पत्रकार डेफ्ने कारुआना गालिज़िआ ने माल्टा में पनामा पेपर्स से जुड़े घोटाले को उजागर किया था. उनकी रिपोर्ट में माल्टा के प्रधानमंत्री की पत्नी, चीफ आॅफ स्टाफ और तत्कालीन ऊर्जा मंत्री पर आरोप लगाया गया था.
वलेट्टा/माल्टा: माल्टा की खोजी पत्रकार डेफ्ने कारुआना गालिज़िआ की मौत उनकी कार में बम विस्फोट होने से सोमवार को हो गई. उन्होंने लीक हुए पनामा पेपर्स के ज़रिये कर चोरी के लिए दूसरे देशों में पनाहगाहों से द्वीपीय देश के संबंधों का खुलासा किया था.
दक्षिण यूरोप के द्वीपीय देश माल्टा में डेफ्ने भ्रष्ट अधिकारियों और व्यापारियों के ख़िलाफ़ रिपोर्ट करने वाली खोजी पत्रकार के रूप में जानी जाती थीं. माल्टा में पनामा पेपर्स से जुड़े खुलासे करने वाली वह पहली पत्रकार थी.
पुलिस ने बताया कि सोमवार दोपहर उनकी कार में बम धमाका तब हुआ जब वह उत्तरी माल्टा के बिदनिजा में कार चला रही थीं.
53 वर्षीय डेफ्ने रनिंग कमेंट्री नाम से एक ब्लॉग भी चलाती थीं जो माल्टा के सबसे ज़्यादा पढ़े जाने वाली वेबसाइटों में से एक है. इसके अलावा डेफ्ने ने पनामा पेपर्स घोटाला सामने आने के बाद माल्टा से जुड़े भ्रष्टाचार के कथित मामलों को उजागर किया था.
वर्ष 2016 में लीक हुए पनामा पेपर्स मामले से जुड़ी अपनी रिपोर्ट में डेफ्ने ने लिखा था कि प्रधानमंत्री जोसेफ मस्कट की पत्नी और उनके चीफ ऑफ स्टाफ कीथ शेंब्री की, अज़रबेजान से धन देने के लिए पनामा में विदेशी कंपनी थी. डेफ्ने ने रिपोर्ट में माल्टा के तत्कालीन ऊर्जा मंत्री कोनराड मिज़्ज़ी की भी पनामा में कंपनी होने की बात कही थी.
इस साल की शुरुआत में भी डेफ्ने ने माल्टा के एक छोटे से बैंक से मिले दस्तावेज़ों के आधार पर दावा किया था कि प्रधानमंत्री की पत्नी पनामा की एक कंपनी की मालिक हैं और अज़रबेजान से कंपनी के बीच एक बड़ी रकम का लेन-देन हुआ है.
उन्होंने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था मिज़्ज़ी और शेंब्री के न्यूज़ीलैंड में ट्रस्ट हैं और जिनसे जुड़ी कंपनियां पनामा में मौजूद हैं.
हालांकि प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी ने इन आरोपों का खंडन किया था. डेफ्ने के आरोपों को ख़ारिज करने के लिए इस साल जून में प्रधानमंत्री ने फिर से चुनाव करवाकर वापस विश्वास मत हासिल किया था.
इस घटना को लेकर प्रधानमंत्री जोसेफ मस्कट ने कहा कि डेफ्ने की मौत एक बर्बर हमला है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी हमला है. उन्होंने पत्रकार की हत्या की निंदा करते हुए कहा कि पत्रकार राजनीतिक और व्यक्तिगत स्तर पर मेरी कटु आलोचक थीं, लेकिन वह उनकी हत्या की निंदा करते हैं.
कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने मंगलवार को माल्टा के अख़बारों को बताया कि डेफ्ने ने दो सप्ताह पहले पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं.
अपनी मौत के कुछ घंटों पहले लिखे गए एक ब्लॉग पोस्ट में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की धीमी गति की भर्त्सना की थी. उनके आख़िरी लेख का शीर्षक था, ‘जहां भी हम देखते हैं हर कहीं धोख़ेबाज़ नज़र आते हैं. स्थितियां बहुत ही निराशाजनक हैं.’
अमेरिका में खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय महासंघ (आईसीआईजे) ने इस घोटाले को उजागर किया है. पनामा पेपर्स मामले में कई देशों के प्रमुखों, दुनियाभर की राजनीतिक-फिल्मी हस्तियों, खिलाड़ियों और अपराधियों के वित्तीय लेन-देन का खुलासा किया गया था.
इन दस्तावेज़ों में तकरीबन 500 भारतीयों के भी नाम हैं, जिनमें अभिनेता अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन, डीएलएफ के प्रमुख केपी सिंह, उद्योग समीर गहलोत आदि प्रमुख हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)