लोकसभा में बिजली संशोधन विधेयक पेश, विपक्ष समेत बिजली कर्मचारी व इंजीनियर विरोध में

सोमवार को विपक्ष के विरोध के बीच बिजली संशोधन विधेयक, 2022 लोकसभा में पेश किया गया. वहीं, देश भर में बिजली कर्मचारियों ने विधेयक के विरोध में काम का बहिष्कार करते हुए प्रदर्शन किया. कर्मचारी महासंघ का कहना है कि ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण की दृष्टि से विधेयक को अलोकतांत्रिक तरीके से पेश किया गया है.

//
जम्मू में प्रदर्शन करते कर्मचारी. (फोटो साभार: ट्विटर/@jkmediasocial)

सोमवार को विपक्ष के विरोध के बीच बिजली संशोधन विधेयक, 2022 लोकसभा में पेश किया गया. वहीं, देश भर में बिजली कर्मचारियों ने विधेयक के विरोध में काम का बहिष्कार करते हुए प्रदर्शन किया. कर्मचारी महासंघ का कहना है कि ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण की दृष्टि से विधेयक को अलोकतांत्रिक तरीके से पेश किया गया है.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली/लखनऊ/चंडीगढ़: बिजली वितरण के क्षेत्र में निजी कंपनियों के प्रवेश को सक्षम बनाने वाला विवादास्पद विद्युत संशोधन विधेयक, 2022 विपक्ष के विरोध के बीच लोकसभा में पेश किया गया.

केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने सोमवार को लोकसभा में बिजली संशोधन विधेयक पेश किया. उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से इसे व्यापक विचार-विमर्श के लिए ऊर्जा पर बनी संसद की स्थायी समिति के पास भेजने का भी आग्रह किया.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान सदन में कांग्रेस, वाम दलों, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके के सांसदों ने कड़ा विरोध जताया.

उनका कहना था कि यह विधेयक संविधान के संघीय सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, बिजली क्षेत्र के अंधाधुंध निजीकरण की अनुमति देता है, साथ ही इसके लिए राज्यों के साथ परामर्श को दरकिनार कर दिया गया, जबकि बिजली समवर्ती सूची में उल्लिखित विषय है.

वहीं, केंद्रीय विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने विपक्षी दलों पर ‘दुष्प्रचार’ का आरोप लगाते हुए कहा कि उनका मकसद ‘लोगों को गुमराह करना’ है.

लाइव लॉ के अनुसार, विधेयक में बिजली वितरण क्षेत्र में निजी कंपनियों के प्रवेश की अनुमति और उपभोक्ताओं को कई सेवा प्रदाताओं में से किसी एक को चुनने का विकल्प देने की बात कही गई है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘मैं इस विधेयक को विचारार्थ संसद की स्थायी समिति के समक्ष भेजने का आग्रह करता हूं. उस समिति में सभी दलों का प्रतिनिधित्व होता है, ऐसे में इसके विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा हो सकेगी.’

इससे पहले, रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि वह इस विधेयक को पेश किए जाने का विरोध कर रहे हैं क्योंकि यह संघीय ढांचे का उल्लंघन करता है.

उन्होंने कहा कि बिजली का विषय समवर्ती सूची में आता है, ऐसे में इस विषय पर सभी राज्यों एवं संबंधित पक्षकारों के साथ चर्चा करना जरूरी है लेकिन ऐसा नहीं किया गया.

प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों से उपभोक्ताओं एवं किसानों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और निजी क्षेत्र की कंपनियों का सार्वजनिक आधारभूत ढांचे का लाभ उठाने का मार्ग प्रशस्त होगा.

वहीं, कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि इस प्रस्तावित विधेयक के माध्यम से मूल कानून के उद्देश्य प्रभावित हो सकते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि यह निजीकरण की दिशा में कदम है.

कांग्रेस के ही अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह विधेयक स्पष्ट रूप से सहकारी संघवाद का उल्लंघन करता है तथा राज्य सरकारों के अधिकारों को कमतर करता है.

चौधरी ने यह भी कहा, ‘आपने संयुक्त किसान मोर्चा को लिखित आश्वासन दिया था कि आप बिना चर्चा के इस विधेयक को नहीं लाएंगे. यह किसान विरोधी बिल है.”

