पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ निलंबित भाजपा नेताओं की टिप्पणी के विरोध में बीते 10 जून को झारखंड की राजधानी रांची में हुई हिंसा के दौरान 20 वर्षीय साहिल और 15 वर्षीय मुदस्सिर आलम की गोली लगने से मौत हो गई थी. उनके परिवारों ने पूछा है कि गोली चलाने का कारण क्या था और क्या पुलिस के पास यही एकमात्र विकल्प था? सरकार को जवाब देना चाहिए और दोषियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया जाना चाहिए.
रांची: पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के विरोध में बीते 10 जून को झारखंड की राजधानी रांची की सड़कों पर हुए हिंसक प्रदर्शन के दौरान गोली लगने से घायल एक और युवक की मौत शनिवार तड़के हो गई, जिसके बाद हिंसा में मरने वालों की संख्या दो हो गई है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, पुलिस ने मृतकों की पहचान 20 वर्षीय साहिल और 15 वर्षीय मुदस्सिर आलम के रूप में की है, जो 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों का इंतजार कर रहे थे.
गोली लगने से मारे गए साहिल व मुदस्सिर के परिजन व पड़ोसी शोक में डूबे हैं.
साहिल के पड़ोसी और पूर्व वार्ड कमिश्नर सलाउद्दीन ने कहा, ‘साहिल ने 12वीं तक पढ़ाई की थी और एक मोबाइल की दुकान में काम करता था. उसके पिता ऑटो चालक हैं. परिवार पूरी तरह से सदमे में है. उसे पेट में गोली लगी थी. हमने सरकार से मुआवजे की मांग की है. हमने पूछा है कि किसके आदेश पर पुलिस ने गोलियां चलाईं.’
मारे गए दूसरे व्यक्ति की पहचान 15 वर्षीय मुदस्सिर आलम के रूप में हुई है, जो अपने 10वीं कक्षा के परीक्षा परिणामों का इंतजार कर रहे थे.
उनके चाचा मोहम्मद साहिद अयूबी ने कहा, ‘गोली चलाने का कारण क्या था और क्या पुलिस के पास यही एकमात्र विकल्प था? सरकार को जवाब देना चाहिए और दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘हमें तो यह भी नहीं पता कि वह भीड़ का हिस्सा कैसे बन गया? उसके सिर में गोली लगी. उसके पिता मजदूरी करते हैं और वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान था. हमने मुआवजे की मांग की है.’
रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के गठबंधन वाली हेमंत सोरेन सरकार ने मामले की और उन परिस्थितियों की उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं, जिनके चलते पुलिस द्वारा भीड़ पर गोलियां चलाई गईं.
बता दें कि भीड़ निलंबित भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की विवादित टिप्पणी के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थी.
एसपी (ग्रामीण) नौशाद आलम ने द संडे एक्सप्रेस को बताया, ‘लगभग 13 लोग घायल हुए हैं, कुछ पथराव में घायल हुए, कुछ को गोली लगी. एसपी (शहर) सटीक आंकड़े देंगे. एसपी (शहर) से जब इस संबंध में टिप्पणी मांगी गई तो उन्होंने फोन का जवाब नहीं दिया.’
राजेंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के अधीक्षक डॉ. हिरेंद्र बिरुआ ने कहा, ‘कुल 10 लोगों को रिम्स में भर्ती कराया गया था, जो भीड़ की हिंसा के दौरान गोली लगने से घायल हुए थे. उनमें से दो लोग दम तोड़ चुके हैं, एक की हालत नाजुक है. बाकी खतरे से बाहर हैं.’
एसएसपी सुरेंद्र झा के सिर में चोट आई है. एक पुलिस कॉन्स्टेबल को भी गोली लगी है.
सरकार ने अफवाह फैलने के बाद पूरी तरह से इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया था. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो क्लिप दिखाती हैं कि कैसे पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं.
झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जांच के आदेश दे दिए गए हैं. हर पहलू की जांच की जाएगी.
उन्होंने कहा, ‘सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो, जहां पुलिस भीड़ पर फायरिंग करती दिखाई दे रही है, से लेकर जिन कारणों से पुलिस हिंसा को रोकने में विफल रही, समेत हर पहलू की जांच की जाएगी. हालांकि, पुलिस ने फायरिंग का सहारा लिया, क्योंकि स्थिति बहुत बिगड़ गई थी.’
सरकार के एक सूत्र ने बताया कि गृह विभाग ने शनिवार को दो सदस्यीय जांच समिति बनाने के आदेश जारी किए हैं, जिसे सात दिनों में रिपोर्ट सौंपने कहा गया है. इस समिति में प्रमुख सचिव आपदा प्रबंधन अमिताभ कौशल, झारखंड पुलिस के एडीजी (ऑप्स) संजय लथकर शामिल हैं.
