एमएसपी लागू न करने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी का दोस्त अडानी है: सत्यपाल मलिक

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने की मांग का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा कि देश के किसानों को आप हरा नहीं सकते. उसके यहां ईडी, इनकम टैक्स वालों को नहीं भेज सकते. किसान लड़ेगा और एमएसपी लेकर रहेगा.

Srinagar: Jammu and Kashmir Governor Satya Pal Malik during an Interview with PTI, in Srinagar, on Tuesday, October 16, 2018. ( PTI Photo/S Irfan)(Story No. DEL 66)(PTI10_16_2018_000159B)
सत्यपाल मलिक. (फाइल फोटो: पीटीआई)

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने की मांग का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा कि देश के किसानों को आप हरा नहीं सकते. उसके यहां ईडी, इनकम टैक्स वालों को नहीं भेज सकते. किसान लड़ेगा और एमएसपी लेकर रहेगा.

Srinagar: Jammu and Kashmir Governor Satya Pal Malik during an Interview with PTI, in Srinagar, on Tuesday, October 16, 2018. ( PTI Photo/S Irfan)(Story No. DEL 66)(PTI10_16_2018_000159B)
राज्यपाल सत्यपाल मलिक. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने हरियाणा के नूंह के किरा गांव में हुए एक कार्यक्रम में किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करने की मांग का समर्थन करते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है.

नवभारत टाइम्स के अनुसार, उन्होंने कहा कि एमएसपी लागू नहीं करने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त अडानी हैं.

केंद्र सरकार द्वारा किसानों की फसल के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी और इसके अमल को लेकर राज्यपाल मलिक ने कहा, ‘जब तक एमएसपी लागू न हो, कानूनी दर्जा न मिले तब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी. अभी अगर एमएसपी को लागू नहीं किया तो मैं कहना चाहता हूं कि दोबारा लड़ाई होगी, जोरदार लड़ाई होगी.’

उन्होंने आगे कहा, ‘देश के किसानों को आप हरा नहीं सकते. उसके यहां ईडी नहीं भेज सकते, इनकम टैक्स नहीं भेज सकते फिर कैसे डराओगे? किसान लड़ेगा और एमएसपी लेकर रहेगा.’

मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्योगपति गौतम अडानी से संबंधों को लेकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘एमएसपी लागू न होने के पीछे कारण है पीएम का एक दोस्त, जिसका नाम है अडानी. पांच साल में वह एशिया का सबसे मालदार आदमी हो गया है.’

उन्होंने बताया, ‘मैं मेघालय से आता हूं तो गुवाहाटी हवाई अड्डे पर आना पड़ता है. मुझे यहां एक लड़की हाथ में गुलदस्ता पकड़े मिली. जब मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि वह अडानी की तरफ से आई है. मैंने पूछा इसका क्या मतलब है तो उसने बताया कि यह एयरपोर्ट अडानी को दे दिया गया है. …अडानी को हवाईअड्डे, बंदरगाह, प्रमुख योजनाएं दी गई हैं… एक तरह से देश को बेचने की तैयारी है, लेकिन हम ऐसा न होने देंगे.’

दैनिक जागरण के अनुसार, मलिक ने कहा, ‘अडानी ने पानीपत में गेहूं का बहुत बड़ा गोदाम बनाया जिसमें सस्ता गेहूं लेकर भर दिया है. जब महंगाई बढ़ेगी तो उस गेहूं को निकालेगा, तो ये प्रधानमंत्री के दोस्त मुनाफा कमाएंगे और किसान बर्बाद होगा. ये चीज़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी, इसके खिलाफ लड़ाई होगी.

यह पहली बार नहीं है जब मलिक ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर किसानों और उनकी मांगों को लेकर हमला किया है.

इस साल जनवरी में उन्होंने प्रधानमंत्री पर ‘घमंडी’ होने का आरोप लगाते हुए कहा था कि जब मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से (अब निरस्त कर दिए गए) नए कृषि कानूनों को लेकर बात करनी चाही, तब वे ‘बहुत घमंड में थे’ और मलिक की उनसे ‘पांच मिनट में ही लड़ाई हो गई.’

रविवार को उन्होंने इसी बात को दोहराते हुए कहा, ‘जब कोई कुतिया भी मरती है तो शोक संदेश जाता है. 700 किसान मर गए लेकिन किसी के लिए शोक संदेश नहीं दिया. मैं पीएम से मिलने गया और कहा कि कुछ ले-देकर किसानों का मामला निपटाएं. उन्होंने कहा खुद चले जाएंगे. मैंने कहा आप हल्के में ले रहे हैं. आप नहीं जानते ये किसान हैं, ऐसे ही नहीं जाने वाले. ये तब जाएंगे, जब आप चले जाएंगे. उन्होंने मेरी बात हल्के में ली पर बाद में वह समझे, माफी भी मांगी और कानून वापस भी लिए.’

मलिक ने यह भी कहा कि वे राज्यपाल पद छोड़ने के बाद किसानों के हक़ के लिए लड़ेंगे. उन्होंने आह्वान किया कि किसान जात-पात छोड़कर एक मंच पर आएं और अपने हक की आवाज बुलंद करें.

उन्होंने कहा, ‘किसानों की ताकत का ही नतीजा है कि जो नए कृषि कानूनों को वापस भी लिया. इसलिए किसान एकजुट होकर अपनी लड़ाई लड़ेंगे तो निश्चित तौर पर उन्हें कामयाबी मिलेगी.’

इससे पहले जून महीने में मलिक ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि एमएसपी पर कानून नहीं बना तो देश में किसानों की सरकार के साथ बहुत भयानक लड़ाई होगी.

उससे पहले मई में भी सत्यपाल मलिक ने एमएसपी पर कानून बनाने की वकालत करते हुए कहा था कि सरकार ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को समाप्त कराने के लिए जो वादे किए थे उन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया है. किसानों ने केवल दिल्ली में अपना धरना समाप्त किया है, लेकिन तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ उनका आंदोलन अभी भी जीवित है.

उल्लेखनीय है कि इन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर तकरीबन एक साल तक प्रदर्शन किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  द्वारा विवादित तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद किसानों ने ​बीते साल दिसंबर में अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था.

सत्यपाल मलिक भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को कई बार, खासकर किसान आंदोलन से जुड़े मसलों को लेकर आड़े हाथों ले चुके हैं. अक्टूबर 2021 में उन्होंने कहा था कि यदि किसानों की मांगें स्वीकार नहीं की जाती हैं, तो भाजपा सत्ता में नहीं आएगी.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले जाट नेता मलिक नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान जम्मू कश्मीर और गोवा के बाद वर्तमान में मेघालय के राज्यपाल हैं.

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