दें. हम किसी के खिलाफ नहीं, बल्कि उन तत्वों के खिलाफ हैं, जो राज्य को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं. प्रत्येक सरकार का यह कर्तव्य है कि वह अपने लोगों और राज्य के हितों और उनकी रक्षा करे.’
इंफाल पश्चिम के एसपी शिवकांत सिंह ने कहा कि दिल्ली की एक अदालत से पांच दिनों के लिए ट्रांजिट रिमांड मिलने पर हाओकिप को इंफाल लाया गया था. मामले की जांच और आगे की पुलिस रिमांड के लिए उन्हें इंफाल में एक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा.