जम्मू कश्मीर सरकार ने हिज़्बुल प्रमुख के बेटे सहित चार कर्मचारियों को बर्ख़ास्त किया

बर्ख़ास्त कर्मचारियों में जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा की अधिकारी असबाह-उल-अर्ज़मंद ख़ान भी शामिल हैं, जो टेरर फंडिंग मामले में जेल में बंद फ़ारूक़ अहमद डार की पत्नी हैं. चारों कर्मचारियों को संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत बर्ख़ास्त किया गया है, जिसमें सरकार को बिना किसी जांच के अपने कर्मचारी को निष्कासित करने की शक्ति प्राप्त है.

New Delhi: Telecom Minister Manoj Sinha addresses a press conference regarding the achievements of his ministry in the four years of NDA government, in New Delhi on Tuesday, June 12, 2018. (PTI Photo/Shahbaz Khan) (PTI6_12_2018_000053B)
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा. (फोटो: पीटीआई)

बर्ख़ास्त कर्मचारियों में जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा की अधिकारी असबाह-उल-अर्ज़मंद ख़ान भी शामिल हैं, जो टेरर फंडिंग मामले में जेल में बंद फ़ारूक़ अहमद डार की पत्नी हैं. चारों कर्मचारियों को संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत बर्ख़ास्त किया गया है, जिसमें सरकार को बिना किसी जांच के अपने कर्मचारी को निष्कासित करने की शक्ति प्राप्त है.

New Delhi: Telecom Minister Manoj Sinha addresses a press conference regarding the achievements of his ministry in the four years of NDA government, in New Delhi on Tuesday, June 12, 2018. (PTI Photo/Shahbaz Khan) (PTI6_12_2018_000053B)
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा. (फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शनिवार को चार सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. निकाले गए कर्मचारियों में कश्मीर विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर और एक वैज्ञानिक, कश्मीर प्रशासनिक सेवा (केएएस) की एक महिला अधिकारी और जम्मू कश्मीर उद्यमिता विकास संस्थान (जेकेईडीआई) के एक आईटी प्रबंधक शामिल हैं.

अधिकारियों के अनुसार, प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के बेटे सैयद अब्दुल मुईद और आतंकवाद के वित्तपोषण (टेरर फंडिंग) मामले में आरोपी फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे की पत्नी असबाह-उल-अर्जमंद खान को शनिवार को नौकरी से बर्खास्त कर दिया.

कराटे इस समय जेल में है और उस पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर जानलेवा हमले करने का आरोप है. अधिकारियों ने बताया कि चारों कर्मचारियों को भारत के खिलाफ काम करने वाली ताकतों से कथित संपर्क रखने और दुष्प्रचार करने के आरोप में इन्हें हटाया गया है.

उन्होंने बताया कि चारों कर्मचारियों को संविधान के अनुच्छेद 311 (2)(सी) के तहत बर्खास्त किया गया है, जिसमें सरकार को बिना किसी जांच के अपने कर्मचारी को निष्कासित करने की शक्ति प्राप्त है.

उन्होंने बताया कि चार बर्खास्त कर्मचारियों में से एक सैयद अब्दुल मुईद उद्योग एवं वाणिज्य विभाग में सूचना प्रौद्योगिकी प्रबंधक था. वह पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन का बेटा है.

मुईद सलाहुद्दीन का तीसरा बेटा है, जिसे सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया गया है. पिछले साल सैयद अहमद शकील और शाहिद यूसुफ को भी बर्खास्त किया गया था.

अधिकारियों के मुताबिक, मुईद की पम्पोर के सेमपोरा स्थित जम्मू कश्मीर उद्यमिता विकास संस्थान (जेकेईडीआई) परिसर पर तीन हमलों में कथित भूमिका पाई गई थी.

अधिकारियों ने बताया कि फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे इस समय आतंकवाद वित्तपोषण मामले में न्यायिक हिरासत में है. उसकी पत्नी ग्रामीण विकास विभाग में जिला पंचायत अधिकारी (डीपीओ) असबाह-उल-अर्जमंद खान जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा की वर्ष 2011 बैच की अधिकारी हैं और उन्हें पासपोर्ट के लिए गलत सूचना देने में संलिप्त पाया गया.

अधिकारियों ने बताया कि खान का कथित तौर पर ‘विदेशी लोगों से संपर्क था, जिन्हें भारतीय सुरक्षा बलों और खुफिया विभाग द्वारा पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करने वालों के तौर पर सूचीबद्ध किया गया था.’

उन्होंने बताया कि खान जम्मू कश्मीर में भारत विरोधी गतिविधियों के लिए धन को एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाने में भी कथित तौर पर संलिप्त थी.

बिट्टा कराटे आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में वर्ष 2017 से ही दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है. वह वर्ष 1990 की शुरुआत में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की हुई हत्या मामले में भी संलिप्त है.

इसके अलावा सरकार ने कश्मीर विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस परास्नातक विभाग में वैज्ञानिक डॉ . मुहीत अहमद भट को भी बर्खास्त कर दिया है. अलगाववादियों और आतंकवादियों के एजेंडे को विश्वविद्यालय में प्रसारित करने में उनकी कथित संलिप्तता पाई गई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भट उन कर्मचारियों में से एक हैं, जिन्हें विश्वविद्यालय के डिजिटलीकरण और स्वचालन, विशेष तौर पर इसकी परीक्षा शाखा, को शुरू करने और पूरा करने का श्रेय जाता है. श्रीनगर के रहने वाले भट पहले कश्मीर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (केयूटीए) के अध्यक्ष भी थे.

कश्मीर विश्वविद्यालय में ही प्रबंधन अध्ययन विभाग में वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर माजिद हुसैन कादरी को कथित तौर पर लंबे समय से प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा सहित आतंकवादी संगठनों से संबंध होने के आरोप में बर्खास्त किया गया है. इससे पहले भी माजिद पर जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

वर्ष 2004 में कादरी जब कश्मीर विश्वविद्यालय में शोध छात्र थे, तब उन्हें पुलिस ने आतंकवादियों से संपर्क रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था. हालांकि, बाद में उन्हें छोड़ दिया गया था. उन्होंने अपनी डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की और बाद में कश्मीर विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त हुए.

जम्मू कश्मीर में पिछले 11 महीनों में प्रशासन 40 से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल चुका है. इनमें पांच जम्मू प्रांत से हैं और बाकी घाटी से हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, अनुच्छेद 311 (2) (सी) सरकार को अपने कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगे बिना या उनके आचरण की जांच के आदेश के बिना बर्खास्त करने की अनुमति देता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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