उल्लेखनीय है कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा सरकार को इस विधेयक के खिलाफ चेतावनी देने के बाद इसे लोकसभा में लाया गया. मोर्चा द्वारा हाल के एक बयान में कहा गया था कि विधेयक को वापस लेना किसानों के साल भर के आंदोलन की प्रमुख मांगों में से एक है.

बयान में कहा गया था, ‘9 दिसंबर, 2021 को सरकार ने एसकेएम को लिखे पत्र में कहा था कि बिजली संशोधन विधेयक के उन प्रावधानों, जो किसानों को प्रभावित करते हैं, पर सभी हितधारकों के साथ चर्चा की जाएगी. पिछले आठ महीनों में कोई चर्चा नहीं हुई है और इस विधेयक को पेश करना सरकार द्वारा किसानों के साथ बड़ा धोखा करना होगा.’

इस दौरान द्रमुक के टीआर बालू ने भी विद्युत संशोधन विधेयक 2022 पेश किए जाने का विरोध किया और कहा कि यह लोगों के हितों के प्रतिकूल है.

वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि यह विधेयक लोक विरोधी है और सार्वजनिक बिजली क्षेत्र को निजी क्षेत्र को देने का मार्ग प्रशस्त करता है.

बीजद के पिनाकी मिश्रा ने कहा कि विधेयक पेश करने के समय केवल विधायी आधार पर विषय उठाए जा सकते हैं और अगर मंत्री का कहना है कि इसे स्थायी समिति को भेजा जाएगा, तब वहां चर्चा हो जाएगी.

इसके बाद, ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा कि इस विधेयक के बारे में गलत तरीके से दुष्प्रचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कोई सब्सिडी नहीं वापस ली जा रही है, जो किसानों को मिलता था, वह मिलता रहेगा.

सिंह ने कहा कि इस प्रकार का (कुछ सदस्यों का) गैर जिम्मेदाराना व्यवहार ठीक नहीं है. इस विषय पर हर राज्य और संबंधित पक्षकारों से विचार विमर्श किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘यह विधेयक किसानों के हित में है, लोगों के हित में है और बिजली क्षेत्र के हित में है.’

बिजली क्षेत्र के कर्मचारी, इंजीनियर विधेयक के खिलाफ 

अखिल भारतीय बिजली इंजीनियर्स महासंघ (एआईपीईएफ) ने बताया कि देश भर में बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों और इंजीनियरों ने विद्युत संशोधन विधेयक, 2022 के विरोध में सोमवार को काम बंद कर दिया और विरोध प्रदर्शन किया.

एआईपीईएफ विधेयक का विरोध कर रहा है. उसका कहना है कि यह बिजली उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सभी सब्सिडी को समाप्त कर देगा, जो आम लोगों विशेषकर किसानों और दलितों को प्रभावित करेगा.

पिछले हफ्ते एआईपीईएफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे हस्तक्षेप का आग्रह किया था और विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की थी.

एआईपीईएफ के एक बयान में कहा गया है, ‘बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति के आह्वान पर सोमवार को देश भर के लाखों बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने काम बंद कर दिया और विरोध प्रदर्शन किया.’

एआईपीईएफ के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने बयान में कहा कि बिजली कर्मचारी सड़कों पर उतरे, काम का बहिष्कार किया और विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

उन्होंने कहा, ‘ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण के काम को पूरा करने की दृष्टि से इस विधेयक को अलोकतांत्रिक तरीके से’ संसद में पेश किया गया है.’

बयान के अनुसार, बिजली कर्मचारी मांग कर रहे हैं कि बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 को उसके वर्तमान स्वरूप में वापस लिया जाना चाहिए और अगर सरकार इसे लाना चाहती है तो इसे स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए ताकि सभी संबंधित पक्ष, विशेष रूप से आम बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों को अपने विचार प्रस्तुत करने का अवसर मिल सके.

