बॉडी स्प्रे ब्रांड ने अपने विवादास्पद महिला-विरोधी विज्ञापन के लिए माफ़ी मांगी

बॉडी स्प्रे ब्रांड ‘लेयर शॉट’ के एक विज्ञापन को सोशल मीडिया यूज़र्स ने आलोचना करते हुए ‘सामूहिक बलात्कार को बढ़ावा देने’ वाला कहा था. विज्ञापन क्षेत्र के नियामक एएससीआई ने भी इसे उनकी आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन बताया था. अब कंपनी ने माफ़ी मांगते हुए कहा कि उनका इरादा किसी भी महिला की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने या किसी तरह की संस्कृति को बढ़ावा देने का नहीं था.

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बॉडी स्प्रे ब्रांड ‘लेयर शॉट’ ने विवादास्पद विज्ञापन अभियानों के लिए माफी मांग ली. (फोटो: सोशल मीडिया)

बॉडी स्प्रे ब्रांड ‘लेयर शॉट’ के एक विज्ञापन को सोशल मीडिया यूज़र्स ने आलोचना करते हुए ‘सामूहिक बलात्कार को बढ़ावा देने’ वाला कहा था. विज्ञापन क्षेत्र के नियामक एएससीआई ने भी इसे उनकी आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन बताया था. अब कंपनी ने माफ़ी मांगते हुए कहा कि उनका इरादा किसी भी महिला की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने या किसी तरह की संस्कृति को बढ़ावा देने का नहीं था.

बॉडी स्प्रे ब्रांड ‘लेयर शॉट’ का विवादास्पद विज्ञापन. (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: बॉडी स्प्रे ब्रांड ‘लेयर शॉट’ ने कथित रूप से ‘सामूहिक बलात्कार को बढ़ावा देने’ के लिए सोशल मीडिया पर आलोचना के घेरे में आए अपने विवादास्पद विज्ञापन अभियानों के लिए सोमवार को माफी मांग ली.

ब्रॉडी स्प्रे ब्रांड लेयर (LAYER’R) के ‘शॉट’ (Shot) परफ्यूम के विज्ञापन से जुड़े दो वीडियो पर सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के एक बड़े वर्ग ने आपत्ति जताई थी. उन्होंने आरोप लगाया है कि यह विज्ञापन महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को बढ़ावा देता है.

गुजरात स्थित एडजेविस वेंचर के स्वामित्व वाले लेयर शॉट ने कहा कि उसके दोनों विज्ञापन ‘उचित और अनिवार्य अनुमोदन के बाद’ ही प्रसारित किए गए थे.

लेयर शॉट ने सोमवार को सोशल मीडिया मंचों पर साझा की गई एक पोस्ट में कहा, ‘हमारा कभी किसी की भावनाओं को आहत करने या किसी भी महिला की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने या किसी तरह की संस्कृति को बढ़ावा देने का इरादा नहीं रहा है.’

कंपनी ने अपने विज्ञापनों के लिए माफी मांगते हुए कहा, ‘इनकी वजह से कुछ लोगों या समुदायों के बीच रोष पैदा होने की शिकायतों को देखते हुए हम क्षमा मांगते हैं.’

इसके साथ ही उसने कहा कि अपने सभी मीडिया भागीदारों को उसने चार जून से तत्काल प्रभाव से दोनों विज्ञापनों के प्रसारण को रोकने के लिए सूचित कर दिया है.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने शनिवार को ट्विटर और यूट्यूब से कहा था कि वे लेयर शॉट के विज्ञापनों को अपने सोशल मीडिया मंच से हटा दें.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ट्विटर और यूट्यूब को लिखे पत्र में मंत्रालय ने कहा था कि वीडियो सभ्यता और नैतिकता के हित में महिलाओं के चित्रण के लिए हानिकारक है और सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) का उल्लंघन है.

इसमें कहा कि परफ्यूम ब्रांड के वीडियो ने सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के एक बड़े वर्ग के बीच आक्रोश फैलाया, जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को बढ़ावा देने के लिए विज्ञापन की शिकायत की थी.

उल्लेखनीय है कि विज्ञापन को लेकर दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिखकर मीडिया पर चलाए जा रहे एक महिला विरोधी विज्ञापन को हटाए जाने की मांग की थी.

आयोग ने कहा था कि विज्ञापन से ‘सामूहिक बलात्कार की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है’ और मामले में दिल्ली पुलिस को नोटिस भी जारी किया गया था.

ठाकुर को लिखे अपने पत्र में डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा था कि जांच और संतुलन सुनिश्चित करने के लिए मजबूत तंत्र बनाया जाना चाहिए कि बलात्कार संस्कृति को बढ़ावा देने वाले ऐसे ‘भद्दे’ विज्ञापन फिर कभी नहीं दिखाए जाएं.

उन्होंने परफ्यूम ब्रांड पर भारी जुर्माना लगाने की भी मांग की थी, ताकि अन्य कंपनियां ‘सस्ते प्रचार के लिए ऐसी गंदी रणनीति’ नहीं अपनाएं

इसके साथ ही विज्ञापन क्षेत्र के नियामक एएससीआई ने भी लेयर शॉट के विवादास्पद विज्ञापनों को यह कहते हुए निलंबित करने का निर्देश दिया था कि यह आक्रामक विज्ञापन के खिलाफ उसकी आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन है.

विज्ञापन अभियान देखने के बाद भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने तुरंत ‘निलंबित लंबित जांच’ (एसपीआई) नामक एक विशेष प्रक्रिया को लागू किया और विज्ञापनदाता से इस पर प्रतिक्रिया दर्ज करने को कहा.

शनिवार को जारी एएससीआई के एक बयान में कहा गया है, ‘उक्त विज्ञापन एएससीआई के अध्याय-II के संभावित उल्लंघन में है, जिसमें कहा गया है कि विज्ञापनों में कुछ भी अशोभनीय, अश्लील नहीं होना चाहिए, विशेष रूप से महिलाओं के चित्रण में या कुछ भी प्रतिकूल नहीं होना चाहिए, जो कि शालीनता और औचित्य के आम तौर पर प्रचलित मानकों के आलोक में गंभीर और व्यापक अपराध होने की संभावना है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)