ईद-उल-अजहा के अवसर पर हरिद्वार में पशु वध पर पूर्ण प्रतिबंध के आदेश पर रोक

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार ज़िले की मंगलौर नगरपालिका के एक बूचड़खाने में 10 जुलाई को ईद-उल-अजहा के लिए जानवरों के वध की अनुमति दे दी. बीते साल कुंभ मेले से पहले राज्य की भाजपा सरकार ने ज़िले के शहरी स्थानीय निकायों को ‘बूचड़खाना मुक्त क्षेत्र’ घोषित कर इन्हें संचालित करने के लिए जारी की गई मंज़ूरी को रद्द कर दिया था.

उत्तराखंड हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार ज़िले की मंगलौर नगरपालिका के एक बूचड़खाने में 10 जुलाई को ईद-उल-अजहा के लिए जानवरों के वध की अनुमति दे दी. बीते साल कुंभ मेले से पहले राज्य की भाजपा सरकार ने ज़िले के शहरी स्थानीय निकायों को ‘बूचड़खाना मुक्त क्षेत्र’ घोषित कर इन्हें संचालित करने के लिए जारी की गई मंज़ूरी को रद्द कर दिया था.

उत्तराखंड हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

देहरादून: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को पूरे हरिद्वार जिले को ‘जानवरों का वध-मुक्त क्षेत्र’ या ‘बूचड़खाना मुक्त क्षेत्र’ घोषित करने वाली राज्य सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा दी और जिले की मंगलौर नगरपालिका के एक बूचड़खाने में 10 जुलाई को ईद-उल-अजहा के लिए जानवरों के वध की अनुमति दे दी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और जस्टिस आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि ईद-उल-अजहा पर जानवरों का वध केवल कानूनी रूप से अनुपालन करने वाले बूचड़खाने में किया जाना चाहिए.

इसके साथ ही अदालत ने नगरपालिका से कहा कि इस निर्देश का प्रचार-प्रसार करें. उन्होंने सरकारी आदेश पर सवाल उठाने वाले याचिकाकर्ता को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि जिले में कहीं और कोई वध नहीं किया जाए.

पिछले साल 3 मार्च को उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने हरिद्वार जिले में शहरी स्थानीय निकायों- दो नगर निगमों, दो नगर पालिका परिषदों और पांच नगर पंचायतों को ‘बूचड़खाना मुक्त क्षेत्र’ घोषित कर बूचड़खानों को संचालित करने के लिए जारी की गई मंजूरी को रद्द कर दिया था.

कुंभ मेले से पहले नगर विकास विभाग की अधिसूचना जारी की गई थी. क्षेत्र के भाजपा विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को एक पत्र लिखकर मांग की थी कि ‘हरिद्वार जैसे धार्मिक शहर’ में बूचड़खानों की अनुमति न दी जाए.

हरिद्वार निवासी फैसल हुसैन ने यह कहते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि जानवरों का वध इस्लाम में एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है और ईद-उल-अजहा त्योहार के लिए मंगलौर के बूचड़खाने में जानवरों के वध की अनुमति दी जानी चाहिए, जिसका निर्माण पिछले वर्ष किया गया था, लेकिन पशु वध पर पूर्ण प्रतिबंध के कारण यहां काम शुरू नहीं किया जा सका था.

हुसैन के वकील कार्तिकेय हरि गुप्ता ने अदालत को पिछले साल के ईद-उल-अजहा समारोह की एक तस्वीर दिखाई, जिसके दौरान सभी प्रतिबंधों के बावजूद मंगलौर में खुली सड़कों पर बड़े पैमाने पर जानवरों का वध किया गया था.

गुप्ता ने यह भी तर्क दिया कि कानूनी रूप से अनुपालन करने वाले बूचड़खाने को चालू किए बिना वध पर प्रतिबंध लगाने से कोई समस्या हल नहीं होगी.

उन्होंने अदालत को बताया कि नगर पालिका की 87.45 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है. यह क्षेत्र हरिद्वार शहर से लगभग 45 किमी दूर है और उन्होंने निवेदन किया कि अगर मंगलौर के एक बूचड़खाने में जानवरों के वध की अनुमति दी जाती है, तो हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचेगी.

सरकारी आदेश पर अदालत के रोक की पुष्टि करते हुए गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पिछले साल फरवरी में बूचड़खाने का निर्माण किया गया था और इसके मालिकों द्वारा संचालन शुरू करने के लिए आवेदन करने के एक सप्ताह के भीतर पशु वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था.

उन्होंने कहा, ‘साल 2011 में हाईकोर्ट ने तीन साल के भीतर एक बूचड़खाने के निर्माण का आदेश दिया, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके बाद फिर सीधे 2016 में राज्य सरकार ने मंगलौर नगर पालिका को सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी मोड) से बूचड़खाने बनाने की अनुमति दे दी.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इसका निर्माण फरवरी 2021 में पूरा हुआ था. मार्च में हालांकि, सरकार ने पूरे हरिद्वार जिले को वध-मुक्त घोषित कर दिया. हमने इसे चुनौती दी और कहा कि मंगलौर हरिद्वार शहर से 45 किमी दूर है और इस प्रकार हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को प्रभावित नहीं करेगा. हमने यह भी उल्लेख किया कि बूचड़खाने को सरकार ने ही मंजूरी दी थी.’