पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड: सीबीआई ने जिस गवाह को मृत बताया, वो ज़िंदा निकली

पत्रकार राजदेव रंजन हत्या मामले की जांच कर रही सीबीआई ने गवाह बादामी देवी को मृत घोषित कर अदालत में रिपोर्ट भी पेश की. गवाह के जीवित पाए जाने के बाद अदालत ने सीबीआई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. साल 2016 में बिहार के सीवान ज़िले में पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. सीवान से चार बार सांसद रहे दिवंगत मोहम्मद शहाबुद्दीन इस हत्या के आरोपियों में से एक थे.

/
पत्रकार राजदेव रंजन. (फोटो साभार: फेसबुक)

पत्रकार राजदेव रंजन हत्या मामले की जांच कर रही सीबीआई ने गवाह बादामी देवी को मृत घोषित कर अदालत में रिपोर्ट भी पेश की. गवाह के जीवित पाए जाने के बाद अदालत ने सीबीआई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. साल 2016 में बिहार के सीवान ज़िले में पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. सीवान से चार बार सांसद रहे दिवंगत मोहम्मद शहाबुद्दीन इस हत्या के आरोपियों में से एक थे.

पत्रकार राजदेव रंजन. (फोटो साभार: फेसबुक)

पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर की एक अदालत ने पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड की सुनवाई के दौरान एक गवाह के पेश होने पर उसकी मौत की झूठी रिपोर्ट जमा करने को लेकर शुक्रवार को सीबीआई को कारण बताओ नोटिस जारी किया.

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उसे मृत घोषित कर दिया था.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुनीत कुमार गर्ग ने सीबीआई को नोटिस जारी करते हुए उसे इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 20 जून से पहले अपना जवाब देने को कहा है.

हिंदी दैनिक ‘हिंदुस्तान’ के पत्रकार राजदेव रंजन की 2016 में पांच अपराधियों ने सीवान में घर जाते समय गोली मारकर हत्या कर दी थी.

इससे पहले सीबीआई ने गवाह बादामी देवी से पूछताछ के लिए समन जारी करने की मांग की थी, जिसे अदालत ने जारी किया था.

हालांकि बाद में 24 मई को केंद्रीय जांच एजेंसी ने बादामी देवी को मृत घोषित कर दिया और अदालत के समक्ष उनकी मृत्यु सत्यापन रिपोर्ट भी पेश की थी.

अदालत में शुक्रवार को पेश होते हुए बादामी देवी ने अपने हलफनामे में कहा, ‘मैं सीवान में अपने कसेरा टोली स्थित आवास में रह रही हूं. मुझे इस मामले में गवाह बनाया गया था, लेकिन सीबीआई का कोई अधिकारी मुझसे नहीं मिला. हालांकि सीबीआई ने मुझे मृत घोषित कर दिया, जिसका पता मुझे समाचार पत्रों से चला. यह एक साजिश है.’

याचिकाकर्ता के वकील शरद सिन्हा ने अदालत के समक्ष कहा, ‘जांच की सबसे बड़ी एजेंसी का कार्य संदिग्ध प्रतीत होता है. अब यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि सीबीआई ने इस तरह का काम एक अन्य गवाह की मिलीभगत से किया है. ऐसा प्रतीत होता है कि सीबीआई विशेष रूप से विजय कुमार और अजहरुद्दीन बेग को झूठे तरीके से फंसाने के लिए एक बड़ा खेल खेल रही है.’

उन्होंने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा कि सीबीआई का कृत्य अजीब और चौंकाने वाला है.

बिहार सरकार ने 17 मई, 2016 को राजदेव रंजन हत्याकांड की सीबीआई से गहन जांच के लिए सिफारिश की थी. सीबीआई ने 15 सितंबर 2016 को मामला दर्ज किया था.

सीवान से चार बार राजद की ओर से सांसद रहे दिवंगत मोहम्मद शहाबुद्दीन पर पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या में शामिल में होने का आरोप है. 13 मई 2016 की शाम बिहार के सीवान जिले में पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उनकी पत्नी ने घटना में शहाबुद्दीन के शामिल होने का आरोप लगाया था.

सीबीआई ने इस मामले में अगस्त 2018 को आरोप-पत्र दाख़िल किया था.

इसके बाद जनवरी 2019 में सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायधीश मनोज कुमार की अदालत में पत्रकार हत्या मामले में आरोपित पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन व अन्य छह लोगों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे.

दिवंगत शहाबुद्दीन के अलावा अजहरुद्दीन बेग उर्फ लड्डन मियां, विजय गुप्ता, रोहित सोनी, राजेश कुमार, रिशु जायसवाल और सोनू गुप्ता इस मामले के अन्य आ​रोपियों में शामिल हैं.

सीबीआई चार्जशीट में बताया गया था कि दिसंबर 2014 में एक स्थानीय अखबार में छपी ‘सीवान जेल से जारी हिटलिस्ट पर हत्याएं’ खबर के कारण शहाबुद्दीन ने पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या की साजिश रची थी.

दिल्ली की एक जेल में हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे शहाबुद्दीन की बीते साल एक मई को कोविड-19 संक्रमण से मौत हो गई थी.

बिहार की एक विशेष अदालत ने 2015 में शहाबुद्दीन और उनके सहयोगियों को 2004 के बहुचर्चित तेजाब हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. 2004 में कथित तौर पर रंगदारी देने से इनकार करने के लिए सीवान के एक व्यवसायी के दो बेटों का अपहरण कर तेजाब से नहलाकर हत्या कर दी गई थी. मामले में गवाह रहे तीसरे भाई की भी 2016 में हत्या कर दी गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)