महाराष्ट्र संकट: संजय राउत बोले- शिवसेना एमवीए गठबंधन तोड़ने को तैयार, बाग़ी विधायक मुंबई लौटें

शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बीच पार्टी सांसद संजय राउत ने बाग़ी विधायकों से अपील की है कि वे उनकी मांगों पर विचार करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते सभी लोग 24 घंटे में मुंबई वापस आ जाएं और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करें. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है कि उन्हें नहीं लगता ठाकरे सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी गठबंधन से बाहर होने की मांग पर सहमत होंगे.

Guwahati: Police personnel guard outside a hotel as a rebel Shiv Sena MLA arrives to join other dissident MLAs, in Guwahati, Thursday, June 23, 2022. (PTI Photo)

शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बीच पार्टी सांसद संजय राउत ने बाग़ी विधायकों से अपील की है कि वे उनकी मांगों पर विचार करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते सभी लोग 24 घंटे में मुंबई वापस आ जाएं और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करें. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है कि उन्हें नहीं लगता ठाकरे सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी गठबंधन से बाहर होने की मांग पर सहमत होंगे.

गुवाहाटी के उस होटल का नज़ारा जहां शिवसेना के बाग़ी विधायक ठहरे हुए हैं. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बीच, पार्टी सांसद संजय राउत ने गुरूवार को कहा कि अगर असम में डेरा डाले हुए बागी विधायकों का समूह 24 घंटे में मुंबई लौटता है और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ मामले पर चर्चा करता है तो शिवसेना महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार छोड़ने के लिए तैयार है.

खबरों और दावों के मुताबिक, शिंदे वर्तमान में शिवसेना के 37 बागी विधायकों और नौ निर्दलीय विधायकों के साथ गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं, जिसने पार्टी के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को संकट में डाल दिया है. एमवीए सरकार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस भी साझेदार हैं.

राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘आप (शिंदे गुट) कहते हैं कि आप असली शिवसैनिक हैं और पार्टी नहीं छोड़ेंगे. हम आपकी मांग पर विचार करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते आप 24 घंटे में मुंबई वापस आएं और सीएम उद्धव ठाकरे के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करें. आपकी मांग पर सकारात्मक रूप से विचार किया जाएगा. ट्विटर और व्हाट्सऐप पर चिट्ठी मत लिखिए.’

उन्होंने कहा, ‘मुंबई से बाहर बैठे बागियों ने हिंदुत्व का मुद्दा उठाया है. अगर इन सभी विधायकों को लगता है कि शिवसेना को एमवीए से बाहर निकलना चाहिए, तो मुंबई वापस आने की हिम्मत दिखाएं. आप (शिंदे गुट) कहते हैं कि आपको सिर्फ सरकार के साथ परेशानी है और यह भी कहते हैं कि आप सच्चे शिवसैनिक हैं…आपकी मांग पर विचार किया जाएगा, लेकिन आएं और उद्धव ठाकरे से बात करें.’

राउत की इस पेशकश पर कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण कहा है कि उन्हें नहीं लगता कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ‘यू-टर्न’ लेंगे और सत्तारूढ़ एमवीए से बाहर होने की शिवसेना के बागी विधायकों की मांग पर सहमत होंगे.

पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण ने संवाददाताओं से कहा, ‘क्या शिवसेना महाराष्ट्र में भाजपा से हाथ मिलाना चाहती है? शिवसेना की मंशा अभी स्पष्ट नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने उद्धव ठाकरे को उनके बुधवार शाम के सार्वजनिक संबोधन में इस तरह बोलते नहीं सुना है. मुझे आश्चर्य होगा अगर उद्धव ठाकरे 24 घंटे से भी कम समय में इस तरह पलट जाते हैं. मुझे नहीं लगता कि ठाकरे ऐसा करेंगे. यह भी स्पष्ट नहीं है कि राउत का बयान शिवसेना का आधिकारिक रुख दर्शाता है या नहीं.’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘यह भी स्पष्ट नहीं है कि शिवसेना के किस धड़े को पार्टी का प्रामाणिक चेहरा माना जाना चाहिए.’

वहीं, एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि उनकी पार्टी ने अभी तक राउत की टिप्पणियों पर चर्चा नहीं की है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन हम चाहते हैं कि यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा करे, क्योंकि इसने कुछ अच्छे फैसले लिए हैं.’

ठाकरे सरकार में मंत्री पद संभाल रहे पाटिल ने कहा, ‘शिवसेना छोड़ने वाले बाद में चुनाव हार जाते हैं.’

बता दें कि मुख्यमंत्री ठाकरे ने बुधवार को शिंदे के विद्रोह के बीच शीर्ष पद छोड़ने की पेशकश की थी और बाद में उपनगरीय बांद्रा में अपने परिवारिक घर जाने से पहले दक्षिण मुंबई में अपना आधिकारिक आवास भी खाली कर दिया था.

