तमिलनाडु: चिदंबरम मंदिर के ख़िलाफ़ जातिवाद-बाल विवाह जैसी 14,000 से अधिक शिकायतें मिलीं

तमिलनाडु हिंदू रिलिजियस एंड चेरिटेबल एंडोमेंट विभाग ने चिदंबरम नटराज मंदिर के रिकॉर्ड खंगालने के लिए मंदिर प्रबंधन से संपर्क किया था, लेकिन पुजारियों के विरोध के बाद विभिन्न सेवाओं पर जनता से सीधा फीडबैक मांगा गया. विभागीय संयुक्त कमिश्नर के मुताबिक़, जनता की ओर से क़रीब 20,000 याचिकाएं मिलीं, जिनमें से 14,000 से अधिक में मंदिर प्रबंधन के ख़िलाफ़ गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

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चिदंबरम नटराज मंदिर. (फोटो साभार: फेसबुक)

तमिलनाडु हिंदू रिलिजियस एंड चेरिटेबल एंडोमेंट विभाग ने चिदंबरम नटराज मंदिर के रिकॉर्ड खंगालने के लिए मंदिर प्रबंधन से संपर्क किया था, लेकिन पुजारियों के विरोध के बाद विभिन्न सेवाओं पर जनता से सीधा फीडबैक मांगा गया. विभागीय संयुक्त कमिश्नर के मुताबिक़, जनता की ओर से क़रीब 20,000 याचिकाएं मिलीं, जिनमें से 14,000 से अधिक में मंदिर प्रबंधन के ख़िलाफ़ गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

चिदंबरम नटराज मंदिर. (फोटो साभार: फेसबुक)

चेन्नई: तमिलनाडु के चिदंबरम नटराज मंदिर में अस्पृश्यता/छुआछूत, बाल विवाह, महिला भक्तों का अनादर, आर्थिक अनियमितताओं आदि से संबंधित 14,000 से अधिक शिकायतें एक आधिकारिक जांच समिति को मिली हैं.

द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच समिति को मिलीं 14,000 से अधिक शिकायतों में चिदंबरम नटराज मंदिर (अरुलमिगु सबनायगर मंदिर) प्रबंधन के खिलाफ भक्तों ने हजारों आरोप लगाए हैं, जिनमें ‘अस्पृश्यता की दीवार’ होना, बाल विवाह कराना, महिला भक्तों के प्रति अनादर और वित्तीय अनियमितताओं जैसे आरोप शामिल हैं.

समिति का गठन तमिलनाडु हिंदू रिलिजियस एंड चेरिटेबल एंडोमेंट (एचआर एंड सीई) विभाग द्वारा किया गया था. पिछले हफ्ते 18 जुलाई को समिति द्वारा अपनी अंतरिम रिपोर्ट जारी की गई.

रिपोर्ट में समिति को व्यक्तिगत रूप से, मेल से या डाक से प्राप्त हुई शिकायतों को सूचीबद्ध किया गया है.

एचआर एंड सीई के सहायक आयुक्त और जांच समिति के समन्वयक सी. जोथी द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, मंदिर मामलों से संबंधित कुल 19,405 याचिकाएं प्राप्त हुई थीं. उनमें से 14,098 याचिकाएं कथित तौर पर मंदिर के गलत तरीके से कराए जाने वाले अनुष्ठानों और प्रथाओं से लेकर आर्थिक अनिमितताओं जैसे आरोपों से संबंधित थीं.

याचिकाओं से उभरकर सामने आईं 28 आम शिकायतों को अंतरिम रिपोर्ट में सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें जनता द्वारा दान में दिए गए नकदी, सोना, चांदी, जवाहरात आदि के लिए रसीद का प्रावधान न होना भी शामिल है.

कथित तौर पर उन भक्तों को भी कोई रसीद प्रदान नहीं की जाती है जो दरवाजे पर प्रसाद पाने के लिए 10,000 रुपये तक का भुगतान करते हैं.

कुछ याचिकाओं में जांच समिति से मंदिर के दक्षिण द्वार पर खड़ी ‘अस्पृश्यता की दीवार’ को गिराने के लिए भी अनुरोध किया गया है. बताया गया है कि यहां से नंदनार, जो 63 शैव नयनमार संतों में से एकमात्र दलित थे, ने मंदिर में प्रवेश किया था।

याचिकाकर्ताओं ने प्रत्येक कला पूजा में थेवरा थिरुमुराइगल गाने के लिए ओथुवर की नियुक्ति की भी मांग की है, इसके अलावा जांच समिति से मंदिर के अंदर हुंडी (धन संग्रह बक्से) स्थापित करने और पूजा-अर्चना के लिए रसीद प्रदान करने का आग्रह किया है.

कुछ याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि अनुष्ठान सही समय पर नहीं हो रहे हैं.

इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि कुछ भक्तों ने ऐसे गंभीर आरोप लगाए हैं कि मंदिर में बाल विवाह कराए जा रहे हैं और महिला भक्तों के साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं किया जा रहा है.

