यूपी: लखनऊ के लोहिया अस्पताल में मुफ़्त इलाज की सुविधा बंद, ओपीडी फीस एक रुपये से 100 रुपये हुई

लखनऊ स्थित सरकारी लोहिया अस्पताल पर इलाज का ख़र्च बढ़ाने पर कांग्रेस और सपा ने योगी सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस ने कहा कि भाजपा चाहती है कि अगर ग़रीब भूख और बेरोज़गारी से किसी तरह बच जाए तो बीमारी उसे मार डाले. धर्म के नाम पर अधर्मियों के झुंड ने सत्ता हथिया ली है. सपा ने कहा कि ये है डबल इंजन सरकार, जिसमें ग़रीब के लिए सब महंगा, पूंजीपतियों के लिए सब फ्री है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

लखनऊ स्थित सरकारी लोहिया अस्पताल पर इलाज का ख़र्च बढ़ाने पर कांग्रेस और सपा ने योगी सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस ने कहा कि भाजपा चाहती है कि अगर ग़रीब भूख और बेरोज़गारी से किसी तरह बच जाए तो बीमारी उसे मार डाले. धर्म के नाम पर अधर्मियों के झुंड ने सत्ता हथिया ली है. सपा ने कहा कि ये है डबल इंजन सरकार, जिसमें ग़रीब के लिए सब महंगा, पूंजीपतियों के लिए सब फ्री है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित सरकारी राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के अस्पताल ब्लॉक (लोहिया अस्पताल) में 9 जुलाई 2022 से मरीजों के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा बंद कर दी गई.

अस्पताल में इलाज और ओ​पीडी सेवाओं के लिए लागू नए नियम 9 जुलाई से प्रभावी हो रहे हैं. अब ओपीडी में एक रुपये के पर्चे की जगह 100 रुपये देकर मरीजों का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, तब उनका इलाज शुरू हो पाएगा.

100 रुपये के इस पर्चे की समयसीमा छह महीने है, यानी छह महीने तक एक ही पर्चे पर इलाज संभव हो सकेगा.

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ओपीडी में अब न तो दवाएं मुफ्त मिलेंगी, न ही मुफ्त जांचें हो सकेंगी. जांचों के लिए भी शुल्क देना होगा और भर्ती होने पर 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से शुल्क जमा करना होगा.

दरअसल लोहिया संस्थान में लोहिया अस्पताल के विलय का आदेश साल 2019 में जारी किया गया था. इसके साथ यह फैसला किया गया था कि दो साल तक अस्पताल के सभी विभागों में मुफ्त इलाज की व्यवस्था लागू रहेगी. दो साल बीतने के बाद इस साल अप्रैल में शासन ने नए नियमों का आदेश जारी किया था, जिसे नौ जुलाई से लागू कर दिया गया.

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, इस बारे में संस्थान की निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद का कहना है कि मरीजों को सुपर स्पेशियलिटी सुविधाएं मुहैया कराए जाने की दिशा में यह कदम उठाया गया है. शासन के निर्देश पर नई व्यवस्था लागू की जा रही है.

लोहिया अस्पताल में करीब 400 बेड हैं. इसमें आर्थोपैडिक, सर्जरी, ईएनटी, मेडिसिन समेत अन्य विभागों का संचालन हो रहा है. अस्पताल की ओपीडी में रोजाना करीब 3,000 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं. यहां उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा अन्य राज्यों से भी इलाज के लिए मरीज आते हैं.

लोहिया संस्थान के एमएस डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि एक ही सिस्टम लागू होने से मरीजों को कई फायदे भी होंगे. इमरजेंसी सेवाएं पहले की तरह मुफ्त मिलती रहेंगी. मरीज को इमरजेंसी से वॉर्ड में शिफ्ट करने के बाद शुल्क लिया जाएगा.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने एक ट्वीट में कहा है, ‘पहले लोहिया अस्पताल के पर्चे का शुल्क 1 से 100 रुपये किया, अब गरीबों से दवाओं के दाम वसूलने की तैयारी हो रही है. भाजपा चाहती है कि यदि गरीब भूख और बेरोजगारी से किसी तरह बच जाए तो बीमारी उसे मार डाले. धर्म के नाम पर अधर्मियों के झुंड ने सत्ता हथिया ली है, शर्मनाक!’

एक अन्य ट्वीट में पार्टी ने कहा, ‘संविधान निर्माताओं ने आधुनिक भारत की परिकल्पना जनकल्याणकारी लोकतंत्र के रूप में की थी, जहां सभी आधारभूत सुविधाएं कम कीमत पर उपलब्ध हो जाएं, मगर मौजूदा सरकार इस व्यवस्था को ध्वस्त करने पर आमादा है.’

समाजवादी पार्टी ने ट्वीट कर कहा, ‘योगी सरकार ने गरीब से सस्ते इलाज और मुफ्त दवाओं का हक भी छीन लिया. ये है डबल इंजन सरकार, जिसमें गरीब के लिए सब महंगा, पूंजीपतियों के लिए सब फ्री है.’