ठाकरे मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास ‘वर्षा’ को खाली करके ठाकरे परिवार के निजी आवास ‘मातोश्री’ चले गए हैं. गौरतलब है कि शिंदे द्वारा दो दिन पहले बगावत किए जाने और बागी विधायकों के तेवर में कोई नरमी नहीं आने के बीच ठाकरे ने यह कदम उठाया.

मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास ‘वर्षा’ छोड़ते वक्त शिवसेना नेता नीलम गोरहे और चन्द्रकांत खैरे आदि वहां मौजूद थे. ठाकरे रात करीब 9:50 बजे पत्नी रश्मी ठाकरे, पुत्र एवं कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे और तेजस ठाकरे के साथ जब ‘वर्षा’ से ‘मातोश्री’ के लिए निकले तो पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके पक्ष में नारेबाजी की और उन पर पुष्पवर्षा की.

सैकड़ों की संख्या में शिवसैनिक मालाबार हिल्स स्थित ‘वर्षा’ से लेकर बांद्रा स्थित ‘मातोश्री’ तक खड़े थे. उनके हाथों में तख्तियां, पार्टी के झंडे थे और वे नम आंखों से ‘उद्धव ठाकरे जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे.

ठाकरे रास्ते में अपने पुत्र व राज्य के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे के विधानसभा क्षेत्र वर्ली में कार से बाहर निकले और फिर मातोश्री के पास भी बाहर निकलकर उन्होंने शिवसेना कार्यकर्ताओं का अभिवादन किया.

‘वर्षा’ से रवाना होने से पहले ठाकरे ने विधायकों और सांसदों से भेंट भी की.

बाग़ी विधायक बोले- पार्टी के विधायक अपमानित हो रहे थे, इसलिए शिंदे बाग़ी हुए

इस समूचे सियासी घटनाक्रम के बीच, बागी विधायक संजय शिरसाट ने उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर दावा किया कि शिवसेना विधायक ढाई साल से ‘अपमान’ का सामना कर रहे थे जिसके चलते मंत्री एकनाथ शिंदे ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ जाने का कदम उठाया.

पत्र में शिरसाट ने एमवीए सरकार में शिवसेना की सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी को ‘असल विरोधी’ बताते हुए दावा किया है कि पार्टी विधायकों की मुख्यमंत्री तक पहुंच नहीं है लेकिन इन दोनों दलों पर सारा ध्यान दिया जाता है.

औरंगाबाद (पश्चिम) से विधायक शिरसाट ने 22 जून को लिखे पत्र में दावा किया कि शिवसेना के सत्ता में होने और उसका अपना मुख्यमंत्री होने के बावजूद, ठाकरे के आसपास की मंडली ने उन्हें कभी भी ‘वर्षा’ (मुख्यमंत्री आवास) तक पहुंचने नहीं दिया.

उन्होंने कहा कि ‘मंत्रालय’ जाने का तो सवाल ही नहीं था, क्योंकि वहां मुख्यमंत्री कभी नहीं आए.

पत्र को शिंदे ने अपने ट्विटर पेज पर पोस्ट किया है, जिसमें दावा किया गया है कि ये शिवसेना के विधायकों की भावनाएं हैं.

पत्र में शिरसाट ने कहा कि शिंदे ने पार्टी के विधायकों की शिकायतें, उनके निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों और निधि से जुड़े मामलों के बारे में उनकी बात सुनी, साथ ही सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी के साथ उनकी समस्याओं को भी सुना और इनको हल करने के लिए कदम उठाए.

उन्होंने कहा, ‘पार्टी के विधायकों ने शिंदे को सभी विधायकों के अधिकारों के लिए (विद्रोह का) यह कदम उठाने के लिए कहा.’

‘वर्षा’ में बुधवार को शिवसैनिकों के शक्ति प्रदर्शन का जिक्र करते हुए शिरसाट ने पत्र में कहा, ‘कल सही मायने में आम लोगों के लिए वर्षा के दरवाजे खोले गए. शिवसेना के विधायक होने के बावजूद हमारे लिए ये दरवाजे बंद थे.’

उन्होंने कहा, ‘हमें अपने मतदाताओं और कार्यकर्ताओं को जवाब देने में मुश्किल होती थी कि सत्ता में रहने के बावजूद शिवसेना के विधायकों को किनारे क्यों किया गया. हमारे मुश्किल समय में शिंदे हमारे साथ खड़े रहे, यही वजह है कि आज हम उनके साथ हैं.’

शिवसेना के तीन और विधायक गुवाहाटी रवाना

वहीं, गुरूवार को शिवसेना के तीन और विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी खेमे में शामिल होने के लिए असम की राजधानी गुवाहाटी के लिए रवाना हो गए.

