वरवरा राव की नई किताब से प्रकाशक ने ‘हिंदुत्व, भगवाकरण, संघ परिवार’ जैसे शब्द हटाए: रिपोर्ट

एल्गार परिषद मामले में ज़मानत पर बाहर तेलुगू कवि वरवरा राव की नई किताब 'वरवरा राव: ए रिवोल्यूशनरी पोएट' का प्रकाशन पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा किया जा रहा है. यह राव द्वारा लिखी तेलुगू कविताओं का अंग्रेज़ी में अनूदित पहला संग्रह है.

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वरवरा राव.

एल्गार परिषद मामले में ज़मानत पर बाहर तेलुगू कवि वरवरा राव की नई किताब ‘वरवरा राव: ए रिवोल्यूशनरी पोएट’ का प्रकाशन पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा किया जा रहा है. यह राव द्वारा लिखी तेलुगू कविताओं का अंग्रेज़ी में अनूदित पहला संग्रह है.

वरवरा राव. (फाइल फोटो, साभार: फेसबुक/@VaravaraRao)

नई दिल्ली: पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया की कानूनी टीम ने तेलुगू कवि वरवरा राव की नई किताब ‘वरवरा राव: ए रिवोल्यूशनरी पोएट’ से कथित तौर पर ‘हिंदुत्व’, ‘संघ परिवार’ और ‘भगवाकरण’ जैसे शब्दों को हटा दिया है. द क्विंट की एक रिपोर्ट में यह सामने आया है.

किताब को अभी रिलीज किया जाना बाकी है. यह किताब 81 वर्षीय वरवरा राव द्वारा लिखी तेलुगू कविताओं का अंग्रेजी में अनूदित पहला संग्रह होगी.

बता दें कि 81 वर्षीय वरवरा राव को भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किया गया था. वर्तमान में वे मेडिकल जमानत पर बाहर हैं.

राव की नवीनतम किताब उनकी कविताओं का संकलन है, जो उनके छह दशक लंबे साहित्यिक जीवन का प्रतिनिधित्व करती हैं.

1960 के दशक से विभिन्न जन आंदोलनों से जुड़े हुए राव को एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में कथित संलिप्तता के लिए अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था.

गौरतलब है कि 2014 में पेंगुइन ने अपनी एक किताब ‘द हिंदूज’ वापस ले ली थी. यह वेंडी डोनिगर ने लिखी थी. यह फैसला उन समूहों की शिकायत के बाद लिया गया था जिनका दावा था कि किताब हिंदू धर्म को लेकर ‘विकृत’ दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बार जिन शब्दों पर सवाल खड़े हो रहे थे, उन्हें राव की किताब से हटा दिया गया है. हालांकि, ऐसा भी माना जा रहा है कि यह कदम सरकार द्वारा राजद्रोह या मानहानि जैसे दमनकारी कानूनों के तहत कार्रवाई किए जाने से बचने के लिए उठाया गया है.

राव ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, क्योंकि उनके किसी करीबी ने कहा है कि उनकी जमानत की शर्तों में एक यह भी थी कि वे मीडिया से बात नहीं करेंगे.

द वायर  ने पेंगुइन रेंडम हाउस इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी से मामले पर टिप्पणी के लिए संपर्क साधा. उनका जवाब आने पर इस खबर में जोड़ दिया जाएगा.

संयोगवश, वरवरा राव: ए रिवोल्यूशनरी पोएट को पिछले साल भी देरी का सामना करना पड़ा था. आउटलुक पत्रिका के मुताबिक, राव के भतीजे एन. वेणुगोपाल ने पब्लिशिंग हाउस के खिलाफ कड़े तेवर दिखाए थे.

किताब का अनुबंध 2020 में हुआ था और प्रकाशक ने तब कहा था कि इसे 2021 के मध्य में जारी किया जाएगा. हालांकि, अनुबंध में प्रकाशन को 24 महीनों का समय मिला था.

वेणुगोपाल ने कहा था कि प्रकाशकों के पास किताब को लाने के लिए अक्टूबर 2022 तक का समय है, जिसमें असफल होने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का विकल्प होगा या वे इसे सार्वजनिक मुद्दा बनाएंगे कि उन्होंने (प्रकाशक ने) प्रकाशन रोक दिया है.

किताब में 65 में से 3 कविताओं को हटाने के संबंध में वेणुगोपाल ने इसे ‘कानूनी समस्या’ बताते हुए कहा था कि वे कविताएं तब लिखी गई थीं, जब राव अदालती सुनवाई का सामना कर रहे थे.

वेणुगोपाल ने कहा था, ‘कुछ कानूनी समस्याएं थीं क्योंकि उनके खिलाफ अदालत में एक मामला है, इसलिए उन्होंने मामले के दौरान जो कविताएं लिखीं, वे अदालती आदेश के विचाराधीन हैं. इसलिए हमने तीन कविताओं को छोड़ दिया. प्रकाशकों का कहना था चूंकि वे एक मामले में आरोपी हैं, तो इससे परेशानी हो सकती है.’

बताया गया है कि इससे पहले पेंगुइन रैंडम हाउस ने जेल से लिखे राव के पत्रों का एक अनूदित संग्रह प्रकाशित किया था, जिसका शीर्षक कैप्टिव इमेजिनेशन था. इसके बारे में वेणुगोपाल ने कहा, ‘पेंगुइन 2010 में जेल से लिखे उनके पत्र प्रकाशित कर चुका है, इसलिए यदि जेल से लिखना कोई समस्या नहीं है. (नई किताब में शामिल) ये कविताएं पिछले 60 वर्षों में तेलुगू में आ चुकी कविताओं का पुनर्प्रकाशन हैं.’

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