म्यांमार के 30 हज़ार से अधिक शरणार्थी मिज़ोरम में, जारी किए गए पहचान पत्र: अधिकारी

मिज़ोरम के गृह विभाग द्वारा इस महीने की शुरुआत में संकलित आंकड़ों का हवाला देते हुए एक अधिकारी ने बताया कि पिछले साल फरवरी में पड़ोसी देश म्यांमार में सेना द्वारा सत्ता हथियाए जाने के बाद से अब तक 11,798 बच्चों और 10,047 महिलाओं सहित म्यांमार के 30,316 नागरिकों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में शरण ली है. मिज़ोरम आने वालों में वहां के 14 विधायक भी शामिल हैं.

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फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद मिजोरम के सीमाई जिले के एक गांव में प्रवेश करते म्यांमार के लोग. (फोटो: रॉयटर्स)

मिज़ोरम के गृह विभाग द्वारा इस महीने की शुरुआत में संकलित आंकड़ों का हवाला देते हुए एक अधिकारी ने बताया कि पिछले साल फरवरी में पड़ोसी देश म्यांमार में सेना द्वारा सत्ता हथियाए जाने के बाद से अब तक 11,798 बच्चों और 10,047 महिलाओं सहित म्यांमार के 30,316 नागरिकों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में शरण ली है. मिज़ोरम आने वालों में वहां के 14 विधायक भी शामिल हैं.

फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद मिजोरम के सीमाई जिले से प्रवेश करते म्यांमार के लोग. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

आईजोल: पिछले साल फरवरी में पड़ोसी देश म्यांमार में सेना द्वारा सत्ता हथियाए जाने के बाद से अब तक 11,798 बच्चों और 10,047 महिलाओं सहित म्यांमार के 30,316 नागरिकों ने मिजोरम के विभिन्न हिस्सों में शरण ली है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी.

राज्य के गृह विभाग द्वारा महीने की शुरुआत में संकलित आंकड़ों का हवाला देते हुए अधिकारी ने कहा कि संकटग्रस्त देश छोड़कर मिजोरम आने वालों में 14 विधायक भी शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि 30,316 लोगों में से 30,299 लोगों की जांच प्रक्रिया (प्रोफाइलिंग) पूरी हो चुकी है. साथ ही धारक को शरणार्थी के रूप में प्रमाणित करने वाले पहचान पत्र 30 हजार से अधिक शरणार्थियों को जारी किए गए हैं.

उन्होंने बताया कि शरणार्थी कार्ड राज्य सरकार द्वारा जारी किया जा रहा है. इसे केवल मिजोरम में पहचान के उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए एक वैध दस्तावेज नहीं होगा.

एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘म्यांमार के नागरिकों का लेखा-जोखा रखने के लिए पहचान-पत्र जारी किए जा रहे हैं. यह उन व्यक्तियों को उनसे दूर रखेगा, जो निहित राजनीतिक हितों के लिए उन्हें भारत की नागरिकता देना चाहते हैं.’

प्रत्येक पहचान-पत्र में कहा गया है कि वाहक म्यांमार का नागरिक है और मिजोरम में रह रहा है.

पहचान पत्र में लिखा है, ‘यह सिर्फ पहचान के लिए है और आधिकारिक या किसी अन्य उद्देश्य की पूर्ति के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. यह हस्तांतरणीय नहीं है.’

अधिकारी के अनुसार, राज्य के विभिन्न हिस्सों में सरकार गैर-सरकारी संगठनों, गांव के अधिकारियों और म्यांमार के नागरिकों द्वारा कम से कम 156 अस्थायी राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जिसमें सियाहा जिले में अधिकतम 41 आश्रय गृह हैं, इसके बाद लवंगतलाई में 36 और चम्फाई में 33 आश्रय गृह हैं.

उन्होंने कहा कि राज्य ने अब तक 80 लाख रुपये की राहत राशि स्वीकृत की है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारी ने कहा कि म्यांमार का कोई भी शरणार्थी अब तक किसी भी कानून-व्यवस्था की समस्या में शामिल नहीं है.

मिजोरम के छह जिले – चम्पाई, सियाहा, लवंगतलाई, सेरछिप, हनाहथियाल और सैतुअल – म्यांमार के चिन राज्य के साथ 510 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं.

म्यांमार के अधिकांश नागरिक चिन राज्य से हैं और मिजो लोगों के साथ अपने पूर्वजों को साझा करते हैं.

गौरतलब है कि म्यांमार में सेना ने एक फरवरी 2021 को तख्तापलट कर नोबेल विजेता आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को बेदखल करते हुए और उन्हें तथा उनकी पार्टी के अन्य नेताओं को नजरबंद करते हुए देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी.

म्यांमार की सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में लेते हुए कहा था कि उसने देश में नवंबर में हुए चुनावों में धोखाधड़ी की वजह से सत्ता कमांडर इन चीफ मिन आंग ह्लाइंग को सौंप दी है.

सेना का कहना है कि सू ची की निर्वाचित असैन्य सरकार को हटाने का एक कारण यह है कि वह व्यापक चुनावी अनियमितताओं के आरोपों की ठीक से जांच करने में विफल रहीं.

नवंबर 2020 में हुए चुनावों में सू ची की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 पर जीत दर्ज की थी, जो बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था, लेकिन 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में 25 प्रतिशत सीटें सेना को दी गई थीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)