शिंदे के एक करीबी सहयोगी ने बताया कि सावंतवाड़ी से विधायक दीपक केसकर, चेंबूर से विधायक मंगेश कुडलकर और दादर से विधायक सदा सर्वंकर सुबह मुंबई से गुवाहाटी के लिए रवाना हुए.

बुधवार शाम महाराष्ट्र के मंत्री गुलाबराव पाटिल सहित चार विधायक गुवाहाटी के लिए रवाना हुए थे. जिनमें निर्दलीय चंद्रकांत पाटिल और मंजुला गावित शामिल थे. एक अन्य विधायक शिवसेना के योगेश कदम थे.

गुलाबराव पाटिल, उद्धव ठाकरे नीत महाराष्ट्र सरकार में जलापूर्ति एवं स्वच्छता मंत्री हैं. वह बागवानी मंत्री संदीपल भुमरे के बाद शिंदे के खेमे में शामिल होने वाले दूसरे कैबिनेट मंत्री हैं.

महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना के मंत्री गुलाब रघुनाथ पाटिल बुधवार को तीन विधायकों के साथ गुवाहाटी के होटल पहुंचे. (फोटो: पीटीआई)

सूत्रों ने बताया कि शिंदे अपने साथ मौजूद विधायकों से सलाह मशविरा करेंगे और फिर तय करेंगे कि मुंबई कब लौटना है.

बुधवार को गुवाहाटी पहुंचने के बाद शिंदे ने कुछ निर्दलीय विधायकों समेत 46 विधायकों के समर्थन का दावा किया था.

उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष को एक पत्र लिखा था, जिस पर शिवसेना के 35 विधायकों ने हस्ताक्षर किए थे. इसमें सुनील प्रभु की जगह भरत गोगावले को शिवसेना विधायक दल का मुख्य सचेतक बनाया गया था.

इस बीच, शिवसेना के उद्धव खेमे के लिए गुरूवार को उम्मीद की एक छोटी सी किरण तब नजर आई जब दो विधायक, कैलाश पाटिल और नितिन देशमुख, शिंदे गुट छोड़कर गुवाहाटी से मुंबई लौट आए.

शिवसेना नेत्री प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया कि अभी और भी आएंगे.. धैर्य रखें और समय का इंतजार करें.

विधायक कैलाश पाटिल ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए बताया कि वे असंतुष्ट विधायकों को लेकर सूरत जा रही एक कार से उतरकर वापस किसी तरह मुंबई पहुंचे.

उन्होंने कहा कि विधायक नितिन देशमुख भी सूरत से लौट आए, जहां उन्हें कुछ बागी विधायकों के साथ ले जाया गया था.

पाटिल ने दावा किया, ‘कुछ विधायक और हो सकते हैं जो लौटना चाहते हों, लेकिन दबाव या अन्य किसी दिक्कत से लौट नहीं पा रहे हों.’

उन्होंने कहा, ‘शिवसेना ने मुझे जिला परिषद का सदस्य बनाया, विधायक बनाया. मेरे उसूल मुझे शिवसेना के साथ धोखा करने की इजाजत नहीं देते. गुजरात ले जाए गए अन्य लोग भी शायद ऐसा महसूस कर रहे हों.’

इससे पहले शिंदे ने एमवीए को एक ‘अप्राकृतिक गठबंधन’ बताया. उन्होंने ट्वीट किया, ‘शिवसेना और शिवसैनिकों के हित में यह आवश्यक है कि इस अप्राकृतिक गठबंधन से बाहर निकला जाए. राज्य के हित में फैसला लेना आवश्यक है.’

उन्होंने ‘हिन्दुत्व फॉरऐवर’ के हैशटैग के साथ मराठी में ट्वीट किया है.

इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सरकार गिराने की भाजपा की कथित कोशिश की गुरूवार को आलोचना करते हुए इसे अनैतिक और असंवैधानिक तरीका करार दिया.

उन्होंने कहा कि भाजपा ने जानबूझ कर ऐसे समय में महाराष्ट्र सरकार को संकट में डालने का प्रयास किया है जब राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आ रहा है.

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने राज्य सचिवालय में संवाददाताओं से कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संघीय ढांचे को भाजपा नीत केंद्र सरकार पूरी तरह से ध्वस्त कर रही है. वे एक अनैतिक और असंवैधानिक तरीके से महाराष्ट्र सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं.’

ममता ने सवाल किया, ‘आप असम सरकार को संकट में क्यों डाल रहे हैं जब वे बाढ़ का सामना कर रहे हैं? उन्हें (विधायकों को) बंगाल भेज दीजिए और हम उनका अच्छा आतिथ्य सत्कार करेंगे तथा लोकतंत्र का भी ध्यान रखेंगे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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