झारखंड भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने बताया, ‘घटनाओं का पूरा क्रम राज्य सरकार की विफलता को दर्शाता है.’
इस बीच दो आरएएफ कंपनियों को बुलाया गया है और रांची के मेन रोड क्षेत्र के आसपास 12 बिंदुओं पर 2,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है, जहां बीते 10 जून को हिंसा हुई थी. शनिवार को क्षेत्र में शांति रही.
रांची समेत झारखंड के सभी हिस्सों में तनावपूर्ण शांति, इंटरनेट सेवा बहाल
रांची में भड़की हिंसा के बाद रविवार को व्याप्त तनाव और निषेधाज्ञा के बीच इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई है. तनाव के मद्देनजर रांची और आसपास के इलाकों में अर्द्धसैनिक बलों एवं पुलिस की तैनाती यथावत है.
झारखंड पुलिस प्रवक्ता एवं महानिरीक्षक (कार्रवाई) एवी होमकर ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया, ‘राजधानी रांची समेत पूरे प्रदेश में स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है तथा पिछले 24 घंटों में कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है, जिसे देखते हुए आज तड़के पांच बजे से राजधानी रांची में इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई है.
उन्होंने बताया कि रांची के कई संवेदनशील इलाकों में अब भी स्थिति तनावपूर्ण है, जिसे ध्यान में रखते हुए रांची के 12 थाना क्षेत्रों में शनिवार को लागू निषेधाज्ञा आज भी जारी है. उन्होंने कहा कि रांची के पड़ोसी रामगढ़ जिले में शनिवार को लागू की गई निषेधाज्ञा भी सावधानी के तौर पर आज भी जारी है.
अधिकारी ने बताया, ‘रांची में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद सैकड़ों लोगों की भीड़ द्वारा किए गए पथराव, तोड़फोड़ और हिंसा के सिलसिले में कार्रवाई में तेजी लाते हुए पुलिस ने 5,000 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसमें से दो दर्जन नामजद हैं.’
उन्होंने बताया कि पूछताछ के लिए दर्जन भर लोगों को हिरासत में लिया गया है, इसके अलावा शनिवार को हिरासत में लिए गए आधा दर्जन लोगों को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया है.
होमकर ने बताया कि उपद्रवियों की हिंसा और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए की गई पुलिस की कार्रवाई में 11 पुलिसकर्मियों समेत दो दर्जन लोग शुक्रवार को रांची में घायल हो गए थे.
उन्होंने बताया कि इनमें से शुक्रवार देर रात्रि दो लोगों की मौत हो गई थी, जिससे पूरे शहर में तनाव व्याप्त हो गया था, जिसके चलते रांची में शनिवार को 12 थाना क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई थी, जबकि पूरे रांची जिले में शुक्रवार शाम ही इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी.
उन्होंने बताया कि शुक्रवार को हुई हिंसा और उसको नियंत्रित करने के लिए की गई पुलिस कार्रवाई में घायल दो लोगों की देर रात्रि मृत्यु हो गई, जिनके शवों को पोस्टमॉर्टम के बाद उनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था की जा रही है।
अधिकारी ने बताया कि रविवार सुबह से त्वरित कार्रवाई बल एवं अर्द्धसैनिक बलों का मेन रोड क्षेत्र और आसपास की गलियों में फ्लैग मार्च दोबारा निकाला जा रहा है.
इस बीच रांची के उपायुक्त छवि रंजन ने बताया कि शहर के सभी 12 थाना क्षेत्रों में आज भी निषेधाज्ञा बढ़ा दी गई है और उन्होंने सभी से अपील की है कि वह अनावश्यक अपने घर से बाहर नहीं निकलें और शांति बनाए रखें.
शुक्रवार को प्रशासन ने रांची के मेन रोड इलाके और उसके दोनों तरफ 500 मीटर तक निषेधाज्ञा लागू कर पांच या पांच से अधिक लोगों के एक साथ एकत्रित होने पर रोक लगा दी गई है.
झारखंड पुलिस प्रवक्ता होमकर ने बताया कि पुलिस की विशेष जांच टीम हिंसा की जांच कर रही है और क्षेत्र के सभी सीसीटीवी कैमरों के फुटेज एवं अन्य वीडियो को खंगाला जा रहा है और अपराधियों की पहचान की जा रही है, ताकि उनकी गिरफ्तारी की जा सके.
इससे पहले झारखंड सरकार की ओर से शनिवार को गठित समिति ने हिंसा की घटना की जांच शुरू कर दी है. समिति को मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)