बिजली इंजीनियरों के संगठन के अनुसार, केंद्र सरकार ने पिछले साल संयुक्त किसान मोर्चा को लिखे एक पत्र में वादा किया था कि किसानों और अन्य अंशधारकों के साथ विस्तृत बातचीत किए बिना विधेयक को संसद में पेश नहीं किया जाएगा.

केंद्र सरकार ने आज तक उपभोक्ताओं और बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के साथ कोई बातचीत नहीं की है.

बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार की इस एकतरफा कदम से कर्मचारियों में खासा रोष है.

एआईपीईएफ ने कहा कि विधेयक में एक प्रावधान है कि एक ही क्षेत्र में एक से अधिक वितरण कंपनियों को लाइसेंस दिए जाएंगे. निजी क्षेत्र की नई वितरण कंपनियां सार्वजनिक क्षेत्र के नेटवर्क का उपयोग करके बिजली की आपूर्ति करेंगी.

बयान में कहा गया है कि विधेयक में यह भी प्रावधान है कि सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली उपलब्ध कराने की ‘सार्वभौमिक बिजली आपूर्ति दायित्व’ केवल सरकारी कंपनियों पर लागू होगा, जबकि निजी क्षेत्र की आपूर्तिकर्ता कंपनियां, केवल लाभदायक औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को अपनी इच्छा के अनुसार बिजली देकर मुनाफा अर्जित करेंगी.

जम्मू में प्रदर्शन करते कर्मचारी. (फोटो साभार: ट्विटर/@jkmediasocial)

संगठन के अनुसार वितरण नेटवर्क को बनाए रखने की जिम्मेदारी सरकारी कंपनियों की होगी.

एआईपीईएफ ने कहा कि विधेयक के अनुसार, सब्सिडी और ‘क्रॉस सब्सिडी’ (एक की कीमत पर दूसरे को सब्सिडी) खत्म की जाएगी ताकि बिजली की पूरी कीमत सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं से वसूल की जा सके.

दुबे ने कहा कि सोमवार को देश भर के सभी बिजली उत्पादन घरों में कामगारों ने अपना काम छोड़ दिया और प्रदर्शन शुरू कर दिया.

उन्होंने कहा कि हैदराबाद, चेन्नई, त्रिवेंद्रम, बैंगलोर, विजयवाड़ा, लखनऊ, पटियाला, देहरादून, शिमला, जम्मू, श्रीनगर, चंडीगढ़, मुंबई, कोलकाता, पुणे, वडोदरा, रायपुर, जबलपुर, भोपाल, रांची, गुवाहाटी, शिलांग, पटना, भुवनेश्वर, जयपुर में विरोध प्रदर्शन हुए.

उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से केंद्र सरकार विद्युत अधिनियम 2003 में संशोधन करने जा रही है, जिसका बिजली कर्मचारियों के साथ-साथ उपभोक्ताओं पर भी दूरगामी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाला है.

लखनऊ में बिजलीकर्मी सड़क पर उतरे

विद्युत (संशोधन) विधेयक को कथित रूप से संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श किए बगैर केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश करने के विरोध में सोमवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत कई स्‍थानों पर बिजलीकर्मियों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया.

ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्‍यक्ष शैलेंद्र दुबे ने बताया कि नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर देशभर में लाखों बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने ऊर्जा क्षेत्र के संपूर्ण निजीकरण के लिए संसद में विधेयक पेश किए जाने के प्रति अपना रोष प्रकट करने को काम बंद करके सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया.

दुबे के मुताबिक, देशभर में बिजली उत्पादन गृहों में सुबह आठ बजे से ही बिजली कर्मियों ने काम छोड़कर प्रदर्शन शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि मुख्यालयों पर और अन्य जनपदों में 10 बजे के बाद बिजलीकर्मी काम छोड़कर बड़ी संख्या में एकत्रित हुए और देश के सभी जनपदों और परियोजना मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर बिजली संशोधन बिल वापस लेने की मांग की.

उन्होंने आरोप लगाया कि इससे निजी कंपनियां मात्र कुछ शुल्क देकर मुनाफा कमाएंगी और परिणामस्वरूप सरकारी कंपनियां दिवालिया हो जाएंगी.

