बीते जुलाई महीने में दिल्ली के उपराज्यपाल ने आबकारी नीति 2021-22 के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं की सीबीआई से जांच कराने की सिफ़ारिश की थी. इसके बाद बीते 17 अगस्त को सीबीआई ने यह एफ़आईआर दर्ज की है.
नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अब वापस ले ली गई दिल्ली शराब नीति में कथित अनियमितताओं के संबंध में दर्ज की गई एफआईआर में 15 आरोपियों में से उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आरोपी नंबर 1 के रूप में नामित किया है.
सीबीआई ने शुक्रवार को मध्य दिल्ली में सिसोदिया के आधिकारिक आवास और सात राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में 30 अन्य स्थानों पर छापे मारे. केंद्रीय एजेंसी ने आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत 17 अगस्त को दर्ज अपनी एफआईआर में 15 लोगों का नाम लिया है.
मनीष सिसोदिया के साथ तत्कालीन आयुक्त (आबकारी) आरव गोपी कृष्ण, तत्कालीन उपायुक्त (आबकारी) आनंद तिवारी, सहायक आयुक्त (आबकारी) पंकज भटनागर, मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व सीईओ विजय नायर, पर्नोड रिकॉर्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, ब्रिंडको स्पिरिट्स सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमनदीप ढल, इंडोस्पिरिट ग्रुप के प्रबंध निदेशक समीर महेंद्रू के नाम एफआईआर में दर्ज हैं.
एफआईआर के अनुसार, आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश की सजा) और 477ए (खातों का जालसाजी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (2018 में संशोधित) की धारा 7 (भ्रष्ट या अवैध तरीकों से या व्यक्तिगत प्रभाव के प्रयोग से लोक सेवक को प्रभावित करने के लिए अनुचित लाभ लेना) के तहत केस दर्ज किया गया है.
सिसोदिया के पास आबकारी विभाग की भी जिम्मेदारी है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के माध्यम से उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय को भेजे गए एक संदर्भ पर एफआईआर दर्ज की गई.
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि सिसोदिया और अन्य आरोपी लोक सेवकों ने ‘निविदा के बाद लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने के इरादे से’ सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना उत्पाद नीति 2021-22 से संबंधित सिफारिश की और निर्णय लिया.
सीबीआई ने कहा कि मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय नायर, पर्नोड रिकार्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, ब्रिंडको स्पिरिट्स के मालिक अमनदीप ढल तथा इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्रू सक्रिय रूप से नवंबर 2021 में लाई गई आबकारी नीति का निर्धारण और क्रियान्वयन में अनियमितताओं में शामिल थे.
एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुड़गांव में ‘बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड’ के निदेशक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे, सिसोदिया के ‘करीबी सहयोगी’ हैं और आरोपी लोक सेवकों के लिए ‘शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अनुचित आर्थिक लाभ के प्रबंधन और स्थानांतरण करने में सक्रिय रूप से शामिल थे.’
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिनेश अरोड़ा द्वारा प्रबंधित राधा इंडस्ट्रीज को इंडोस्पिरिट्स के समीर महेंद्रू से एक करोड़ रुपये मिले.
सीबीआई ने दावा किया, ‘सूत्र ने आगे खुलासा किया कि अरुण रामचंद्र पिल्लई, विजय नायर के माध्यम से समीर महेंद्रू से आरोपी लोक सेवकों को आगे स्थानांतरित करने के लिए अनुचित धन एकत्र करता था. अर्जुन पांडे नाम के एक व्यक्ति ने विजय नायर की ओर से समीर महेंद्रू से लगभग 2-4 करोड़ रुपये की बड़ी नकद राशि एकत्र की.’
एजेंसी का आरोप है कि सनी मारवाह की ‘महादेव लिकर’ को योजना के तहत एल-1 लाइसेंस दिया गया था. यह भी आरोप लगाया कि दिवंगत शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा की कंपनियों के बोर्ड में शामिल मारवाह आरोपी लोक सेवकों के निकट संपर्क में थे और उन्हें नियमित रूप से रिश्वत देता थे.
सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘यह आरोप लगाया गया था कि आबकारी नीति में संशोधन, लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने, लाइसेंस शुल्क में छूट/कमी, बिना मंजूरी के एल-1 लाइसेंस के विस्तार में अनियमितताएं की गईं.’
उन्होंने कहा कि यह भी आरोप लगाया गया था कि इन कृत्यों से अवैध लाभ को निजी पक्षों द्वारा संबंधित लोक सेवकों को उनके एकाउंट बुक में गलत प्रविष्टियां देकर बदल दिया गया था.
सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा कि शुक्रवार (19 अगस्त को) को दिल्ली, गुड़गांव, चंडीगढ़, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ और बेंगलुरु सहित 31 स्थानों पर तलाशी ली गई, जिससे अब तक आपत्तिजनक दस्तावेज, विभिन्न कागजात, डिजिटल रिकॉर्ड आदि बरामद हुए हैं.
बीते जुलाई महीने के आखिरी हफ्ते में दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने आबकारी नीति 2021-22 के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की सिफारिश की थी. उन्होंने इस मामले में 11 आबकारी अधिकारियों को निलंबित भी किया है.
