कश्मीर में तैनात डोगरा कर्मचारियों ने जम्मू में किया प्रदर्शन, घाटी में काम पर जाने से इनकार

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम ज़िले में बीते 31 मई को एक सरकारी स्कूल में आतंकवादियों द्वारा शिक्षक रजनी बाला की हत्या किए जाने के बाद कश्मीर में कार्यरत अधिकतर डोगरा कर्मचारी जम्मू लौट आए हैं. कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें कश्मीर घाटी से स्थानांतरित कर जम्मू क्षेत्र के उनके गृह जिलों में तैनात किया जाए. इस बीच भाजपा ने रविवार को डोगरा और कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे घाटी छोड़कर न जाएं.

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(फाइल फोटो: पीटीआई)

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम ज़िले में बीते 31 मई को एक सरकारी स्कूल में आतंकवादियों द्वारा शिक्षक रजनी बाला की हत्या किए जाने के बाद कश्मीर में कार्यरत अधिकतर डोगरा कर्मचारी जम्मू लौट आए हैं. कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें कश्मीर घाटी से स्थानांतरित कर जम्मू क्षेत्र के उनके गृह जिलों में तैनात किया जाए. इस बीच भाजपा ने रविवार को डोगरा और कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे घाटी छोड़कर न जाएं.

हिंदू समुदाय के सरकारी कर्मचारी अपना ट्रांसफर कश्मीर से जम्मू किए जाने को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. (फाइल फोटो: पीटीआई)

जम्मू: हिंदू समुदाय के सरकारी कर्मचारियों ने जम्मू कश्मीर में लक्षित हत्याओं (Targeted Killings) के खिलाफ शनिवार को लगातार तीसरे दिन तवी पुल पर धरना दिया और राजमार्ग को बाधित किया. उन्होंने घाटी में दोबारा काम पर जाने से भी इनकार कर दिया है.

कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें कश्मीर घाटी से स्थानांतरित कर जम्मू क्षेत्र के उनके गृह जिलों में तैनात किया जाए. इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को डोगरा और कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे घाटी छोड़कर न जाएं.

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में बीते 31 मई को सरकारी स्कूल में आतंकवादियों द्वारा शिक्षक रजनी बाला की हत्या किए जाने के बाद कश्मीर में कार्यरत अधिकतर डोगरा कर्मचारी जम्मू लौट आए हैं.

‘ऑल जम्मू-बेस्ट रिजर्व कैटगरी एम्प्लॉई एसोसिएशन’ के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने जम्मू स्थित प्रेस क्लब से राजमार्ग पर बने तवी ब्रिज तक मार्च निकाला और शहर के केंद्र में स्थित इस स्थान पर धरना दिया.

प्रदर्शनकारियों ने ‘हमे न्याय दें’ और ‘रजनी बाला अमर रहे’ के नारे लगाए. उन्होंने हिंदुओं की लक्षित हत्या की चल रही शृंखला के मद्देनजर कश्मीर में अपनी तैनाती वाले स्थान जाने से इनकार कर दिया.

प्रदर्शन में शामिल रशपाल सिंह ने कहा कि लक्षित हत्याओं के बाद पैदा हुए माहौल की वजह से वे ड्यूटी करने कश्मीर नहीं लौटेंगे.

उन्होंने कहा, ‘हम यहां मरना पसंद करेंगे बजाय दोबारा वहां लौटना.’

इस बीच प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत घाटी में नौकरी कर रहे कुछ हजार कश्मीरी पंडित कर्मचारी अपने परिवार के साथ जम्मू लौट आए हैं. उनका कहना है कि हाल में आतंकवादियों द्वारा की गईं लक्षित हत्याओं की वजह से घाटी में डर का माहौल है.

पंडितों ने कहा कि वे जम्मू के बाहरी इलाके स्थित जगती टाउनशिप में आकर सुकून महसूस कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि गत कुछ सप्ताह कश्मीर में किराए के घरों में भय की वजह से बिना सोए रातें काटी हैं.

भाजपा ने पंडित और डोगरा समुदाय के लोगों से कश्मीर छोड़कर नहीं जाने की अपील की

इधर, भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को डोगरा और कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों से अपील की कि वे घाटी छोड़कर न जाएं और कहा कि सरकार ‘पाकिस्तानी साजिश’ को नाकाम करने के लिए प्रतिबद्ध है. कश्मीर में लक्षित हत्याओं के मद्देनजर कश्मीरी पंडित और डोगरा समुदाय के कर्मचारी घाटी से बाहर स्थानांतरित करने की मांग कर रहे हैं.

जम्मू कश्मीर को देश का ताज करार देते हुए जम्मू कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा, ‘हमें पाकिस्तान के उन नापाक मंसूबों को नाकाम करने के लिए साथ खड़े रहना होगा, जिसके तहत घाटी से अल्पसंख्यकों और राष्ट्रवादी मुस्लिमों को बलपूर्वक निकालने के लिए प्रायोजित आतंकवादियों के जरिये लक्षित हत्याओं की साजिश रची जा रही है.’

रैना ने जम्मू स्थित पार्टी मुख्यालय में कश्मीरी पंडितों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम पिछले 32 वर्षों से पाकिस्तान प्रायोजित छद्म युद्ध लड़ रहे हैं और हमारी पुलिस, सेना तथा अर्धसैनिक बल हजारों आतंकवादियों को समाप्त कर पड़ोसी मुल्क को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हम पंडितों, डोगरा और देश के अन्य भागों से आए सभी राष्ट्रवादियों से अपील करते हैं कि वे रुक जाएं क्योंकि हमें दुश्मनों की साजिश को नाकाम करने के लिए हाथ मिलाना है.’

रैना ने कहा कि सरकार ने उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाने और उचित सुरक्षा प्रदान करने की घोषणा कर दी है.

मालूम हो कि कश्मीर घाटी में इस साल जनवरी से अब तक अल्पसंख्यक समुदाय के पुलिस अधिकारियों, शिक्षकों और सरपंचों सहित कम से कम 16 हत्याएं (Targeted Killings) हुई हैं.

बीते 12 मई को जम्मू कश्मीर के राजस्व विभाग के एक कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी राहुल भट, जो पीएम पुनर्वास पैकेज के तहत काम कर रहे थे, की बडगाम जिले के चदूरा स्थित तहसील कार्यालय के अंदर गोली मार हत्या दी गई थी, जिसका समुदाय के लोगों ने व्यापक विरोध किया था.

25 मई को बडगाम जिले के चदूरा में ही 35 वर्षीय कश्मीरी टीवी अभिनेत्री अमरीन भट की उनके घर के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बीते 31 मई  को कुलगाम के गोपालपोरा के एक सरकारी स्कूल की शिक्षक रजनी बाला की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

इसके बाद दो जून को कुलगाम के इलाकाई देहाती बैंक के कर्मचारी विजय कुमार को आतंकियों ने गोली मारी और इसी शाम बडगाम में दो प्रवासी मजदूर आतंकियों की गोली का निशाना बने.

कश्मीर घाटी में लगातार आतंकवादियों द्वारा नागरिकों और गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं के बीच भयभीत कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग घाटी छोड़कर जा रहे हैं या इसकी योजना बना रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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