असम: बाढ़ की बिगड़ती स्थिति के बीच पांच और लोगों की मौत, क़रीब 25 लाख लोग प्रभावित

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, बीते 24 घंटे में राज्य के 28 ज़िलों में 24.92 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. राज्य में इस साल बाढ़ से जुड़े हादसों में अब तक 139 लोगों की जान गई है. हफ्ते भर से अधिक समय से जलमग्न सिलचर शहर में अपने परिजन को खोने वाले परिवार पानी भरे होने के कारण शवों को श्मशान नहीं ले जा पा रहे हैं, वहीं ज़िला प्रशासन भी उन तक नहीं पहुंच पा रहा है.

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नागांव में बाढ़ से क्षतिग्रस्त पुल. (फोटो: पीटीआई)

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, बीते 24 घंटे में राज्य के 28 ज़िलों में 24.92 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. राज्य में इस साल बाढ़ से जुड़े हादसों में अब तक 139 लोगों की जान गई है. हफ्ते भर से अधिक समय से जलमग्न सिलचर शहर में अपने परिजन को खोने वाले परिवार पानी भरे होने के कारण शवों को श्मशान नहीं ले जा पा रहे हैं, वहीं ज़िला प्रशासन भी उन तक नहीं पहुंच पा रहा है.

असम के बाढ़ प्रभावित एक गांव में आने-जाने के लिए नाव का इस्तेमाल करते ग्रामीण. (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी/सिलचर/हैलाकांडी: असम में बाढ़ की स्थिति मंगलवार को और अधिक बिगड़ने से पांच और लोगों की मौत हो गई तथा 24.92 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि कछार के सिलचर शहर में ज्यादातर इलाके हफ्ते भर से अधिक समय से जलमग्न हैं. अधिकारियों ने कहा कि बाढ़ से कछार में तीन और मोरीगांव और धुबरी में एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई.

उन्होंने बताया कि इसके साथ ही राज्य में इस साल बाढ़ से जुड़े हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 139 हो गई है.

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के बुलेटिन के अनुसार, तीन अन्य लोग लापता हैं, जिनमें कछार में दो और चिरांग जिले का एक व्यक्ति गायब है.

पिछले 24 घंटे में राज्य के 28 जिलों में 24.92 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. सोमवार को 22 जिलों में 21.52 लाख लोग पीड़ित थे.

ब्रह्मपुत्र, बेकी, कोपिली, बराक और कुशियारा खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जबकि अन्य नदियों में जल स्तर घट रहा है.

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए बैजली जिले के कुवारा में तटबंध में टूट वाली जगह का दौरा किया.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘कालदिया नदी के पानी से उत्पन्न बाढ़ की स्थिति तथा उससे हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी रंजीत कुमार दास के साथ बैजली के पताचारकुची में कुवारा का दौरा किया.’

पहुमारा नदी के तटबंध को मजबूत करने और उस पर सड़क निर्माण के लिए नौ करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है.

सिलचर में पर्यटन मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने बाढ़ राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा की.

नागांव में बाढ़ से क्षतिग्रस्त पुल. (फोटो: पीटीआई)

असम मिशन निदेशक लक्ष्मी प्रिया के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के एक दल ने भी प्रभावित लोगों के लिए उचित चिकित्सा सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए शहर का दौरा किया.

एनएचएम द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि चिकित्सा अधिकारियों और पैरामेडिकल स्टाफ को तैनात किया गया है तथा विभिन्न राहत केंद्रों में बीमारियों की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य शिविर शुरू किए गए हैं.

दिन में कुल 7,212 लोगों की जांच की गई और जो बहुत बीमार पाए गए उन्हें अस्पताल भेजा गया.

सिलचर में एक सप्ताह से अधिक समय से पानी भरा हुआ है. जिन लोगों तक पहुंचना मुश्किल है, उन तक खाद्य सामग्री पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर की मदद ली जा रही है.

कछार की उपायुक्त कीर्ति जल्ली ने बताया कि लोगों के बीच पानी के पाउच और पानी को साफ करने वाली गोलियां बांटी जा रही हैं.

जल्ली ने लोगों से बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए घर का कूड़ा-कचरा सड़कों पर नहीं फेंकने का आह्वान किया.

एएसडीएमए के अनुसार, राज्य भर में 72 राजस्व सर्किल के कुल 2,389 गांव प्रभावित हुए हैं और 1,76,201 लोग 555 राहत शिविरों में ठहरे हुए हैं.

बाढ़ के पानी ने 155 सड़कों और पांच पुलों को नुकसाना पहुंचाया है, जबकि सात तटबंध टूट गए हैं – पांच हैलाकांडी में और दो बिश्वनाथ में.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एएसडीएमए के अनुसार, 85,673.62 हेक्टेयर कृषिक्षेत्र अभी भी जलमग्न है और 4,304 जानवर बह गए हैं.

चिरांग, डिब्रूगढ़ और हैलाकांडी जिलों में बड़े पैमाने पर कटाव की सूचना मिली थी. करीमगंज और लखीमपुर से दो भूस्खलन की सूचना मिली लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ.