दुबे ने कहा कि विधेयक के तहत सब्सिडी और क्रॉस-सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी, जिससे सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं से बिजली की पूरी लागत वसूली जा सकेगी.

उन्होंने दावा किया कि इससे 7.5 हार्स पावर के पम्पिंग सेट को मात्र छह घंटे चलाने पर किसानों को 10 हजार से 12 हजार रुपये प्रति माह का बिल भरना पड़ेगा. यही हाल आम घरेलू उपभोक्ताओं का भी होगा.

बिजली संशोधन विधेयक से कुछ कंपनियों को फायदा होगा: केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिजली अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों को ‘खतरनाक’ करार देते हुए सोमवार को केंद्र सरकार के आग्रह किया कि वह जल्दबाजी में इसे पेश न करें.

केजरीवाल ने दावा किया कि इससे केवल बिजली वितरण कंपनियों को फायदा होगा.

केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘आज लोकसभा में बिजली संशोधन बिल लाया जा रहा है. यह कानून बेहद खतरनाक है. इससे देश में बिजली की समस्या सुधरने के बजाय और गंभीर होगी. लोगों की तकलीफें बढ़ेंगी. केवल चंद कंपनियों को फायदा होगा. मेरी केंद्र से अपील है कि इसे जल्दबाजी में न लाया जाए.’

पंजाब से आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक ने कहा कि ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि केंद्र सरकार अपनी ही बात से मुकरने के बाद लोकसभा में इस विधेयक को पेश करने जा रही है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘बिजली के मामले में कानून बनाने में राज्य का बराबर का अधिकार है, मगर इस विधेयक के बारे में केंद्र सरकार ने किसी भी राज्य से राय नहीं मांगी है. आम आदमी पार्टी इसका विरोध करती है.’

बिजली अधिनियम, 2003 में प्रस्तावित संशोधनों पर कई संगठनों ने आपत्ति जताई है.

इस विधेयक का उद्देश्य बिजली वितरण (खुदरा) खंड में प्रतिस्पर्धा पैदा करना है. प्रस्ताव में कहा गया है कि बिजली कंपनियां अन्य बिजली वितरण लाइसेंसधारकों के नेटवर्क का उपयोग कर सकती हैं. इसमें भुगतान सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने और नियामकों को अधिक अधिकार देने का भी प्रस्ताव है.

विधेयक राज्यों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला: भगवंत मान

वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को कहा कि संसद में केंद्र द्वारा पेश किया गया विद्युत (संशोधन) विधेयक-2022 राज्यों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला है.

उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस तरह की कुटिल चाल से संघीय ढांचे को ‘कमजोर’ कर रही है.

मान ने कहा कि यह केंद्र सरकार का राज्यों की शक्ति को ‘कमजोर’ करने का एक और प्रयास था. उन्होंने कहा कि केंद्र को राज्यों को कठपुतली नहीं समझना चाहिए.

मान ने यहां जारी एक बयान में कहा, ‘हमारे लोकतंत्र की संघीय भावना को कमजोर करने के भारत सरकार के इस प्रयास के खिलाफ राज्य चुप नहीं बैठेंगे.’

उन्होंने कहा कि राज्य अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सड़क से लेकर संसद तक लड़ेंगे. पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को बिजली क्षेत्र से संबंधित कोई भी विधेयक पेश करने से पहले राज्यों से परामर्श करना चाहिए था.

उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक राज्यों पर थोपा जा रहा है, जो संघीय ढांचे पर सीधा हमला है. केंद्र की मंशा पर सवाल उठाते हुए मान ने कहा कि जब राज्य अपने दम पर लोगों को बिजली मुहैया कराते हैं, तो संसद में विधेयक पेश करते समय उनका प्रतिक्रिया क्यों नहीं ली गई.

मान ने कहा कि केंद्र को आग से खेलने से बचना चाहिए. मान ने केंद्र सरकार से अपने कदम पर पुनर्विचार करने को कहा, क्योंकि देश के लोग ऐसे एकतरफा फैसलों को कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे.

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विद्युत (संशोधन) विधेयक 2022 को वापस लेने का आग्रह किया था, ताकि राज्यों, किसानों और कृषि संघों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार विमर्श किया जा सके.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq