असम: 27 साल से बहिष्कार झेल रहे व्यक्ति के शव को दफ़नाने के बाद हिंदू रिवाज़ों से अंतिम संस्कार

असम के दरांग ज़िले के एक गांव की घटना. 65 वर्षीय अतुल शर्मा की बीते 9 अगस्त को मौत हो गई थी, लेकिन ग्रामीणों के कथित असहयोग के कारण परिवार को उनका शव जलाने के बजाय दफ़नाने के लिए मजबूर होना पड़ा. 27 साल पहले अंतरजातीय विवाह करने की वजह से ग्रामीणों ने उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया था.

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(प्रतीकात्मक फोटो: द वायर)

असम के दरांग ज़िले के एक गांव की घटना. 65 वर्षीय अतुल शर्मा की बीते 9 अगस्त को मौत हो गई थी, लेकिन ग्रामीणों के कथित असहयोग के कारण परिवार को उनका शव जलाने के बजाय दफ़नाने के लिए मजबूर होना पड़ा. 27 साल पहले अंतरजातीय विवाह करने की वजह से ग्रामीणों ने उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया था.

(प्रतीकात्मक फोटो: द वायर)

गुवाहाटी: असम के दरांग जिले में अधिकारियों ने एक ग्रामीण के शव का हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया, क्योंकि स्थानीय लोगों ने 27 साल पहले अंतरजातीय विवाह करने के कारण व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार कर दिया था और परिवार को दाह संस्कार में मदद करने से मना कर दिया था.

मृतक की पत्नी ने बताया कि दरांग के पटोलसिंगपारा इलाके में रहने वाले 65 वर्षीय अतुल शर्मा की मंगलवार (9 अगस्त) को मौत हो गई, लेकिन ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार में मदद करने से इनकार कर दिया था.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने कहा कि शर्मा की उनके आवास पर मौत हो गई, लेकिन ग्रामीणों के कथित असहयोग के कारण परिवार को उनका शव जलाने के बजाय दफनाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

पत्नी ने कहा, ‘हम चाहते थे कि उनके शव का हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाए. उनकी मौत के बाद मैंने गांव के लोगों को बुलाया था. वे मेरे पास आए लेकिन दाह संस्कार में शामिल होने से इनकार कर दिया, क्योंकि मैं उनके समुदाय से नहीं हूं. इसलिए हमें शव को दफनाने के लिए मजबूर किया गया.’

महिला ने कहा, ‘ग्रामीणों ने हमें अंतिम संस्कार स्वयं पूरा करने के लिए कहा. मेरे पति के भाइयों में से एक ने केवल शव को दफनाने का प्रबंधन किया. चूंकि वह अकेला था, इसलिए अंतिम संस्कार नहीं कर सकता था.’

दंपति का बेटा दूर रहता है और वह मंगलवार को अपने पिता के शव को दफनाने से पहले नहीं लौट सका.

बेटे ने बाद में दावा किया कि उसके माता-पिता को 27 साल पहले उनकी शादी के बाद से ही सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया गया था, क्योंकि उसकी मां ‘निचली जाति’ से थीं.

न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, शादी के बाद से ही शर्मा परिवार को ग्रामीणों द्वारा बहिष्कृत करके मंदिरों और श्मशान में प्रवेश समेत सामुदायिक कार्यों और अनुष्ठानों में भाग लेने से रोक दिया गया था.

बहरहाल, इस घटना की खबर फैलते ही स्थानीय नागरिक और पुलिस प्रशासन के अधिकारी शुक्रवार (12 अगस्त) को गांव पहुंचे और परिवार की सहमति से शव के हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार की व्यवस्था की.

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, ‘एक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में शव का अंतिम संस्कार किया गया. कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद हमने अंतिम संस्कार की व्यवस्था की.’

शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद शुक्रवार शाम को शर्मा के बेटे ने उसे मुखाग्नि दी.

शर्मा की पत्नी जिस कोच-राजबंशी समुदाय से आती हैं, उसके प्रतिनिधियों ने परिवार से मुलाकात की और उन ग्रामीणों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जिन्होंने परिवार को बहिष्कृत कर दिया था.

मृतक की पत्नी प्रणिता देवी ने बताया, ‘मेरे पति की मौत के बाद मैंने अगली सुबह साथी गांव वालों को सूचना दी, लेकिन उन्होंने कहा कि वे उनकी शव को नहीं छुएंगे और न ही अंतिम संस्कार में भाग लेंगे. मेरे पति ब्राह्मण थे, इसके बावजूद  ग्रामीण मेरे पति को छूना नहीं चाहते थे, क्योंकि मैं कोच (समुदाय) से हूं.’

कोच समुदाय राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से ताल्लुक रखता है.

दरांग पुलिस अधीक्षक राज मोहन राय ने कहा, ‘हमने गांव के एक बुजुर्ग जादाब शर्मा को पूछताछ के लिए पकड़ा है, जिसने कथित तौर पर मृतक के परिवार को शव दफनाने के लिए कहा था.’

मामले में ऑल कोच राजबंशी स्टूडेंट्स यूनियन ने एफआईआर दर्ज कराई है, जिसके आधार पर पुलिस ने अब तक दो लोगों को गिरफ्तार किया है.

एफआईआर जगत शर्मा, लंकेश्वर शर्मा, अरुप बोर्डोलोई, तिलक बोर्डोलोई, चंदन शर्मा और कमल शर्मा के खिलाफ दर्ज की गई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)