कुछ लोगों ने आरोप लगाया है कि नटंजलि कार्यक्रम में परफॉर्म करने के लिए 20,000 रुपये का शुल्क लगाया जा रहा है, जो आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के कलाकारों को इसमें भाग लेने से रोक रहा है. ऐसी भी शिकायतें हैं कि मंदिर विशेष तौर पर सक्षम लोगों के अनुकूल नहीं है.

इसके अलावा, कई याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि मंदिर के दीक्षित (पुजारियों) ने मंदिर से करोड़ों रुपये के गहने ले लिए हैं, जिसको ध्यान में रखते हुए लोगों ने मंदिर की मूर्तियों की गणना और विद्वानों से शिलालेखों पर शोध कराने की मांग की है.

अन्य मांगों में पेयजल और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग की गई है.

बता दें कि समिति ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी करके लोगों से अपने विचार और सुझाव साझा करने के लिए कहा था. वे कुड्डालोर संयुक्त कमिश्नर कार्यालय में व्यक्तिगत तौर पर, ईमेल द्वारा या डाक के जरिये अपने सुझाव दे सकते थे.

वहीं, एचआर एंड सीई विभाग ने पोडु दीक्षित के सचिव को पांच खंडों में 17,219 याचिकाओं की प्रतियां भेजी थीं और 15 दिनों के भीतर उनसे स्पष्टीकरण मांगा था.

हालांकि, एचआर एंड सीई कमिश्नर आईएएस जे. कुमारगुरुबारन के अनुसार, पोडु दीक्षित ने कहा है कि विभाग के पास मंदिर या संबंधित रिकॉर्ड के निरीक्षण के लिए कहने का अधिकार नहीं है.

कमिश्नर ने कहा, ‘हम इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं कि पोडु दीक्षित ने लगभग तीन सदियों से मंदिर का रखरखाव किया है, न ही हम उनसे कह रहे हैं कि वे मंदिर मामलों का प्रबंधन छोड़ दें. लेकिन यह याद रखना होगा कि मंदिर का निर्माण चोल राजाओं ने जनता के लिए कराया था. वे दो टूक यह नहीं कह सकते हैं कि वे रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं करेंगे, क्योंकि तमिलनाडु हिंदू रिलिजियस एंड चेरिटेबल एंडोमेंट एक्ट- 1959 में (धारा 26) मंदिर के न्यासियों को अयोग्य घोषित करने का प्रावधान है.’

उन्होंने आगे बताया, ‘हमने शुरुआती तौर पर एक टीम के साथ रिकॉर्ड खंगालने के लिए प्रबंधन से संपर्क किया था, लेकिन दीक्षितों ने इसका विरोध किया. इसलिए अंतत: हमने फैसला किया कि हम सीधा जनता से फीडबैक लेंगे और जानेंगे कि क्या वे इन वंशानुगत संरक्षकों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं से खुश हैं. ‘

कुमारगुरुबारन ने बताया कि कई लोग व्यक्तिगत तौर पर मंदिर के खिलाफ याचिका देने में अनिच्छुक थे, इसलिए उन्होंने याचिकाएं भेजने के लिए ईमेल आईडी और कार्यालय का पता जारी किया.

उन्होंने बताया कि दो दिन (20-21 जून) में करीब 20,000 याचिकाएं मिलीं, जिनमें करीब 4,000 याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे मंदिर की सेवाओं से खुश हैं और प्रबंधन के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की.

कमिश्नर ने यह भी कहा कि विभाग की, एक विशेष टीम मंदिर भेजकर, मंदिर के कब्जे वाले सोने-चांदी के जवाहरातों की पुष्टि करने की योजना है.

वरिष्ठ अधिवक्ता और देवा थामिज पेरावई (चिदंबरम मंदिर मे दीक्षितों के एकाधिकार के खिलाफ मुखर शैव संगठन) की कार्यकारी समिति के सदस्य राजेंद्रन ने याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को सही बताया और सरकार से मांग की कि वह मंदिर का प्रबंधन अपने हाथ में ले और दीक्षितों को केवल पूजा का काम सौंपे.

इस बीच, चिदंबरम स्थित श्री नटराज मंदिर के पुजारियों ने 8 जून को सरकार को कोई भी रिकॉर्ड या खाता विवरण देने से इनकार कर दिया था.

एचआर एंड सीई विभाग ने कथित तौर पर मंदिर के दीक्षितों को नोटिस और रिमाइंडर भेजे थे और कहा था कि वे वर्ष 2014 से मंदिर के राजस्व, व्यय, संपत्ति, मंदिर से संबंधित भूमि आदि के विवरण के साथ रिपोर्ट सौंपें. हालांकि, जब 8 जून और 9 जून को समिति मंदिर पहुंची तो दीक्षितों ने निरीक्षण करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया.

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