उन्होंने बताया कि दिल्ली के मुख्य सचिव की जुलाई में दी गई रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम 1991, कार्यकरण नियम (टीओबीआर)-1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम-2010 का प्रथमदृष्टया उल्लंघन पाए जाने की बात कही गई थी.
एलजी के अनुसार, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कथित तौर पर शराब नीति में कुछ बदलाव किए और कैबिनेट को सूचित किए बिना या एलजी की मंजूरी लिए बिना लाइसेंसधारियों को अपनी ओर से अनुचित लाभ दिया था.
मालूम हो कि नई आबकारी नीति 2021-22, 17 नवंबर 2021 से लागू की गई थी, जिसके तहत 32 मंडलों में विभाजित शहर में 849 ठेकों के लिए बोली लगाने वाली निजी संस्थाओं को खुदरा लाइसेंस दिए गए. कई शराब की दुकानें खुल नहीं पाईं. ऐसे कई ठेके नगर निगम ने सील कर दिए.
तब भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने इस नीति का पुरजोर विरोध किया था और इसकी जांच के लिए उपराज्यपाल के साथ केंद्रीय एजेंसियों में शिकायत दर्ज कराई थी.
आरोप है कि मनीष सिसोदिया ने कथित तौर पर कोविड-19 महामारी के बहाने निविदा लाइसेंस शुल्क पर शराब कारोबारियों को 144.36 करोड़ रुपये की छूट की अनुमति दी है. यह भी आरोप लगाया गया है कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब चुनाव के दौरान इस पैसे का इस्तेमाल किया होगा.
बहरहाल उपराज्यपाल द्वारा आबकारी नीति में अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 30 जुलाई 2022 को जानकारी दी थी कि दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को फिलहाल वापस लेने का फैसला किया है और सरकार द्वारा संचालित दुकानों के जरिये शराब की बिक्री किए जाने का निर्देश दिया है.
सिसोदिया ने आरोप लगाया था कि भाजपा दिल्ली में शराब माफिया को बढ़ावा देने के लिए गंदी राजनीति कर रही है. यह भी आरोप लगाया था कि भाजपा शराब की दुकानों के लाइसेंसधारियों और आबकारी अधिकारियों को धमकाने के लिए सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है.
उन्होंने कहा था, ‘चूंकि भ्रष्टाचार बंद हो गया, इसलिए इन लोगों द्वारा नई नीति की विफलता सुनिश्चित करने के लिए एक योजना बनाई गई थी. एक-एक कर उन्होंने ईडी और सीबीआई के नाम पर निजी कंपनियों को धमकाया. उनमें से कई ने दुकान बंद कर दी. नई नीति के तहत (पहले की तरह) 850 दुकानें हो सकती थीं, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 468 चालू हैं.’
सिसोदिया ने कहा था, ‘पुरानी व्यवस्था के तहत सरकार को 6,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, जबकि नई आबकारी नीति के माध्यम से सरकार ने पूरे वर्ष में 9,500 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.’
सीबीआई ने मेरा कंप्यूटर, मोबाइल फोन जब्त किया: मनीष सिसोदिया
सीबीआई की छापेमारी के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को कहा कि कई घंटों की तलाशी के बाद एजेंसी ने उनका कंप्यूटर और मोबाइल फोन जब्त कर लिया तथा उसने कुछ फाइल भी अपने कब्जे में ले लीं.
सिसोदिया ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और वह सीबीआई की जांच तथा उसकी छापेमारी से भयभीत नहीं हैं.
कई घंटे तक चली छापेमारी की कार्रवाई के बाद सिसोदिया ने संवाददाताओं से कहा, ‘सुबह सीबीआई की टीम पहुंची और पूरे घर की तलाशी ली. मेरे परिवार और मैंने उन्हें पूरा सहयोग दिया. उन्होंने मेरा कंप्यूटर और मोबाइल फोन जब्त कर लिया. वे कुछ फाइल भी ले गए.’
सिसोदिया ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल सरकार को दिल्ली में ‘अच्छा काम करने’ से रोकने के लिए केंद्र सरकार एजेंसी का दुरुपयोग कर रही है.
छापेमारी के बाद दिल्ली सरकार ने 12 आईएएस अधिकारियों का तबादला किया
दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं के संबंध में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की छापेमारी के कुछ घंटों बाद ही शुक्रवार को दर्जनभर आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया गया.
दिल्ली सरकार के सेवा विभाग की ओर से जारी स्थानांतरण आदेश के अनुसार, जिनका स्थानांतरण किया गया है उनमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के विशेष सचिव उदित प्रकाश राय भी शामिल हैं, जो 2007 बैच के एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश) काडर के आईएएस अधिकारी हैं.
दिल्ली के उपराज्यपाल ने भ्रष्टाचार के दो मामलों में एक कार्यकारी अभियंता को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने के लिए 50 लाख रुपये रिश्वत लेने के आरोप में राय के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की थी. आदेश के मुताबिक, राय को प्रशासनिक सुधार विभाग में विशेष सचिव के तौर पर स्थानांतरित किया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)