त्रिपुरा: नकली मतदाताओं की पहचान के लिए आधार को पहचान पत्र से जोड़ा जाएगा

त्रिपुरा के मुख्य चुनाव अधिकारी ने बताया कि राज्य में 1 अगस्त से अगले दो महीने तक इलेक्ट्रॉनिक फोटो पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने का काम किया जाएगा, इससे मताधिकार के दुरुपयोग पर रोक लगेगी.

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फोटो: रॉयटर्स

त्रिपुरा के मुख्य चुनाव अधिकारी ने बताया कि राज्य में 1 अगस्त से अगले दो महीने तक इलेक्ट्रॉनिक फोटो पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने का काम किया जाएगा, इससे मताधिकार के दुरुपयोग पर रोक लगेगी.

फोटो: रॉयटर्स

अगरतला: त्रिपुरा के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) किरण दिनकरराव गिट्टे ने 1 अगस्त से राज्य में 27 लाख मतदाताओं के इलेक्ट्रॉनिक फोटो पहचान पत्र (एपिक) को आधार कार्ड के साथ लिंक करने की घोषणा की है. उनका कहना है कि इससे राज्य की मतदाता सूची को साफ करने में मदद मिलेगी.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, शनिवार शाम राज्य सचिवालय में पत्रकारों से बात करते हुए गिट्टे ने कहा कि भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा चार संशोधन अनिवार्य किए गए थे, जिसमें यूआईडीएआई कार्ड को एपिक कार्ड से जोड़कर चुनावी पंजीकरण के लिए आधार का उपयोग करना भी शामिल था.

यह पहल जन प्रतिनिधित्व अधिनियम-1950 और 1951 के प्रावधानों के अनुसार शुरू की जा रही है, और एक अगस्त से शुरू होकर दो महीनों तक जारी रहेगी. बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) नए फॉर्म भरने की प्रक्रिया के तहत हर घर जाएंगे और जो लोग 17 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं, उनसे उनकी जानकारी भरने के लिए कहेंगे. यह एपिक पंजीकरण में अनावश्यक देरी से बचने के लिए किया जाएगा, जिसके कारण नए मतदाता कभी-कभी अपना पहला मतदान नहीं कर पाते हैं.

हालांकि, ऐसे व्यक्तियों को उनके एपिक कार्ड 18 वर्ष की आयु के बाद ही मिलेंगे.

गिट्टे ने कहा कि चूंकि नकली मतदाताओं का एक वर्ग अलग-अलग जगहों पर पंजीकृत है, आधार का एकीकरण उन्हें बाहर निकालने में मदद करेगा और मताधिकार के दुरुपयोग को रोकेगा. उन्होंने आगे कहा कि त्रिपुरा की लगभग 99 फीसदी मतदाता सूची साफ है लेकिन कइयों ने अपने घर बदल लिए, कई शहरी क्षेत्रों में बस गए, तो कई नौकरी के कारण कहीं और बस गए, जिससे दोहराव की स्थिति बन गई.

उन्होंने कहा कि आधार कार्ड के एकीकरण के बाद इस तरह के दोहराव की कोई संभावना नहीं होगी.

गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले, भाजपा की मांग पर राज्य की मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण किया गया था. इसकी मांग करते हुए भाजपा ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था.

बहरहाल, गिट्टे ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग ने अब मतदाता सूची को साल में चार बार संशोधित करने का फैसला किया है- 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को. सूची को लगातार अपडेट किया जाएगा और साल में एक बार जनवरी में छापा जाएगा.