केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने कहा है कि डॉक्टर की निगरानी के बिना आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं का सेवन करने से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. प्राधिकरण ने कहा कि वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत आवश्यक कार्रवाई शुरू कर सकता है, अगर जांच के बाद यह पाया जाता है कि क़ानूनी ढांचे के उल्लंघन में किसी भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा ऐसी दवाओं की बिक्री के लिए पेशकश की जाती है.
नई दिल्ली: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने ई-कॉमर्स कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे ग्राहकों द्वारा रजिस्टर्ड डॉक्टर की पर्ची को उनके प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने के बाद ही आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाओं की बिक्री कर सकती हैं.
यह नियम औषधि एवं प्रसाधन नियम, 1945 की अनुसूची ई (1) के तहत निर्दिष्ट दवाओं के लिए लागू होगा. अनुसूची ई में आयुर्वेद (सिद्ध सहित) और यूनानी चिकित्सा पद्धति के तहत ‘विषाक्त’ पदार्थों की सूची है. इस तरह की दवाओं को चिकित्सकीय देखरेख में लेने की जरूरत होती है.
सीसीपीए ने एक बयान में कहा, ‘डॉक्टर की निगरानी के बिना ऐसी दवाओं का सेवन करने से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. ई-कॉमर्स मंचों को सलाह दी गई है कि ऐसी दवाओं की बिक्री या बिक्री की सुविधा केवल एक पंजीकृत आयुर्वेद, सिद्ध या यूनानी चिकित्सक के वैध नुस्खे के बाद ही की जाएगी. इन्हें मंच पर उपयोगकर्ता द्वारा अपलोड किया जाएगा.’
बीते गुरुवार को ई-कॉमर्स कंपनियों को भेजी गई एक एडवाइजरी में सीसीपीए ने कहा, ‘केंद्रीय प्राधिकरण, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के तहत आवश्यक कार्रवाई शुरू कर सकता है, अगर जांच के बाद यह पाया जाता है कि उपभोग करने के लिए ऐसी दवाओं की बिक्री को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढांचे के उल्लंघन में किसी भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा उक्त दवाओं की बिक्री के लिए पेशकश की जाती है.’
एडवाइजरी में कहा गया है, ‘यह सीसीपीए के संज्ञान में आया है कि उपरोक्त श्रेणी की दवाओं को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बिना किसी तंत्र, जिससे यह सत्यापित किया जा सके कि ऐसी दवाएं उपयोगकर्ता द्वारा चिकित्सकीय सलाह के तहत खरीदी जा रही हैं या नहीं, के बिक्री के लिए पेश किया जा रहा है.’
इसके अलावा इस तरह की दवाओं के कंटेनर के लेबल पर ‘सावधानी’ शब्द अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में लिखा होना चाहिए.
गौरतलब है कि आयुष मंत्रालय ने एक फरवरी, 2016 को हितधारकों को सूचित करते हुए एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया था कि ऐसी दवाओं को डॉक्टर की देखरेख में लेने की जरूरत है और उन्हें बिना चिकित्सकीय परामर्श के इनकी ऑनलाइन खरीद से बचना चाहिए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)