बजाली जिले में बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुए घर. (फोटो: पीटीआई)

बाढ़ग्रस्त सिलचर में लोगों का दाह संस्कार करना हुआ मुश्किल

सिलचर शहर एक सप्ताह से अधिक समय से भयंकर बाढ़ से जूझ रहा है और ऐसे में श्मशान घाट समेत हर जगह पानी भर जाने के कारण लोगों को मृतकों का दाह-संस्कार करने में काफी समस्या हो रही है.

बाढ़ के दौरान अपने परिजन को खोने वाले परिवार पानी भरा होने के कारण शवों को श्मशान नहीं ले जा पा रहे और कछार जिला प्रशासन भी उन तक नहीं पहुंच पा रहा.

अधिकारियों ने बताया कि बेतकुंडी में बांध टूटने के बाद पानी घुस आने से सिलचर बुरी तरह प्रभावित हुआ है. आरोप है कि कुछ बदमाशों ने 19 जून को यह बांध तोड़ दिया था. उन्होंने बताया कि सिलचर में करीब तीन लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं.

सिलचर के पास चुतरासंगन गांव के निवासी निरेन दास की 24 जून को मौत हो गई थी, लेकिन बाढ़ के कारण करीब दो दिन तक उनका अंतिम संस्कार नहीं हो सका.

इसके बाद एक कॉलेज के शिक्षक रामेंद्र दास सहायता के लिए आगे आए और शोक संतप्त परिवार के कुछ सदस्यों के साथ मिलकर शव को नाव के जरिए लेकर गए. दास को 15 किलोमीटर तक नाव चलाने के बाद सिलचर शहर के बाहर बाबरबाजार में एक सूखी जगह मिली, जहां दास का अंतिम संस्कार किया गया.

हाल में सिलचर की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसमें कुछ लोग गले तक पहुंच चुके बाढ़ के पानी में एक अर्थी को ले जाते दिख रहे हैं.

इसके अलावा, पिछले सप्ताह स्थानीय स्वयंसेवकों को शहर में एक महिला का शव तैरता मिला. उन्हें शव के साथ एक पत्र भी मिला, जिसमें अनुरोध किया गया था कि जिसे भी यह शव मिले, वह इसका अंतिम संस्कार कर दे. ऐसा बताया जा रहा है कि यह पत्र महिला के बेटे ने लिखा था, जो रंगीरखरी क्षेत्र का रहने वाला है.

पत्र में बेटे ने लिखा था कि वह अपनी मां के शव को बाढ़ के कारण श्मशान नहीं ले जा पा रहा है. महिला के शव का स्थानीय स्वयंसेवकों ने अंतिम संस्कार किया.

कस्बे के मुख्य श्मशान घाट की देखरेख करने वाले दिलीप चक्रवर्ती ने बताया कि पूरा इलाका पानी में डूब गया है और उन्हें खुद सुरक्षित स्थान पर जाना पड़ा है.

उन्होंने कहा, ‘पूरे इलाके के पानी में डूब जाने के कारण किसी शव का संस्कार करना संभव नहीं है.’

स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन और निर्वाचित प्रतिनिधि बाढ़ में फंसे हुए लोगों की समस्याओं का समाधान करने में विफल रहे हैं.

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने रविवार को स्थिति की समीक्षा के लिए शहर का दौरा किया था. उन्होंने स्वीकार किया कि फंसे हुए सभी लोगों तक पहुंचना संभव नहीं है.

ऐसे में कई गैर सरकारी संगठनों के सदस्य और अन्य लोग बीमारों एवं वरिष्ठ नागरिकों की मदद करने के लिए आगे आए हैं और वे मृतकों के दाह संस्कार में भी मदद कर रहे हैं.

वन विभाग दाह संस्कार के लिए कुछ लकड़ियां निशुल्क उपलब्ध करा रहा है और सिलचर नगर बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष बिजेंद्र प्रसाद सिंह ने बाढ़ का पानी कम होने के बाद नागरिक कार्यालय से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कराने की जिम्मेदारी ली है.

राहत एवं बचाव कार्यों में लगे एक स्वयंसेवक ने कहा कि कई गैर सरकारी संगठन शवों का सूखी जगह पर अंतिम संस्कार करने में मदद के लिए आगे आए हैं, लेकिन इन स्थानों तक पहुंचना बहुत महंगा है क्योंकि नावों के मालिक लगभग छह किलोमीटर की यात्रा के लिए न्यूनतम 3,000 रुपये मांग रहे हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, सिलचर के जाने-माने सर्जन कुमार कांति दास ने यहां से करीब छह किलोमीटर दूर बंगलाघाट स्थित अपने अस्पताल सुंदर मोहन सेवा भवन के बगल में दाह संस्कार के लिए सूखी जगह मुहैया कराई है.

राहत और बचाव कार्यों में लगे एक स्वयंसेवक नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेवा संगठन के महासचिव रूपक चक्रवर्ती ने कहा, ‘इस उद्देश्य के लिए प्रदान की गई जगह के बगल में एक तालाब है जिसमें लोग स्नान, बाकी अनुष्ठान आदि कर सकते हैं.

इस बीच, उपायुक्त कीर्ति जल्ली ने कहा कि प्रशासन निवासियों की विभिन्न समस्याओं को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है और उसने व्यापारियों को चेतावनी दी है कि यदि कोई व्यक्ति इस संकट के दौरान अधिक दर वसूलता पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)